नियमों को तक पर रख आयुर्वेदिक काॅलेज के प्राचार्य ने 70 वर्ष की आयु तक कराया सेवा-विस्तार।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

दयानन्द आयुर्वेदिक काॅलेज एवं अस्पताल सिवान (बिहार) के प्राचार्य डाॅ0 प्रजापति त्रिपाठी द्वारा नियमों के प्रतिकूल शासी-निकाय से 70 वर्ष की आयु तक सेवा-विस्तार करा लिया है,इस बारे में दयानन्द आयुर्वेदिक काॅलेज एवं अस्पताल सिवान (बिहार) के पूर्व सचिव डाॅ0 प्रभुनाथ पाठक ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा है कि डाॅ0 प्रजापति त्रिपाठी अद्यतन नियमों के अनुसार 67 वर्ष की आयु पूरा करने के बाद 28 फरवरी 2021 में ही कानूनी रूप से सेवानिवृत हो गए हैं, परन्तु शासी-निकाय को प्रभावित कर उन्होंने विगत लगभग पाँच माह पूर्व यह नियमों के विपरीत यह प्रस्ताव पारित करा लिया है कि 70 वर्ष की आयु तक उन्हें काम करने का आदेश दिया जाता है।

विदित हो कि उक्त प्राचार्य के विरूद्ध कई जाँच प्रक्रियाधीन हैं। ज्ञात हो कि Bihar State Universities Act, 1976 की धारा 67 (A)में स्पष्ट व्यवस्था देती है कि सेवा विस्तार का कोई अधिकार विश्वविद्यालय को भी प्राप्त नहीं है। ऐसी स्थिति में शासी-निकाय को सेवानिवृ की उम्र बढ़ाने का अधिकार कहाँ है? यह अधिकार केवल सरकार की अनुशंसा पर कुलाधिपति/सी0सी0आई0एम0, नई दिल्ली को प्राप्त है। एक आर0टी0आई0 में के0एस0डी0एस0 विश्वविद्यालय, दरभंगा ने विगत माह अधोहस्ताक्षरी को यह सूचना भी दी है कि शासी-निकाय को उम्र बढ़ाने का कोई अधिकार नहीं है। बावजूद इसके शासी-निकाय ने इनके अवकाश प्राप्त करने की आयु बढ़ा दी है। डाॅ0 पाठक ने आगे बताया कि कुलपति महोदय का कहना है कि उम्र बढ़ाने के अधिकार के संबंध में मैं कुछ नहीं करूॅगा।

कथित प्राचार्य काफी प्रभावशाली हैं और लगातार इसी काॅलेज में 32-33 वर्षो से प्रचार पद पर बने हुए हैं। डाॅ0 त्रिपाठी के लिए सरकारी नियम-कानूनों का कोई मतलब नहीं है। 1985 में स्वयं उन्हीं के आवेदन पत्र पर राजभवन ने उक्त एक्ट की धारा 67 (A) के अनुरूप इसी काॅलेज के तत्कालीन प्राचार्य प्रोफेसर रामचन्द्र त्रिपाठी कोे सेवानिवृत करने का आदेश दिया था। कुलाधिपति के कार्यालय में जो भी शिकायतं डाॅ0 त्रिपाठी के विरूद्ध भेजी जाती हैं उसे कार्यालय विश्वविद्यालय को प्रतिवेदन हेतु भेज देता है।

राजभवन के आदेश की भी विश्वविद्यालय अनदेखी करता है और मांगे गए प्रतिवेदनों को या तो नहीं भेजता है या काफी बिलम्ब से महीनो (लगभग 5-6 महिनों) बाद खानापूर्ति करने के लिए शासी-निकाय के सचिव के पास भेज देता है। प्रमाण के रूप में राजभवन के पत्रांक-एस0यू0 22/2013/2180/रा0स0(01) दिनांक-25/09/2020 को देखा जा सकता है जिसे लगभग पाँच माह बाद विश्वविद्यालय ने अपने पत्रांक-86 दिनांक-21.01.2021 को शासी-निकाय के सचिव के यहाँ जाँच हेतु भेजा है और मुझे इसकी प्रतिलिपि दी है।

डाॅ0 पाठक ने बिहार के कुलाधिपति से विनम्र निवेदन है किया है कि Bihar State Universities Act, 1976 की धारा 67 (A) के अन्तर्गत नियमानुकूल वर्तमान प्राचार्य डाॅ0 प्रजापति त्रिपाठी को अविलम्ब सेवानिवृत करने का आदेश के0एस0डी0एस0 विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति को देने की कृपा करें एवं साथ ही साथ प्राचार्य पर मेरे द्वारा लगाए गए आरोपों की जाँच किसी दूसरे विश्वविद्यालय के कुलपति से कराने की कृपा करें ताकि कि सीवान की सम्मानित जनता के साथ न्याय हो सकें।

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