पहली एवं दूसरी तिमाही के सुरक्षित गर्भपात के लिए चिकित्सकीय परामर्श है जरूरी

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गर्भपात कानून के बारे में आशा फेसिलिटेटर और आशा कार्यकर्ताओं को दी गई जानकारी

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हुलासगंज जहानाबाद अस्पताल में सुरक्षित गर्भसमापन को लेकर हुई बैठक

श्रीनारद मीडिया, जहानाबाद, (बिहार):

कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा है। इसमें सुरक्षित गर्भपात भी प्रमुख समस्या रही है। इसे लेकर मंगलवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल में आशा कार्यकर्ताओं और आशा फेसिलिटेटर के साथ आईपास डेलवपमेंट फाउंडेशन के सहयोग से बैठक का आयोजन किया गया जिसमे आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के सुनील कुमार ने आशा कार्यकर्ताओं को सुरक्षित गर्भसमापन और गर्भपात कानून के बारे में जानकारी दी। बैठक में चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुचित्रा और बीसीएम ऐवम अस्पताल प्रबंधक आशीष कुमार ऐवम सुबोध कुमार मौजूद थे।
इस दौरान आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के सुनील कुमार ने कहा कि कोरोना काल में कई महिलाएं अनचाहे रूप से गर्भवती हो गईं। कोरोना के कारण वह अपना सुरक्षित गर्भपात भी नहीं करा पायीं। सरकारी अस्पतालों में मिल रही सुविधाओं से वह वंचित रह गईं। लिहाजा उन महिलाओं का गर्भ अब पहली तिमाही से दूसरी तिमाही में प्रवेश कर चुका है। इसलिए उनका सुरक्षित तरीके से चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है। इससे वह सुरक्षित तरीके से अपना गर्भपात करा सकेंगी। इसे लेकर समाज में जागरूकता लानी होगी। इस पर सभी लोगों को प्रयास करने की जरूरत है।
सुरक्षित गर्भपात को लेकर परिजनों को ध्यान देने की जरूरत है। द्वीतीये तिमाही के गर्भसमापन की व्यवस्था सदर हॉस्पीटल जहानाबाद मे उपलब्ध है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट के तहत 20 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने की कानूनी तौर पर इजाजत है। 1971 में बने इस कानून को लेकर हालांकि कुछ शर्तें भी रखी गई हैं। इसे लेकर परिजनों को खास ध्यान देने की आवश्यकता है। बिचौलिये के संपर्क में नहीं पड़ना चाहिए। समस्या होने पर पास के सरकारी अस्पताल से संपर्क करना चाहिए। सरकारी अस्पतालों में कानूनी तौर पर निःशुल्क गर्भपात की सुविधा उपलब्ध है। 12 सप्ताह तक एक प्रशिक्षित डॉक्टर और 13 से 20 सप्ताह के अंदर तक दो प्रशिक्षित डॉक्टर की मौजूदगी में सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त सरकारी अस्पताल में गर्भपात होनी चाहिए।

दूसरी तिमाही में गर्भपात कराने के लिए जाएं सदर हॉस्पिटल जहानाबाद: आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के सुनील कुमार ने कहा कि भारत में होने वाली मातृ मृत्यु में आठ प्रतिशत मृत्यु असुरक्षित गर्भपात के कारण होती है। यदि किसी महिला को माहवारी के दिन चढ़ गए हो या उससे अनचाहे गर्भ ठहरने की आशंका हो तो तत्काल आशा या एएनएम से संपर्क कर डॉक्टर को दिखाना चाहिए। यदि गर्भधारण की पुष्टि होती है और महिला गर्भ नहीं रखना चाहती है तो तत्काल गर्भपात का निर्णय लेना चाहिए। अगर गर्भ नौ सप्ताह तक का है तो गोलियों से भी गर्भपात हो सकता है। गर्भपात जितना जल्द कराया जाता है, उतना ही सरल और सुरक्षित रहता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हुलासगंज अस्पताल में सिर्फ पहली तिमाही में गर्भपात सेवा दी जाती है। दूसरी तिमाही में गर्भपात कराने के लिए जहानाबाद स्थित सदर अस्पताल का रुख करना चाहिए। गर्भपात के साथ तत्काल गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग करना चाहिए। गर्भपात और गर्भधारण के बीच छह महीने का अंतराल होना जरूरी है तभी महिला स्वास्थ्य रह सकती है। मातृ मृत्यु दर मे कमी लाने हेतु हम सभी को मिलकर सार्थक रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है। अगर कोई आशा की महिला को सरकारी अस्पताल मे सुरक्षित गर्भसमापन के लिये लाती है तो उन्हे 150रुपए प्रोत्साहन राशी के रूप मे दिया जाता है और अगर गर्भसमापन के बाद महिला को आईं इऊ सी डी के लिऐ प्रेरित करती है और महिला गर्भसमापन के बाद आईं इऊ सी डी लगवा लेती है तो आशा को अलग से 150 रुपए प्रोत्साहन राशि के रूप मे दिया जाता है। अतः सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है जिससे मातृ मृत्यु दर मे कमी आये और हमारा समाज एक स्वस्थ्य समाज की ओर अग्रसर हो सके।

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