बिहार में तीन मार्च को होगी जन विश्वास महारैली,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

रैली में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, दीपांकर भट्टाचार्य, येचुरी, राजा सहित कई नेता शामिल होंगे.

महागठबंधन दलों के शीर्ष नेता पटना में भाग लेंगे. ये लोग भाजपा के खिलाफ पटना के गांधी मैदान से एक नये सिरे से हुंकार भरेंगे. तीन मार्च को महागठबंधन की ओर से जन विश्वास महारैली आयोजित की जायेगी. महारैली में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सह वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, भाकपा माले के काॅ दीपंकर भट्टाचार्य, सीपीआई के डी राजा, सीपीआइ (एम) के सीताराम येचुरी और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सहित सभी दलों के प्रदेश अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता शिरकत करेंगे.

महागठबंधन की संयुक्त बैठक में लिया गया फैसला

महागठबंधन के सभी दलों के नेताओं की संयुक्त बैठक बुधवार को राजद के राज्य कार्यालय में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की अध्यक्षता में हुई. बैठक में सर्वसम्मति से जन विश्वास रैली की घोषणा की गयी. बैठक में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ अखिलेश प्रसाद सिंह , कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कृपानाथ पाठक, भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य मीना तिवारी, वरिष्ठ नेता केडी यादव, अभ्युदय, सीपीआइ के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय, सीपीआइ नेता जानकी पासवान, रामबाबू कुमार, सीपीआइ (एम) के सर्वोदय शर्मा, अरुण कुमार, राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुलबारी सिद्दीकी, राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक, भोला यादव, प्रदेश उपाध्यक्ष श्री वृशिण पटेल, प्रदेश प्रधान महासचिव रणविजय साहू मौजूद रहे.

17 माह बनाम 17 साल पर होगा बिहार में चुनाव

बैठक के बाद संवाददातओं को संबोधित करते हुए महागठबंधन नेताओं ने कहा कि 17 महीने बनाम 17 साल के कार्यों के साथ-साथ बिहार में हुए जाति गणना, आरक्षण की व्यवस्था को 75 प्रतिशत किये जाने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जायेगी. संवाददाता सम्मेलन में राजद के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद, चितरंजन गगन, मृत्युंजय तिवारी, सारिका पासवान, मधु मंजरी, पूर्व विधायक दीनानाथ सिंह यादव, प्रमोद कुमार राम आदि उपस्थित थे.

बिहार की राजनीति हाल के दिनों में अटकलों से भरी रही है. नीतीश के अलग होने के बाद लालू यादव से सवाल किया गया था. पूछा गया कि क्या नीतीश के लिए आरजेडी के साथ दोबारा गठबंधन का रास्ता खुला है. लालू का जवाब था कि रास्ता तो खुला ही रहता है. विश्वास मत के दौरान नीतीश के प्रति तेजस्वी का भी मिजाज नरम दिखा.

इन घटनाओं से बिहार में राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन पर सवालिया निशान लगे हुए थे. लेकिन तेजस्वी की इस यात्रा की तैयारियों पर गौर करें तो कम-से-कम अगले लोकसभा चुनाव के लिए आरजेडी ने खुद को नीतीश की पार्टी जेडीयू से अलग कर लिया है. साथ ही उन्होंने ये भी तय कर लिया है कि इस यात्रा में तेजस्वी के निशाने पर मुख्य रूप से कौन रहेंगे.

यात्रा से पहले क्या बोले तेजस्वी?

जन विश्वास यात्रा शुरू करने से एक दिन पहले तेजस्वी ने एक फेसबुक लाइव किया. इस लाइव का नाम दिया- फेसबुक चौपाल. इस ‘चौपाल’ में उनकी बातों से यात्रा से जुड़े कई मुद्दे साफ हो गए. पहला तो ये कि जिस नीतीश कुमार को वो ‘अभिभावक’ और ‘दशरथ’ समान बता रहे थे. लेकिन उतने ही हमलावर रहे.

करीब 22 मिनट के अपने फेसबुक चौपाल में उन्होंने करीब 18 मिनट का समय नीतीश कुमार पर निशाना साधने के लिए लिया. शुरूआत के दो मिनट वो चुप रहे थे. आरोप क्या लगाए? तेजस्वी ने वही बातें कीं, जो कहते आए हैं. पूरी बातचीत नीतीश कुमार की ‘पलटीबाजी’ और सरकारी नौकरी के वादे के इर्द-गिर्द घूमती रही.

उन्होंने कहा, हमें (महागठबंधन को) छल कपट से सत्ता से बेदखल किया गया. 2010 में NDA की सरकार में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे. 2013 में उन्होंने भाजपा को छोड़ा. 2014 में मांझी को मुख्यमंत्री बनाया और 2015 में हटा दिया. फिर 2014 का लोकसभा का चुनाव अकेले अपने बलबूते पर लड़े तो 27 सीटों पर जमानत जब्त हो गई. फिर 2015 में महागठबंधन से मुख्यमंत्री बनें. फिर 2017 में हमें छोड़ा और फिर से भाजपा के साथ चले गए. इसके बाद 2020 का चुनाव NDA के साथ लड़े. 2022 में फिर भाजपा को छोड़ा फिर 2024 में हमें छोड़कर चले गए.”

आकड़ें क्या कहते हैं?

2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में आरजेडी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. बिहार में कुल 40 लोकसभा सीट है. 2019 में भाजपा के खाते में 17, जेडीयू के खाते में 16 और लोक जनशक्ति पार्टी के खाते में 6 सीटें आई थीं. राज्य में कांग्रेस को 1 सीट पर जीत मिली थी.

लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव का सामना जिन दलों से होने वाला है उनके नंबर्स पिछले चुनाव में काफी मजबूत रहे हैं. इसका अंदाजा इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है. BJP ने 2019 में बिहार में 17 सीटों पर उम्मीदवार उतारा. सारे उम्मीदवार जीत गए. पार्टी को 24.06 फिसदी वोट शेयर्स के साथ कुल 96.1 लाख वोट मिले.

नीतीश की पार्टी जदयू ने भी 17 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. पार्टी को 16 सीटों पर जीत मिली. 22.26 फिसदी वोट शेयर्स के साथ कुल 89 लाख वोट मिले. वहीं लोजपा ने 6 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे और सभी 6 सीटों पर जीत गए. 8.02 प्रतिशत वोट शेयर्स के साथ कुल 32 लाख वोट मिले.

आगामी लोकसभा चुनाव में भी BJP, JDU और चिराग पासवान एक साथ खड़े हैं. इनकी तुलना में पिछली बार राजद के नंबर्स काफी कमजोर रहे. 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद ने 19 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन जीत एक भी सीट पर नहीं मिली. वोट शेयर 15.68 प्रतिशत रहा. पार्टी को इस चुनाव में कुल 15.68 लाख वोट मिले थे. राज्य में राजद के सहयोगी कांग्रेस का भी बुरा हाल रहा. कांग्रेस ने 9 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा. जीत मिली सिर्फ एक पर. वोट शेयर भी 7.85 प्रतिशत ही रहा. पार्टी को कुल 31.4 लाख वोट मिले थे.

 

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