राष्ट्रीय युवा दिवस पर मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र ने किया समारोह का आयोजन
श्रीनारद मीडिया ब्यूरो प्रमुख / सुनील मिश्रा वाराणसी (यूपी)
वाराणसी / बीएचयू के मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के तत्वाधान में विवेकानंद जयंती के अवसर पर ‘राष्ट्रीय युवा दिवस समारोह’ एवं आनलाईन व्याख्यान का आयोजन किया गया। केन्द्र के समन्वयक एवं कार्यक्रम के निदेशक प्रो. आशाराम त्रिपाठी ने कार्यक्रम में सम्मिलित देश के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े हुए लोगों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द हमारी संस्कृति के ध्वजवाहक थे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि दीपक तिवारी, पूर्व कुलपति, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द अद्वैत वेदान्त और उपनिषद के सनातन संस्कार से प्रेरित थे। स्वामी जी ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की अवधारणा के पोषक थे। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया व्यापक रूप से हमारे दैनिक व्यवहार को प्रभावित कर रहा है, इसलिए इसका सार्थक उपयोग करने की आवश्यकता है। सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव को दूर रखने के लिए हमें स्वामी विवेकानन्द के प्रेरक ‘उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम’ से प्रेरणा लेनी होगी।वहीं संजीव कुमार राय, संस्कृत भारती, वाराणसी ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र स्वामी विवेकानन्द जी की जयंती का आयोजन समारोह पूर्वक कर रहा है। स्वामी जी ने गुरु के आदेश को- कि सनातन धर्म का प्रचार सम्पूर्ण विश्व में करेंगे- सर्वोपरि माना। अतः उन्होंने विभिन्न प्रकार के कष्टों को सहते हुए गुरु मार्ग पर चलते हुए राष्ट्र का मान बढ़ाया इसलिए वे हम सभी के लिए श्रधेय हैं।मुख्य वक्ता केन्द्र के उप समन्वयक प्रो. गिरिजा शंकर शास्त्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वमी विवेकानन्द जी जैसे महापुरुषों का चरित्र हम सबके लिए प्रेरणा स्तम्भ है। स्वामी जी ने मनुष्य में मनुष्यत्व के विकास पर जोर दिया और धर्म मार्ग पर चलने का उपदेश दिया। स्वामी जी को उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस ने जगत कल्याण में प्रवृत्त होने का उपदेश दिया। स्वामी विवेकानन्द ने कहा कि मार्ग चाहे कितने भी भिन्न हो, जैसे नदिया हो, अन्त में वे ब्रम्ह या ईश्वर रुपी सागर को मिल जाते हैं। अध्यक्षता करते हुए प्रो. आशाराम त्रिपाठी ने कहा कि स्वामी जी से हमें करुणा, सदाचरण, प्रेम आदि मूल्यों की शिक्षा लेनी चाहिए। हमें अपने महापुरुषों से राष्ट्रहित के लिए समर्पण की शिक्षा लेनी चाहिए। कार्यक्रम संचालन डॉ. संजीव सर्राफ तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. उषा त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर डॉ. रामकुमार दांगी, डॉ. धर्मजंग, डॉ. राजीव कुमार वर्मा, डॉ. अभिषेक त्रिपाठी, डॉ. प्रीति वर्मा, डॉ. वैभव, डॉ. लालबाबू जायसवाल, सुरेश यादव, अरविन्द कुमार पाल, बहादूर, अभिषेक, छोटेलाल सहित विश्वविद्यालय के विद्यार्थी, शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित रहे।