फाइलेरिया उन्मूलन: दवा जरूरी और है सुरक्षित भी, दवा खाने में न करें संकोच

फाइलेरिया उन्मूलन: दवा जरूरी और है सुरक्षित भी, दवा खाने में न करें संकोच

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

21.76 लाख लोगों को खिलाई जानी है फाइलेरिया मुक्ति की दवा,

सोमवार की जिले के 5% लोगों को आशा ने अपने सामने खिलाई दवा।

श्रीनारद मीडिया‚ मधेपुरा, (बिहार):

आम तौर पर हाथी पांव के नाम से जाना जाने वाले रोग फाइलेरिया के उन्मूलन के लिये सर्वजन दवा सेवन अभियान की शुरुआत जिले में 20 सितंबर से ही चुकी है। सदर अस्पताल से स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकरियों सहित कर्मियों ने भी फाइलेरिया मुक्ति की दवा खाकर इस अभियान की शुरुआत की थी। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को लक्षित जनसंख्या के 5% लोगों को डी ई सी एवम् एलबेंडाजोल की दवा खिलाई गई। फाइलेरिया मुक्ति अभियान के दौरान जिले में 21.76 लाख लोगों को निर्धारित दवा सेवन कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोग से ग्रस्त लोगों को दवा नहीं खिलाई जायेगी। अभियान के दौरान आशा कर्मी घर घर भ्रमण करेंगे। अपनी निगरानी में डीईसी और एल्बेंडाजोल यानी कृमि मारने की दवा खिलाएंगे। दवा पूरी तरह सुरक्षित है। कुछ लोगों में दवा का मामूली रिएक्शन जैसे उल्टी, खुजली व बुखार आदि हो सकता है। ठीक होने के लिये किसी खास दवा की भी जरूरत नहीं पड़ती। आधे से एक घंटे में सब कुछ नार्मल हो जाता है।

जिले को कालाजार एवम् फाइलेरिया से मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग कटिबद्ध –

जिले के सिविल सर्जन डॉ अमरेन्द्र नारायण शाही कहते हैं कि अन्य कार्यक्रमों की तरह फाइलेरिया उन्मूलन अभियान की सफलता के लिये भी समाज एवम् समुदाय सहयोग बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिले को स्वस्थ्य और समृद्ध बनाने के लिये कालाजार, पोलियो, फाइलेरिया के साथ साथ कोरोना मुक्त करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाले रोग फाइलेरिया से बचने के लिये साफ सफाई का ध्यान रखना जरूरी है।

फाइलेरिया – उपाय है बचाव-

रात के समय रक्त की बूंद लेकर उसका परीक्षण ही एक मात्र ऐसा निश्चित उपाय है जिससे इस बात पता चल सकता है कि किसी व्यक्ति में हाथी पाँव रोग के कीटाणु है अथवा नहीं। यह इसलिए क्योंकि रात को ही फाइलेरिया कीटाणु रक्त-परिधि में दिखाई पड़ते हैं। जिस व्यक्ति में ये कीटाणु पाए जाते हैं, उनमें साधारणतः रोग के लक्षण व चिन्ह प्रकट रूप में दिखाई नहीं देते। उन्हें अपने रोग का अहसास नहीं होता। ऐसे व्यक्ति इस रोग के अन्य लोगों में फैलाने का श्रोत बनते हैं। यदि इन व्यक्तियों का समय पर उपचार कर दिया जाता है तो इसे न केवल इस रोग की रोकथाम होगी बल्कि हाथी पाँव रोग को फैलने से भी रोका जा सकता है।

फाइलेरिया परजीवी की औसतन आयु 4 से 6 वर्ष की होती है-

फाइलेरिया रोग वाले सभी क्षेत्रों में सब लोग डी.ई. सी. दवा की सालाना खुराक लें, यह अति आवश्यक है। क्योंकि फाइलेरिया परजीवी की औसतन आयु 4 से 6 वर्ष की होती, है, इसलिए 4 से 6 साल तक डी. ई. सी. एक एकल सालाना खुराक यानि, सर्वजन दवा सेवन कराकर इस संक्रमण के प्रसार को प्रभावी तौर पर समाप्त किया जा सकता है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!