चरणजीत सिंह चन्नी सूबे के 17वें CM, कांग्रेस ने 32% दलित वोट बैंक पर निशाना साधा.

चरणजीत सिंह चन्नी सूबे के 17वें CM, कांग्रेस ने 32% दलित वोट बैंक पर निशाना साधा.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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पंजाब में सिख दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को CM बनाकर कांग्रेस ने दोहरा दांव खेल दिया है। एक तरफ पंजाब के दलित वोट बैंक पर निशाना लगाया है, वहीं भाजपा और अकाली दल के दलित CM और डिप्टी CM के मुद्दे को करारा जवाब दिया है।

कांग्रेस के इस सियासी दांव ने विरोधियों को भी चौंका दिया है। चन्नी पंजाब के 17वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे, वहीं पंजाब के इतिहास में यह पहली बार है कि किसी दलित नेता को CM की कुर्सी दी गई है। इससे अब तक जट्‌टसिख ही CM बनते रहे हैं।

चन्नी को CM बनाने के 2 बड़े मायने

  • पंजाब में 32% दलित वोट बैंक है। इनमें सिख और हिंदू समाज के दलित शामिल हैं। पंजाब में जट्‌टसिख कम्युनिटी सिर्फ 19% है, लेकिन अब तक उन्हीं का पंजाब में राज रहा है। यही वजह है कि राजनीतिक दलों ने इसे मुद्दा बनाना शुरू कर दिया। दलितों को बड़े पदों पर बैठाने की बात कहकर जातीय ध्रुवीकरण करने की कोशिश की गई। कांग्रेस ने दलित को CM बनाकर दलितों के लिए बड़ा संदेश दे दिया है।
  • अकाली दल ने चुनाव जीतने पर दलित डिप्टी CM बनाने का वादा किया। अकाली दल से अलग होने के बाद BJP ने कहा कि चुनाव जीते तो हम दलित CM बनाएंगे। आम आदमी पार्टी भी अक्सर कहती रही है कि उन्होंने दलितों को सम्मान देते हुए पंजाब विधानसभा में विपक्षी नेता के तौर पर हरपाल चीमा को नियुक्त किया है। चन्नी को CM बनाने से अब दलितों को रिझाने वाले इन सब मुद्दों के लिए कांग्रेस ने जवाब तैयार कर लिया है।

सिद्धू ने ऐसे पलटा रंधावा का गेम
कांग्रेस हाईकमान हिंदू चेहरे सुनील जाखड़ को CM बनाना चाहती थी। विधायक इस पर सहमत नहीं हुए और सिख चेहरे सुखजिंदर रंधावा को CM बनाने का फैसला हो गया। इसकी घोषणा होनी बाकी थी कि सिद्धू ने पेंच फंसा दिया। सिद्धू ने कहा कि अगर जट्‌टसिख CM बनाना है तो फिर उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया जाए। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो किसी दलित को CM बना दिया जाए। जिसके बाद विधायकों की मांग को देखते हुए सिख और दलित चेहरे के तौर पर चन्नी को CM बना दिया गया। सिद्धू ने रंधावा को CM बनाने का पूरी गेम ही पलटकर रख दिया।

संगठन के बाद सरकार में भी सिद्धू की चलेगी
चरणजीत चन्नी के CM बनने से साफ हो गया है कि संगठन के बाद अब सरकार में भी सिद्धू की ही चलेगी। चन्नी वो पहले नेता हैं, जिन्होंने सिद्धू को पंजाब प्रधान बनने के बाद चमकौर साहिब में अपने घर बुला लिया था। इसके बाद कैप्टन के खिलाफ बगावत की अगुआई भी चन्नी ने की। इससे साफ है कि चन्नी को CM बनवाकर सिद्धू ने अपने लिए रास्ता आसान कर लिया है। इससे वो जहां संगठन के तौर पर दलित CM का मुद्दा भुनाएंगे, वहीं अंदरखाने भी चन्नी के जरिए मनचाहे फैसले करवा सकते हैं।

आगे के लिए सिद्धू का रास्ता खुला
चर्चा थी कि अगर सुखजिंदर रंधावा CM बन जाते तो पंजाब कांग्रेस में अगले विस चुनावों की अगुआई का झगड़ा फिर शुरू हो जाना था। सिद्धू अगली बार CM बनने के इच्छुक हैं, ऐसे में वो चाहते हैं कि अगला चुनाव उनकी लीडरशिप में लड़ा जाए। ऐसे में चन्नी बेहतर विकल्प हैं, क्योंकि चन्नी स्वभाव से ज्यादा तेजतर्रार नेता नहीं हैं। वहीं, कांग्रेस जीती तो सिद्धू के लिए अगले चुनाव में उन्हें रिप्लेस करना आसान रहेगा।

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