*समाज के विभिन्न पहलुओं को कैनवस पर रंग भरती बीएचयू की कविता*

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*श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी*

*वाराणसी* / ये बात कुछ अजीब सी है किन्तु यह सत्य है बी एच यू की छात्रा कविता जो क्राफ्ट से बी एच यू से पढ़ाई कर रही हैं लेकिन रंग और तूलिका से उनको बचपन से लगाव रहा है।ऑयल पेंटिंग हो या फोक आर्ट वो इतनी खूबसूरती से उसमें रंग भरती हैं कि कोई भी उनकी पेंटिंग कुछ न कुछ जरूर बोलती है।


शायद तभी उनका कहना होता है कि अगर आप अपनी तूलिका से रंगों के द्वारा कोई भी रेखा खींचते हैं तो वो जरूर कुछ कहती है।फ़िलहाल कविता बी एच यू से स्नातक की डिग्री ले रहीं हैं।इसके साथ ही साथ आर्ट को भी अपने जीवन का एक हिस्सा मानती हैं।उनका मानना है कि कला ही जीवन है और कला के बिना इंसान का जीवन एक मरुस्थल के समान होता है।इसीलिये वो इंसानी जीवन को कैनवस पर उकेरने के लिए कभी कभी गंगा पार अस्सी घाट के सामने रेती पर तो कभी रामनगर चली आती हैं अपनी तूलिका व रंगों के साथ।

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