2011 बैच के आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार अपने कारगुजारियों का भुगत रहे हैं खामियाजा

2011 बैच के आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार अपने कारगुजारियों का भुगत रहे हैं खामियाजा

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श्रीनारद मीडिया‚ राकेश सिंह‚ स्टेट डेस्कः

 

2011 बैच के आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार अपने कारगुजारियों का खामियाजा भुगत रहे हैं। जिस जिले के वो पुलिस कप्तान थे, उसी जिले के फतेहपुर थाना में 28 मई को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई है। यह केस उनके ऊपर क्यों हुआ ? यह सबको पता है। कैसे उन्होंने जब्त किए गए शराब के मामलों में लापरवाही बरती, पूरी बात सामने आ चुकी है। सूत्रों के हवाले से इस प्रकरण में एक नए शख्स ने एंट्री मारी है। इसका नाम राहुल कुमार है। यह कहाँ का रहने वाला है ?

इस बारे में किसी को सही से पता नहीं है। यह शख्स पुलिस का अंग नहीं है। बावजूद इसके जब आदित्य कुमार गया में SSP थे। तो सूत्रों का दावा है कि राहुल कुमार की उस वक्त खूब चलती थी। उसकी धाक ऐसी चलती थी जैसे गया का SSP वही हो। दावा तो यह किया जा रहा है कि राहुल कुमार की तत्कालीन SSP के साथ काफी नजदीकियाँ थी। जिस कारण जिले में थानेदारों की पोस्टिंग को लेकर उसकी धाक चलती थी। यह पुलिस और माफियाओं के बीच की कड़ी को भी जोड़ता था।

पुलिस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पुलिसिया कार्रवाई में भी इसका बड़ा हस्तक्षेप था। आपराधिक केस में ये अपराधियों के नाम हटवाने के लिए प्रेशर बनाता था। अवैध खनन के खेल में शामिल माफियाओं की गाड़ी अगर कहीं पकड़ी गई तो हस्तक्षेप कर ये छुड़वाता भी था। चाहे वो बालू से भरी गाड़ियां हो या फिर पत्थर। बड़ी बात यह है कि कोई भी काम यह मुफ्त में नहीं करता था। प्राइवेट आदमी होकर भी इसने पुलिस वालों पर ही रौब जमाया। आरोप है कि पुलिस अफसर के नजदीकी होने का इसे भरपूर फायदा उठाया। जमकर अवैध तरीके से रुपए कमाए।

पुलिस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि गया में थानेदारों से रुपए वसूलने का इसका अपना एक तरीका था।पहले टारगेट सेट करता था फिर टारगेट को अपने ठिकाने पर बुलाता था। फिर वहाँ पर उन्हें कहता था कि तुम्हारा फीडबैक ठीक नहीं है, पलट दें क्या ? (मतलब बदल दें क्या?) यह लाइन उसका जुमला बन चुका था। कई पुलिस पदाधिकारियों से यह बात वो बोल चुका है। सूत्र बताते हैं कि बड़े साहब के साथ का कनेक्शन होने से कोई भी थानेदार कुछ बोल नहीं पाता था। आरोप है कि जब तक आदित्य कुमार गया SSP की कुर्सी संभाल रहे थे, तब तक राहुल ने कई थानेदारों की ट्रांसफर-पोस्टिंग करवाई।

गया जाने पर राहुल अक्सर होटल डेल्टा में ठहरता था। पुलिस सूत्र का दावा है कि अगर उसकी पहचान करनी है तो उसके हुलिया के बारे में वहाँ से पता चल सकता है। इसके लिए होटल डेल्टा में लगे CCTV के फुटेज को खंगालना होगा। अब सवाल यह है कि तत्कालीन SSP साहब इसके ऊपर मेहरबान क्यों थे ? क्या किसी प्रकार के लाभ वाली कोई बात थी ? प्राइवेट शख्स होकर पुलिस के काम-काज में उसका हस्तक्षेप क्यों था ? इस तरह के कई सवाल हैं। जिसका जवाब तब मिलेगा, जब बिहार पुलिस मुख्यालय के स्तर पर कोई बड़ी जांच टीम बनाई जाएगी। राहुल के बारे में पड़ताल की जाएगी। फिलहाल IPS अधिकारी आदित्य कुमार के खिलाफ मद्य निषेद्य मामले में जो केस दर्ज हुआ है, उसी के तहत जांच चल रही है।

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