धीरे-धीरे सिस्टम से बाहर हो रहे हैं,दो हजार रुपए के नोट.

धीरे-धीरे सिस्टम से बाहर हो रहे हैं,दो हजार रुपए के नोट.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश की करेंसी व्यवस्था से दो हजार रुपये के नोट धीरे-धीरे बाहर किए जा रहे हैं। पिछले दो वित्त वर्षों से आरबीआइ ने दो हजार के नोट छापने का आर्डर नहीं दिया है। इसी का नतीजा है कि देश में प्रसारित कुल नोटों में दो हजार रुपये के नोटों की संख्या 3.27 फीसद से घटकर 2.01 फीसद रह गई है। आने वाले दिनों में इसके और घटने की संभावना है। इस बारे में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में जानकारी दी है। एक लिखित प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि 30 मार्च, 2018 में 2000 रुपये के 336.2 करोड़ नोट सर्कुलेशन में थे, जो 26 फरवरी, 2021 में घटकर 249.9 करोड़ रह गए हैं।

अगर मूल्य में देखे तो मार्च, 2018 में कुल सर्कुलेशन में 37.26 फीसद हिस्सा 2000 के नोट का था, जो अब घटकर 17.78 फीसद रह गया है। ठाकुर ने बताया है कि किस मूल्य के कितने नोट छापे जाने हैं, इसका फैसला आरबीआइ से विमर्श के बाद होता है। जहां तक दो हजार रुपये के नोट का सवाल है तो 2019-20 और 2020-21 में इसकी प्रिंटिंग नहीं करवाई गई है।

इससे पहले आरबीआइ भी बता चुका है कि किस तरह वह दो हजार रुपये के नोटों का प्रसार लगातार घटाने की कोशिश में है। 2016-17 में 2000 रुपये के 354.3 करोड़ नोट छापे गए थे। 2017-18 में 11.5 करोड़ और इससे अगले वित्त वर्ष में सिर्फ 4.67 करोड़ नोट छापे गए थे।

नवंबर, 2016 में नोटबंदी के समय सरकार ने देश में प्रचलित पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बाहर कर दिया था और 500 और 2000 रुपये के नए नोट पेश किए थे। नोटबंदी का एक कारण सरकार ने यह बताया था कि बड़े नोटों से काला धन जुटाने वालों को आसानी होती है। ऐसे में विपक्ष ने 2000 रुपये के नोट लाने पर सवाल भी उठाए थे।

आंकड़ों से साफ है कि सरकार ने एक-दो साल बाद ही दो हजार के नोटों को प्रचलन से बाहर करने पर काम शुरू कर दिया था। इस दिशा में बैंकों की भूमिका अहम है। जो नोट बैंक शाखाओं में आते हैं, उन्हें फिर सर्कुलेशन में डालने के बजाय ज्यादातर को रिजर्व बैंक के पास वापस भेज दिया जाता है।

2016 में की गई ऐतिहासिक नोटबंदी के बाद 500 रुपये और दो हजार रुपये के नए नोट शुरू किए गए थे। तब चलन में रहे 500 रुपये व एक हजार रुपये के नोटों का कालाधन बढ़ाने वाले बताकर बंद किया गया था, लेकिन 1000 रुपये का नोट बंद कर 2000 का शुरू करने पर सवाल उठे थे। अब चर्चा है कि दो हजार के नोट भी बंद किए जा सकते हैं। इस आशंका को इसलिए भी बल मिल रहा है, क्योंकि सरकार ने संसद में बताया है कि दो साल से 2000 का एक भी नया नोट नहीं छापा गया है।

वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को संसद को एक लिखित जवाब में बताया कि 30 मार्च 2018 को 2000 रुपये के 336.2 करोड़ नोट चलन में थे, जबकि 26 फरवरी 2021 को इनकी संख्या घटकर 249.9 करोड़ रह गई। बैंक नोटों की छपाई का फैसला जनता की लेन-देन की मांग को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक की सलाह पर लिया जाता है। 2019-20 और 2020-21 में 2000 रुपये के नोटों की छपाई का ऑर्डर नहीं दिया गया।

धीरे-धीरे कम की बड़े नोट की छपाई
इससे पहले रिजर्व बैंक ने 2019 में बताया था कि वित्त वर्ष 2016-17 में 2000 रुपये के 354 करोड़ नोटों की छपाई की गई थी। इसके बाद 2017-18 में केवल 11.15 करोड़ नोटों की छपाई हुई।  2018-19 में 4.669 करोड़ नोट छापे गए तो अप्रैल 2019 के बाद से एक भी नोट नहीं छापा गया।

कालेधन पर रोक का इरादा
वैसे 1000 रुपये का नोट बंद कर 2000 रुपये का शुरू करने का सरकार का फैसला अर्थविदों की नजर में हमेशा खटकता रहा है। उनका कहना था कि कालेधन के प्रसार को रोकने के लिए नोटबंदी की गई तो इतनी बड़ी राशि का नोट चालू करना कैसे उचित हो सकता है? अब माना जा रहा है कि सरकार दो हजार रुपये के नोट को भी बंद कर सकती है, ताकि कालेधन पर रोक लगाई जा सके।

बता दें, 8 नवंबर 2016 को पीएम मोदी ने नोटबंदी की ऐतिहासिक घोषणा की थी। तब 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर किया गया था। इसके बाद सरकार ने 500 व 2000 रुपये के नोट जारी किए थे।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!