1913 बनारस से गायब मां अन्नपूर्णा का दुर्लभ मूर्ति कनाडा में मिली, पीएम ने की घोषणा – जल्द लाएंगे वापस
श्रीनारद मीडिया ब्यूरो प्रमुख / सुनील मिश्रा वाराणसी (यूपी)
वाराणसी / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के दूसरे संस्करण के अट्ठारह में उद्बोधन में काशी वासियों को देव दीपावली के पहले एक बड़ी खुशखबरी दी है।कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज मैं आप सबके साथ एक खुशखबरी साझा करना चाहता हूं। हर भारतीय को यह जानकर गर्व होगा कि देवी अन्नपूर्णा की एक बहुत पुरानी प्रतिमा कनाडा से वापस भारत आ रही है। यह प्रतिमा लगभग 100 साल पहले 1913 के करीब वाराणसी की एक मंदिर से चुराकर देश से बाहर भेज दी गई थी।मैं कनाडा की सरकार और इस पुण्य कार्य को संभव बनाने वाले सभी लोगों का इस सहृदयता के लिए आभार प्रकट करता हूं।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि माता अन्नपूर्णा का काशी से बहुत ही विशेष संबंध है।अब उनकी प्रतिमा का वापस आना हम सभी के लिए सुखद है। माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की तरह ही हमारी विरासत की अनेक अनमोल धरोहर अंतरराष्ट्रीय गिरोह का शिकार होती रही हैं। उन्होंने कहा कि यह गिरोह अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन्हें बहुत ऊंची कीमत पर बेचते हैं। अब इन पर शक्ति तो लगाई जा रही है इनकी वापसी के लिए अब भारत ने अपने प्रयास भी बढ़ाए हैं।ऐसी कोशिश की वजह से बीते हुए कुछ वर्षों में भारत कई प्रतिमाओं और कलाकृतियों को वापस लाने में सफल रहा है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की वापसी के साथ एक संयोग यह भी जुड़ा है कि कुछ दिन पूर्व ही वर्ल्ड हेरिटेज वीक मनाया गया है। वर्ल्ड हेरिटेज वीक संस्कृति प्रेमियों के लिए पुराने समय में वापस जाने उनके इतिहास के अहम पड़ाव को पता लगाने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है। बता दें कि हाल ही में भारतीय मूल की आर्टिस्ट दिव्या मेहरा की नजर माता अन्नपूर्णा की एक सदी पुरानी मूर्ति पर कनाडा के मैकैजी आर्ट गैलरी में नजर पड़ी थी। उन्होंने इसके लिए आवाज उठाई और उसके बाद मैकेंजी आर्ट गैलरी मेंरेजिना विश्वविद्यालय के संग्रह से अन्नपूर्णा की प्रतिमा को अंतरिम राष्ट्रपति और विश्वविद्यालय के उप कुलपति थामस चेसकनाडा में भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया के बीच 19 नवंबर को एक समारोह में दी गई।आर्टिस्ट दिव्या मेहरा ने मैकेंजी आर्ट गैलरी के अस्थाई कलेक्शन में पाया कि इस मूर्ति की वसीयत 1936 में मैकेंजी ने कराई थी और गैलरी के संग्रह में जोड़ा गया था। इसके बाद इसका नाम रखा गया दिव्या ने मुद्दा उठाया और कहा था कि यह अवैध रूप से कनाडा में लाई गई है मूर्ति। शोध में सामने आया कि मैकेंजी ने 1913 में भारत की यात्रा की थी। बताया जा रहा है कि यह मूर्ति उसी के बाद यहां से कनाडा पहुंची।अन्नपूर्णा माता अपने एक हाथ में खीर और दूसरे में चम्मच लिए हुए हैं।