द्रोणाचार्य  का आश्रम बना जे आर कान्वेंट दोन , जहां के छात्रों में अर्जुन बनने की लगी है होड़

द्रोणाचार्य  का आश्रम बना जे आर कान्वेंट दोन , जहां के छात्रों में अर्जुन बनने की लगी है होड़

विद्या  उत्तम साधन हैं,मनुष्य की ज्ञान सिद्धि के लिए

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क  :  

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ज्ञान से दीक्षित मनुष्य ही बेहतर समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। भारतीय संस्कृति में शिक्षा का बड़ा महत्व है। शील और संस्कारों से दीक्षित हमारे पुरखे अनादि काल से ज्ञान की खोज में लगे रहे हैं। बिहार तो ऐसे भी ज्ञान की भूमि रही है। हजारों साल पहले यहां पैदा हुए मनीषी अनवरत साधना और ज्ञान दान में लगे रहे हैं।

इसी बिहार के जिलों में सीवान जिला में बसा एक गांव दोन है। कहते हैं, हजारों साल पहले महाभारत काल में पांडवों के गुरु द्रोण कुछ दिन यहां रहकर अपने शिष्यों को शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा दे उन्हें प्रवीण करते थे। उन्हीं के नाम पर इस गांव का नाम द्रोण पड़ा, जो आगे चल कर दोन बन गया।

आस-पास मे बसे गांव कृष्णापाली, कर्णपुरा, एकलव्य का कुक्कुरभुक्का, बाणासुर इत्यादि के नाम इसकी तसदीक करते हैं कि इसी माटी पर महाभारत काल के धुरंधर योद्धा गढ़े गए और यह परंपरा आज भी कायम है।

सुनीता ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज व सुनीता एडुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष कुमार बिहारी पांडेय  और उनकी सहधर्मणी  संगीता पांडेय

इस गांव की माटी में पैदा हुआ एक शख्स, जिसकी उम्र 86 साल हो चली है, अपने कंधों पर यह गुरुतर भार ढो रहा है। नाम है-कुमार बिहारी पाण्डेय। खुद पांचवीं तक पढ़े पाण्डेय ने सन 1949 तक राजाओं, महाराजाओं के घरों में, होटलों में लोगों की सेवा करके अपनी जीविका चलाई, और भाग्य तो तब खुला जब मां नारायणी की कृपा से जॉन इलियट जैसे गुरु का साथ मिला, जिन्होंने अपने हाथों में पांडेय का हाथ रख कर इंजीनियरिंग का गुर सिखाया, जिसकी बदौलत वे आज इस मुकाम पर हैं।

पांडेय ने 2011 तक संतों की पगधूलि अपनी कर्मभूमि महाराष्ट्र की माटी पर बसी मुंबई को अपना सर्वस्व दे दिया। मगर वह संतों की माटी भी कहां पीछे रहने वाली थी। उसने भी उन्हें गौरव से वंचित नही रखा ।

टाइम्स ग्रुप के इकनॉमिक टाइम्स द्वारा देश के पायोनीयर के खिताब से नवाजते हुए

इसी साल के प्रारम्भ में 8 मार्च 2021 को मुंबई के टाइम्स ग्रुप के इकनॉमिक टाइम्स के द्वारा पाण्डेय को उनके घोर परिश्रम और ऊंची सोच के कारण 23 मार्च 1968 को बनी कंपनी सुनीता इंजीनियरिंग वर्क्स जो आज सुनीता ग्रुप ऑफ कंपनीज में शुमार है, उसे इंजीनियरिंग टूल रूम का बेसिक मटेरियल रेडीमेड मशीन एंड ग्राउंड स्टील प्लेट मैनुफैक्चरिंग करने के लिए देश के पायोनीयर के खिताब से नवाजा है।

रेडीमेड   डाइ और टूल्स
रेडीमेड   डाइ और टूल्स

इसके लिए श्री पांडे का कहना है कि कोई भी मैन्युफैक्चरर इन रेडीमेड स्टैंडर्ड प्लेटों को पाकर अपनी डाइ और टूल्स कम से कम समय तीन महीने की जगह डेढ़ महीने और कम कीमत में अपनी मोल्ड, डाइ एंड टूल्स तैयार कर के देश को प्रगति एवं गति देकर सुदृढ़ कर सकता है।

इतना सब कुछ पा जाने के बाद भी अपनी माटी को नहीं भूलते हुए 2011 से स्वयं की जन्मभूमि दोन में खुद द्रोण की भूमिका में हैं, और इस पवित्र उर्वरा माटी से अर्जुन गढ़ने के लिए उम्र के इस पड़ाव पर भी ईमानदार प्रयास कर रहे हैं।

जे आर कान्वेंट दोन का मनोरम दृश्य

वर्ष 2011 की अक्षय तृतीया को पाण्डेय ने अपने गांव दोन मे अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एक विद्यालय खोला, जे. आर. कान्वेंट। उनकी मेहनत का नतीजा देखने को भी मिल रहा है। संस्कारयुक्त शिक्षा के कारण जे. आर. कान्वेंट एक कान्वेंट स्कूल नहीं रह गया है, बल्कि गुरु द्रोण का आश्रम बन चुका है।

विज्ञानं प्रदर्शनी में बच्चों द्वारा बनाये गए प्रोजेक्ट को देखते तत्कालीन सीवान जिला जज मनोज शंकर

यहां पढ़ रहे करीब डेढ़ हजार बच्चों के बीच द्रोण के आश्रम में अर्जुन बनने की होड़ लगी हुई है, और यही होड़ तो किसी की जिंदगी में कामयाबी के सितारे जोड़ देती है।

100 में 100 अंक प्राप्त करने पर मनीष कुमार और उनके शिक्षक डी एन तिवारी, पिता मनोज कुमार को सम्मानित करते विद्यालय के अध्यक्ष कुमार विहारी पांडेय

सी. बी. एस. ई. बोर्ड की वर्ष 2020 की दसवीं की परीक्षा में देश-विदेश के 500 उत्कृष्ट छात्रों में जे. आर. कान्वेंट का छात्र बेलांव निवासी मनोज कुमार के सुपुत्र मनीष कुमार ने गणित जैसे कठिन विषय में 100 में 100 अंक प्राप्त कर जे. आर. कॉन्वेंट का परचम लहराया है और माता-पिता ही नहीं समाज और देश का गौरव बढ़ाया है।

अत्याधुनिक प्रयोगशाला

पांडेय ने बताया कि यह सब संभव हुआ है, मेरी मां नारायणी की महती कृपा, द्रोण की पगधूलि की उर्वरता, शिक्षकों का कुशल मार्गदर्शन तथा इस विद्यालय में

जे आर कान्वेंट का सुसज्जित कम्प्यूटर कक्ष

उपलब्ध सुविधाजनक क्लास, बड़े-बड़े सभागार, अत्याधुनिक भौतिकी, जीवविज्ञान, रसायन और कम्प्युटर की प्रयोगशालाएं, इंटरनेट युक्त स्मार्ट क्लासेस, समृद्ध पुस्तकालय, नाट्यशाला, इन्डोर और आउटडोर खेल के मैदान के साथ-साथ ।

बच्चों के प्रोजेक्ट को देखते तत्कालीन जिलाधिकारी सीवान महेंद्र कुमार

जॉन  इलियट प्रा. आई. टी. आई. भी इसी परिसर में स्थित है,जहां जे. आर.कॉन्वेंट के बच्चों को भी कुछ तकनीकी ज्ञान दिया जाता है। विद्यालय की विशेषता के लिए पांच एकड़ में फैले इस लुभावने परिसर में चौड़े-चौड़े रोड, भांति-भांति के वृक्ष आदि इसलिए लगाए गए हैं कि विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुसार विषय चुन कर स्वच्छ और शांत वातावरण में अपनी पढ़ाई के साथ-साथ खुद को खुद गढ़ सकें।  विद्यालय परिसर में घुसते ही यहां का नैसर्गिक दृश्य, उपलब्ध संसाधन और सुविधाएं देख लोग मुग्ध हो जाते हैं।

प्राथर्ना सभा में मौजूद स्कूल  के बच्चें

पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमत को देखते हुए 25-30 किलोमीटर दूर से आने वाले बच्चो के लिए अब तो स्कूल के पास ही फ्लैट बनाने की योजना पर काम चल रहा है, जहां रहकर लोग अपने बच्चों को सुविधा से पढ़ा सकें। इससे बच्चों की पढाई भी अच्छी होगी और ट्रासपोर्ट का खर्च घट जायेगा, और उनकी नजरों के सामने रहकर बच्चा अच्छी शिक्षा ग्रहण करेगा। आज बीसों परिवार दोन में किराए का मकान लेकर अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं। वैसे भी इस स्कूल के बच्चों से मिलने के बाद एहसास होता है कि वे यकीनन शिक्षित हो रहे हैं।

पाण्डेय का कहना है कि हमारे शिक्षकों का जोर शिक्षा पर नहीं, बल्कि ज्ञान पर है। हम बच्चों के भीतर ज्ञान विकसित करना चाहते हैं ताकि वक्त आने पर वे चुनौतियों का स्वयं सामना कर सकें, और खुद से खुद को गढ़  सके। महाराजा जनक के गुरु अष्टावक्र के महामंत्र ’सा विद्या या विमुक्त्ये’ के आधार पर भी बच्चों को शिक्षित किया जाता है कि विद्या वही है जो अज्ञानता, कष्ट, क्लेश, क्लांति, दुर्भिक्ष से मुक्ति दिला दे। इस मंत्र को समझकर जो भी छात्र पढाई करेगा उसके लिए कोई भी कामयाबी उससे दूर नहीं रह जाएगी ।

सुनीता इंजीनियरिंग में निर्मित रेडिमेंट  ढाई पार्ट्स

जॉन  इलियट प्रा. आई. टी. आई. के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि यह संस्थान मैंने अपने उस महान गुरु चार्टेड इंजीनीयर जॉन  इलियट के सम्मान में खड़ा किया है, जिनको भारत सरकार ने 1955 में हैदराबाद में टूल रूम बनाने के लिए टेक्निकल एडवाइजर बनाकर अमेरिका से भारत लाया था। दैवयोग से उनकी ही कंपनी बॉम्बे टूल एंड डाइ, मुंबई में मुझे वाचमैन बनने का मौका मिला और मैंने रातों-दिन अपनी कड़ी मेहनत और लगन के कारण इंजीनीयरिग का गुर सीखा ।

जॉन ईलियट कुमार बिहारी पांडेय के गुरु

जिस कंपनी में उन्होंने सर्वप्रथम भारत में रेडीमेड मोल्ड बेस और डाइ सेट बनाने का चलन प्रारम्भ किया था। मगर किसी कारण जब जॉन इलियट साहब को भारत छोड़कर हमेशा के लिए अमेरिका जाना पड़ा तो उन्हीं के पद चिन्हों पर चलते हुए मैनें स्टैंडर्ड मशीन एंड ग्राउंड प्लेट बनाना प्रारम्भ किया । जिस पर वे अपना प्रोडक्ट बनाते थे।

वी वी देशमुख, तत्कालिन वायस प्रसिडेंट लार्सन  एंड टुब्रो, टूल रूम

 

इसका फायदा लगभग 52-53 वर्षों से देश की लार्सन एंड टूब्रो जैसी अनेकों छोटी-बड़ी कंपनियों के टूल रूम उठा रहे हैं। उन्हीं से सीखा हुआ यह महामंत्र आज मैं आई. टी. आई. दोन के छात्रों को भी दे रहा हूं, जिससे वे तकनीकी ज्ञान में पारंगत होकर अपने सपनों को साकार कर सकें और इस उद्देश्य में यह संस्थान पूरी तरह सफल भी रहा है। यहां का पढ़ा हुआ कोई भी छात्र आज बेकार नहीं है।

महाराष्ट्र के महामहिम राजयपाल भगत सिंह कोशियारी को अपनी स्वरचित पुस्तके प्रदान करते कुमार बिहारी पांडेय

उनकी स्वरचित किताबों के बारे में पूछने पर श्री पांडेय ने कहा कि ये तो हमारी घुमक्कड़ी का नतीजा है जो हमारी बुद्धि का विकास कर हमें अनुभवशील बनाया है और मेरा मानना है कि अनुभव ही किसी भी रचना को सुंदर और उत्तम बना सकता है। इसी अनुभव के आधार पर मैने अपना जीवन चरित्र अनुभवों  का आकाश, माँ की चरित्र नारायणी, हरि अनंत हरि कथा अनंता ,पैट्रिशिया डिक(सामजिक उपन्यास) लिखा। कभी आंख मेरी नम नही, फुलवारी और अनुभूतियाँ तो मेरी हर्ष, विषाद और उन्माद के दस्तावेज है, जिनको मैं उन क्षणों में गुनगुनाया था वो आज कविता बन गयी है।

बिहार के पूर्व राजयपाल डी वाई पाटिल से मिलते कुमार विहारी पांडेय

मैं बच्चों को यहाँ एक और सीख देना चाहता हूँ कि किसी भी कामयाब आदमी को अपना आदर्श बना कर उससे सीखते रहें। इन्हीं के पास जीवन को मूल्यवान बनाने का महामंत्र होता है। मैने भी यहीं  किया है।

विद्यालय के बच्चों को अपनी स्वरचित पुस्तक देकर सम्मानित करते विद्यालय के अध्यक्ष 

श्री पाण्डेय ने अपनी ज़िन्दग़ी के बारे में बताते हुए कहा कि मैं अपनी ज़िन्दग़ी से पूर्ण सन्तुष्ट हूँ। जो भी खिलौना मॉ नारायणी से माँगा उन्होंने मुझे कभी निराश नहीं किया और जिन्दगी ने तो इतना दिया कि शायद ही किसी और को देती होगी। आप ही बताइये छोटे-छोटे होटलों में काम करने वाले को कभी आईएस और आईपीएस दामाद मिलते है क्या? मगर मुझे मिले है।

विरेन्‍द्र रामबहाल तिवारी अतिरिक्त प्रधान मुख्य वनसंरक्षक महाराष्‍ट्र, कुमार बिहारी पांडेय के बड़े दमाद

उत्तर प्रदेश (लखनऊ) का सर्वप्रथम पुलिस कमिशनर का इतिहास रचने का स्वभाग्य मेरे ही छोटे दामाद श्री सुजीत पाण्डेय को मिला है और बडे़ दमाद विरेन्‍द्र बहाल तिवारी भी कही कम नहीं है ,

सुजीत पाण्डेय,  उतर प्रदेश में सर्वप्रथम लखनऊ का पुलिस कमिशनर, छोटे दमाद

वे आज महाराष्ट राज्य के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वनसंरक्षक के पद को सुशोभित कर रहें है, दोनों बेटे संजय और सतीश कम्पनियों को कुशलता से संभाल कर हमें निश्चिन्त कर दिये है।

 बडे़ पुत्र संजय पांडेय अपनी पत्‍नी व बच्‍चों के साथ

समाज ने भी सिरमाथे पर बैठाकर अकिंचन को प्रेम से सने हजारों हजार पुरस्कार से नवाजा है। बेहद कम शुल्क के सवाल पर उन्होंने बताया कि धन कमाना मेरा ध्येय नहीं रहा है। बस एक ही सपना देखा है कि गुरु द्रोण की इस माटी के गौरव की गंध देश ही नहीं, दुनिया में पसर जाए।

छोटे पुत्र  सतीश पांडेय अपनी पत्‍नी व बच्‍चों के साथ

नोट – विद्यालय में नामांकन प्रारम्भ है । इच्छुक अभिभावक बच्चों का नामांकन यथाशीघ्र करा लें। विशेष जानकारी के लिए विद्यालय के आफिस में सम्पर्क करें।

बेहद कम शुल्क के सवाल पर उन्होंने बताया कि धन कमाना मेरा ध्येय नहीं रहा है। बस एक ही सपना देखा है कि गुरु द्रोण की इस माटी के गौरव की गंध देश ही नहीं, दुनिया में पसर जाए और मेरा जो भी कर्म होगा वह उत्तम से उत्तम बनता रहें।

नोट – विद्यालय में नामांकन प्रारम्भ है । इच्छुक अभिभावक बच्चों का नामांकन यथाशीघ्र करा लें। विशेष जानकारी के लिए विद्यालय के आफिस में सम्पर्क करें।
मोबाइल नंबर-7547045118,
9576466461
ई-मेल : jrcsiwan@gmail.com
वैबसाइट : www.jrconvent.com
सुनीता विद्या नगरी
जे. आर. कान्वेट , दोन, सीवान, बिहार।

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