स्वाभिमान, साहस, संघर्ष और संवेदनशीलता के यशश्वी हुंकार थे महाराणा प्रताप: गणेश दत्त पाठक

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राष्ट्र के सर्वप्रथम स्वतंत्रता सेनानी अद्वितीय रणबांकुरे महाराणा प्रताप की जयंती पर पाठक आईएएस संस्थान में श्रद्धासुमन किया गया अर्पित

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय स्वाभिमान के ओजस्वी, ऊर्जावान और यशश्वी हुंकार थे महाराणा प्रताप। उनका साहस और जुझारूपन तो उनकी पहचान रही है। लेकिन उनका संवेदनशील व्यवहार ही उनकी लोकप्रियता का मजबूत आधार था। चाहे वो आम जनता हो या मेवाड़ के उपेक्षित जनजाति या रहा हो उनका प्रिय घोड़ा चेतक। सभी के प्रति उनकी अप्रतिम संवेदनशीलता ही उनकी लोकप्रियता बढ़ाती रही।

इसी लोकप्रियता ने उन्हें अपार जनसमर्थन का आधार तैयार किया। जिसके आधार पर महाराणा प्रताप ने संसाधनों की सीमाओं के बावजूद शक्तिशाली मुगल सेना को कड़ी चुनौती पेश की। हल्दीघाटी महाराणा के यशश्वी शौर्य की पहचान बनी और महाराणा राष्ट्र की जीवंतता के प्रेरणा के स्रोत बनें। ये बातें सोमवार को सिवान के अयोध्यापुरी स्थित पाठक आईएएस संस्थान पर महाराणा प्रताप की जयंती पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए शिक्षाविद् श्री गणेश दत्त पाठक ने कही। इस अवसर पर संस्थान के स्टॉफ और कुछ सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी मौजूद रहे।

इस अवसर श्री पाठक ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में साहस और संवेदनशीलता में सुंदर समन्वय स्थापित कैसे किया जाता है? इसकी मिसाल थे महाराणा प्रताप। उन्होंने ताजिंदगी प्रजा के कल्याण के प्रयास आज की राजनीतिक संस्कृति के लिए एक बेहतरीन संदेश हैं।

श्री पाठक ने बताया कि महाराणा प्रताप अपने राज्य में, अपने प्रशासनिक क्रिया कलाप में, हर धर्म, अनुयायी और विचारधारा का सम्मान करते थे। उनका प्राथमिक ध्यान अपने राज्य को “राम राज्य” बनाना था, जहां कोई भी अपने अधिकारों से वंचित न हो और किसी भी आधार पर पूर्वाग्रह न हो।

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