आज से 10 मार्च तक मनाया जाएगा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस

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राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम में 1 से 19 वर्ष तक के सभी बच्चे को मिलेगी अल्बेंडाजोल की खुराक

-गंदगी व दूषित मिट्टी के संपर्क से होता है बच्चों को कृमि, दी जायेगी दवा

-जिला नोडल पदाधिकारी के रूप में कार्यक्रम की निगरानी करेंगे डीआईओ

श्रीनरद मीडिया, किशनगंज  (बिहार )

 


स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार व समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद के द्वारा संयुक्त रूप से जारी पत्र के आलोक में बिहार के 01 वर्ष से लेकर 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को कृमि मुक्त करने के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम किशनगंज सहित 12 अन्य ज़िलों में 3 से 10 मार्च तक आयोजित किया जाएगा। कम उम्र के बच्चों में कुपोषण को दूर करने व खून की कमी की समस्या को जड़ से मिटाने के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस सप्ताह मनाया जाएगा। इस दौरान बच्चों को पेट में कीड़ा मारने की कृमि से मुक्ति की दवा खिलाई जाएगी। अधिकांश बच्चों में कृमि संक्रमण अस्वच्छता तथा दूषित मिट्टी के संपर्क में आने से होती है। कृमि संक्रमण से बच्चों के पोषण स्तर तथा हीमोग्लोबिन स्तर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जिससे बच्चों में शारीरिक व बौद्धिक विकास बाधित हो जाती है। कार्यक्रम के दौरान वैश्विक महामारी कोविड-19 द्वारा निर्गत आवश्यक दिशा-निर्देशों जैसे- कम से कम 6 फीट की सामाजिक दूरी, व्यक्तिगत स्वच्छता, मास्क का प्रयोग, सैनिटाइजर का उपयोग करना अतिआवश्यक होगा। जिला में तीन मार्च से 10 मार्च तक राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन किया जायेगा। 1 से 5 वर्ष तक के बच्चों तथा आंगनबाड़ी केंद्र अथवा स्कूल नहीं जाने वाले 1 से 19 वर्ष तक के ऐसे सभी बच्चे को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा गृह भ्रमण कर अल्बेंडाजोल दवाई खिलायी जायेगी। विद्यालय जाने वाले 6 से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को शिक्षकों द्वारा विद्यालय में यह दवाई 400 मिलीग्राम दी जायेगी। इसके लिए आंगनबाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता एवं विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। प्रशिक्षित शिक्षकों की निगरानी में सभी विद्यालयों में दोपहर में भोजनावकाश के समय बच्चों को कृमि नाशक दवा खिालाई जाएगी। इस दवा के सेवन से वंचित रहने वाले बच्चों को चिह्नित कर उन्हें विद्यालयों व आंगनबाड़ी केन्द्रों पर लाकर दवा खिलाई जाएगी।

डीआईओ करेंगे कृमि मृक्ति कार्यक्रम की निगरानी:
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी जिला नोडल पदाधिकारी के रूप में सिविल सर्जन के नेतृत्व में कार्यक्रम को सफलातपूर्वक संपादित करेंगे। डीपीएम, डीसीएम व डीईएमओ कार्यक्रम के क्रियान्वयन में डीआईओ को आवश्यक सहायता प्रदान करेंगे। जिला नोडल पदाधिकारी संबंधित विभागों और डेवलपमेंट पार्टनर्स के साथ समन्वय स्थापित करते हुए यह सुनिश्चित करेंगे कि जिला के सभी निजी व सरकारी विद्यालयों व उच्चतर शिक्षण संस्थान, तकनीकी शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान, केंद्रीय, नवोदय व कस्तूरबा विद्यालय सहित कोचिंग संस्थान व कौशल विकास केंद्र आदि को कार्यक्रम में शामिल करते हुए यहां पढ़ने वाले बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा खिलायी जाये।

दवा का सेवन कराते समय बरतनी होगी यह सावधानी: डीआईओ
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ रफत हुसैन ने बताया की ज़िले के सभी प्रखंडों के सभी 01 से 19 वर्ष तक के बच्चों को कुल 1039336 गोली दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के दौरान बच्चों को दवा खिलाते समय कुछ सावधानियां भी बरतनी हैं। जैसे कि अगर किसी बच्चों की कोई गंभीर बीमारी का इलाज चल रहा और वह नियमित रूप से दवा खा रहा है, जिसमें कोई भी बच्चा सर्दी ,खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ से बीमार है तो, उसे यह दवा नहीं खिलानी है। साथ ही अगर कोई बच्चा वैश्विक महामारी कोविड-19 संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति के संपर्क में आया है तो इसकी पुष्टि करनी पड़ेगी। उन बच्चों को दवा नहीं खिलानी है। 01 से 02 वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली को चुरा बनाकर पानी के साथ, 02 से 03 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरी गोली चुरा बनाकर पानी के साथ तथा 03 से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरी गोली चबाकर खिलाया जाना सुनिश्चित करना है।

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का मुख्य उद्देश्य:
सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया की राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का उद्देश्य बच्चों के समग्र स्वास्थ्य पोषण की स्थिति, शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए ज़िले के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं के माध्यम से 1 से 19 वर्ष की आयु के बीच के विद्यालय जाने से पहले और विद्यालय आयु के बच्चों (नामांकित तथा गैर नामांकित) को कीड़े समाप्त करने की दवा (कृमि नाशक) देना है।

पेट में कीड़ा होने से कुछ पल के लिए पड़ सकता हैं प्रतिकूल प्रभाव:
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ रफत हुसैन ने बताया की सबसे अहम बात यह हैं कि दवा खिलाने वाले कार्यकर्ता अपने ही सामने बच्चों को चबाकर दवा खिलाएंगे। जिन बच्चों के पेट में कीड़े की अधिकता होगीं उनके द्वारा दवा का सेवन करने पर मामूली सा लक्षण देखने को मिलेंगे। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। जैसे ही दवा खाने के बाद जी मचलना, पेट में हल्का दर्द, उल्टी, दस्त और थकान जैसे महसूस हो सकता है, लेकिन इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है। पेट में कीड़ा होने के कारण इस तरह के प्रतिकूल प्रभाव दिखाई पड़ सकते हैं। इस दौरान बच्चों को आराम करने की सलाह देने के साथ ही उसे बिस्तर पर सोने को कहें। उसके बाद 10 मिनट में ही समस्या अपने आप दूर हो जाएगी।

 

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