भोरे की धरती भोजपुरी आंदोलन कि पहली अलख 1947 में जगाई थी- डॉ जयकांत सिंह ‘जय’।

भोरे की यह धरती भोजपुरी आंदोलन की पहली अलख 1947 जगाई थी- डॉ जयकांत सिंह ‘जय’।

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भोजपुरी के लिए अमही ग्राम जैसा सभी गांवों में कार्यक्रम होना चाहिए- डॉ कमलेश राय।

भोजन के बाद मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता संस्कृति है,जिसकी अभिव्यक्ति हमारी माई भाषा में है, वह हमारी भोजपुरी है-सतीश कुमार त्रिपाठी, अध्यक्ष, जय भोजपुरी जय भोजपुरिया परिवार

बोली-वाणी व भाषा गई तो संस्कृति गई- सुभाष पाण्डेय, उपाध्यक्ष, जय भोजपुरी जय भोजपुरिया परिवार

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार के गोपालगंज जिले में भोरे प्रखंड के अंतर्गत अमही मिश्र (छठीयांव बाजार) में जय भोजपुरी जय भोजपुरिया परिवार की पांचवीं वार्षिकोत्सव समारोह पूर्वक मनाई गई। आपन माटी आपन थाती सबसे मीठी बोली आपन भोजपुरी के आवाहन के साथ प्रत्येक वर्ष जय भोजपुरी जय भोजपुरिया परिवार संगठित होकर भोजपुरी बोली-बानी और भाषा के लिए पिछले एक दशक से प्रयासरत है। इसी कड़ी में इस वर्ष दो नवंबर 2022 को अमहीं मिश्र (छठीयांव बाजार) भोरे,गोपालगंज में जय भोजपुरी जय भोजपुरिया परिवार की पांचवी सांस्कृतिक-साहित्यिक समारोह भव्य तरीके से मनाई गई।

समारोह के उद्घाटन सत्र में भोजपुरी के लब्ध ख्याति विद्वान व बी.आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर में भोजपुरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जयकांत सिंह ‘जय’ ने कहा कि यह धरती 1947 में सारण जिला साहित्य सम्मेलन करवाया था साथ ही उसी वर्ष दिसंबर में राहुल सांकृत्यायन बाबा की अध्यक्षता में सारण जिला सम्मेलन का भी आयोजन हुआ था इसके बाद पटना से ‘अंजोर’ नाम की पत्रिका भोजपुरी को आगे बढ़ाने के लिए निकलती रही।

1973 में अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन का गठन हुआ,जो आज भी कार्यरत है।भोजपुरी एक समृद्ध भाषा है इसे हम सभी को अपनाना चाहिए। ग्रियर्सन ने अपने कई लेखों में इसका जिक्र किया है। अंग्रेजों ने अपने राज के लिए भोजपुरी का अध्ययन किया जो हमारे लिए थाती है। लेकिन उससे भी पुराना भोजपुरी भाषा का इतिहास है। हम सब यहां भोजपुरी बोली बानी भाषा और अकादमिक स्तर पर इसे आगे ले जाने के लिए एकत्रित हुए हैं। आप सभी 2024 के लोक सभा चुनाव से पहले एक ऐसा वातावरण तैयार करें कि भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ कमलेश राय ने कहा कि जिस प्रकार अमहीं ग्राम पिछले एक दशक से भोजपुरी के लिए कार्य कर रहा है उसी प्रकार सभी गांवों को भोजपुरी के लिए कार्य करना चाहिए तभी हमारी यह बोली-बानी व भाषा आगे बढ़ेगी और जब यह आगे बढ़ेगी तो अवश्य बचेंगी। लेकिन बाजार वाद ने इसका अहित किया है, अश्लीलता ने इस भाषा के ऊपर एक प्रश्नचिन्ह अवश्य लगाया है। फिर भी सब इस तरह के कुचक्र को समझते हैं। इस पावन अवसर पर मैं यही कहना चाहता हूं कि सभी अपने माई भाखा के लिए समर्पित हो, इसे आगे बढ़ाएं,अश्लीलता स्वत: समाप्त हो जाएगी।

समारोह में प्रत्येक वर्ष भोजपुरी के लब्ध ख्याति प्राप्त रहे विद्वान राधा मोहन चौबे ‘अंजन’ के नाम पर सम्मान देने की परम्परा है। इस वर्ष भी ‘अंजन’ सम्मान से भोजपुरी के विद्वान डॉ कमलेश राय को सम्मानित किया गया। उन्हें प्रशस्ति पत्र, अंग वस्त्र, देकर कार्यक्रम के अध्यक्ष सतीश कुमार त्रिपाठी, उपाध्यक्ष सुभाष पाण्डेय मशहूर शायर संजय मिश्र संजय, ज्वाला सिंह, जितेंद्र पाण्डेय ने  सम्मानित किया।

कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। पूरा पंडाल पीली टोपी और टीशर्ट पहने अतिथियों, कार्यकर्ताओं से अट गया। सभी अतिथियों, विद्वानों को अंग वस्त्र,पुष्प गुच्छ देकर कार्यक्रम के अध्यक्ष सतीश कुमार त्रिपाठी, उपाध्यक्ष सुभाष पाण्डेय ज्वाला सिंह, जितेंद्र पाण्डेय ने बारी-बारी से सम्मानित किया। इसके बाद कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसे देश के लब्ध ख्याति प्राप्त शायर संजय मिश्र संजय ने किया। लगभग चार घंटे तक चले कवि सम्मेलन में 41 कवियों ने अपनी प्रस्तुति दी। जिसमें मदन मोहन पाण्डेय, अरविंद श्रीवास्तव, सत्यप्रकाश शुक्ला, आर.के. भट्ट बावरा, आकाश महेशपूरी, विद्यानंद विशाल, ममता जी, श्याम श्रवण,लोक नाथ तिवारी, सुजीत पाण्डेय,अवनीश त्रिपाठी,समित सभी ने अपनी काव्य पाठ से पंडाल में बैठे दर्शकों को मंत्र-मुग्ध कर दिया।

विशेष रूप से जितेंद्र पाण्डेय की काव्य पाठ-
“दिल के दिल से मिलल धर्म होई हो
प्रेमसर में नहा लऽ धर्म होई हो
हो गईल बा जिंदगी उदासी भरल
आ वऽ मन महिटियालऽ धर्म होई हो”।

वही रांची से पधारी ममता जी ने अपने गज़ल को पढ़ते ही हुए कहा-
“पलटते ही पासा बदल जाला दुनिया

दौलत के आगे फिसल जाला दुनिया”।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण सांध्य कालीन होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम का रहा। जिसमें भोजपुरी कलाकारों ने अपने गायन व संगीत से समा बांध दिया। देर रात तक पंडाल में खचाखच भरे दर्शकों ने भोजपुरी गीत व संगीत का लुफ्त उठाया।सभी ने एक स्वर से कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए अगले वर्ष तक कार्यक्रम के प्रतीक्षा की बात कही। समारोह में सभी के लिए स्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था रही। सभी अतिथियों के ठहरने, रहने,खाने-पीने की कोई कमी नहीं रही, जिसे सभी लोगों ने सराहा और कह उठे- ‘जय भोजपुरी जय भोजपुरिया परिवार’।

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