पटना उच्च न्यायालय ने सीवान प्रशासन को मंदिर के जमीन में बनाए गए सड़क को हटाने का दिया निर्देश 

पटना उच्च न्यायालय ने सीवान प्रशासन को मंदिर के जमीन में बनाए गए सड़क को हटाने का दिया निर्देश

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निजी भूमि में नगर प्रशासन ने जबरन बना दिया  था सड़क

15 दिनों के अंदर प्रशासनिक कब्जा हटाने का निर्देश।

सीवान में भू-माफिया का प्रशासनिक गठजोड़ उजागर।

मामला दहा नदी स्थित रामजानकी मानस मंदिर का।

श्रीनारद मीडिया, सेंंट्रल डेस्‍क:

भूमि विवाद बिहार में आम बात है ऐसा माना जाता है कि इसे लेकर प्रशासन व माफियाओं की पौ बारह सदैव रहती है। इनके गठजोड़ से आम व्यक्ति हमेशा त्रस्त रहता है। कुछ ऐसा ही मामला सीवान नगर स्थित दहा नदी पुलवा घाट राम जानकी मंदिर की भूमि को लेकर हुआ है, जहां नगर प्रशासन ने जबरन बल प्रयोग करते हुए माफिया के गठजोड़ से मानस मंदिर की भूमि पर सड़क का निर्माण करा दिया।

इस मामले को लेकर जिला प्रशासन से कई बार गुहार लगाई गई लेकिन कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई। तत्पश्चात आवेदक नरसिंह नारायण सिंह ने माननीय उच्च न्यायालय में मुकदमा संख्या 10752/2018 से गुहार लगाई, जिसमें बिहार सरकार, जिलाधिकारी सीवान, अनुमंडलधिकारी सीवान, अंचलाधिकारी सीवान सदर, नगर परिषद सीवान के अधिशासी अधिकारी, नगर परिषद के चेयरमैन, नगर परिषद सीवान के कार्यकारी अधिकारी और नगर परिषद के कनीय अभियंता को प्रतिवादी बनाया गया।

इस मामले पर माननीय उच्च न्यायालय ने अपने 10 नवंबर 2022 को दिए गए आदेश में बताया है कि उक्त तिथि से 15 दिनों के अंदर याचिकाकर्ता की जमीन की मापी करवा लें। मापी के उपरांत याचिकाकर्ता अपनी भूमि का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र होगा, वादी को अपने शांतिपूर्ण कब्जे में न तो राज्य और ना ही नगर परिषद सीवान को हस्तक्षेप करने की अनुमति दी जाएगी।

साथ ही माननीय उच्च न्यायालय ने स्पष्ट करते हुए निर्देश दिया है कि यदि प्रतिवादी पदाधिकारी इस आदेश का पालन नहीं करते हैं तो वादी को इस रिट याचिका को पुनर्जीवित करने और उनके विरुद्ध अवमानना कार्यवाई शुरू करने के लिए एक आवेदन दायर करने हेतु स्वतंत्रता होगा। इसके लिए न्यायालय उपरोक्त टिप्पणियां और निर्देशों के साथ रिट याचिका की अनुमति प्रदान करता है।

गौरतलब हो कि माननीय उच्‍च न्‍यालय के आदेश दिए दस दिन व्‍यतीत हो गये लेकिन प्रशासन द्वारा आदेश के आलोक में  धरातल पर  कोई कार्रवाई नहीं दिख रहा है।

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