राष्ट्रपति कोविंद UPSC पास करके ठुकरा दी थी नौकरी, स्कूटर पर घूम-घूमकर किया था चुनाव प्रचार.

राष्ट्रपति कोविंद UPSC पास करके ठुकरा दी थी नौकरी, स्कूटर पर घूम-घूमकर किया था चुनाव प्रचार.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बिहार आ रहे हैं। विधानसभा भवन की शताब्दी समारोह में वह मुख्य अतिथि हैं। 8 अगस्त 2015 से राष्ट्रपति बनने तक वह बिहार के राज्यपाल रहे हैं। 25 जुलाई 2017 को चीफ जस्टिस के समक्ष देश के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी। इसलिए उनके आगमन को लेकर भव्य तैयारी चल रही है। इसी उपलक्ष्य में आज हम उनसे जुड़ी कई रोचक जानकारियां लेकर आए हैं। जानिए राष्ट्रपति के राजनीतिक से लेकर निजी जीवन तक की 15 बातें जो काफी रोचक हैं।

1. स्कूल से आकर पिता की परचून दुकान पर बैठते थे कोविंद
1 अक्टूबर, 1945 को कानपुर जिले के परौख गांव में जन्म हुआ था। पिता का नाम मैकूलाल और माता का नाम कलावती है। पिता के पास शुरुआती दिनों में खेती के लिए जमीन नहीं थी। वह एक परचून की दुकान चलाते थे, जहां आयुर्वेदिक दवाइयां भी दी जाती थीं। कोविंद स्कूल से आने के बाद वहीं बैठते थे। उनके एक भाई प्यारेलाल आज भी झींझक कस्बे में परचून की दुकान चलाते हैं।

2. गांव से ही पूरी की प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा
रामनाथ कोविंद की प्रारम्‍भिक शिक्षा संदलपुर ब्लॉक के ग्राम खानपुर परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय में हुई थी। इसके बाद डीएवी कॉलेज से बी.कॉम व डीएवी लॉ कॉलेज से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की।

3. UPSC की परीक्षा पास करके ठुकरा दी नौकरी
ग्रेजुएशन के बाद वह दिल्ली चले आए। दिल्ली में आईएएस की प्रवेश परीक्षा की तैयारी की। तीसरे प्रयास में इन्‍होंने ये परीक्षा पास की। वे संबद्ध सेवाओं (allied services) के लिए चुने गए थे। इसलिए इन्‍होंने नौकरी ठुकरा दी।

4. 16 साल तक दिल्ली हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में काम किया
1971 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के तौर पर नामित किया गया। 1977 से 1979 तक वह दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे। 1980 से 1993 तक सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के परमानेंट काउंसलर रहे। 1978 में सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड बने। उन्होंने 1977 से 1993 तक करीब 16 सालों तक दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में काम किया।

5. 1974 में हुई शादी, हैं दो बच्चे
30 मई 1974 को रामनाथ कोविंद ने सविता कोविंद से शादी की। दो बच्चे हैं। बेटा प्रशांत और बेटी स्‍वाति है।

6. तत्कालीन प्रधानमंत्री के निजी सचिव के रूप में किया काम
1977 में रामनाथ कोविंद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव के रूप में भी काम किया था।

7. घाटमपुर लोकसभा चुनाव में मिली थी हार
रामनाथ कोविंद का राजनीति करियर 1990 में शुरू हुआ। भाजपा ने सबसे पहली बार घाटमपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया, लेकिन वह चुनाव हार गए थे, हालांकि चुनाव प्रचार के लिए वह बड़ी गाड़ी का इंतजाम नहीं कर पाए थे। इसलिए अपनी स्कूटर से प्रचार करते थे। वह गांव-गांव में स्कूटर पर लोगों से वोट मांगने जाते थे। अप्रैल 1994 में वे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सांसद बने। वह लगातार दो बार 12 वर्षों तक राज्यसभा के सांसद रहे।

8. सांसद बनने के बाद भी किराए के घर में ही रहे
1994 में सांसद बनने के बाद रामनाथ कानपुर में कल्याणपुर में मित्र पीएन दीक्षित के घर में किराए पर रहते थे। जिला प्रशासन की तरफ से उन्हें खटारा कार भेजी जाती थी। वह उसमें खुशी से सवार होते थे। 10-11 साल तक वह उसी घर में रहे।

9. न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को किया था संबोधित
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया। अक्टूबर 2002 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया।

10. गांव वालों के लिए पैतृक घर को बनवा दिया मिलन केंद्र
कोविंद ने 2010-11 में सांसद निधि से परौख गांव के पैतृक घर को मिलन केंद्र बनवा दिया था। गांव वालों के लिए बारात घर या सामुदायिक भवन के रूप में दान कर दिया। कोविंद कोरी (कोली) जाति से ताल्लुक रखते हैं। वह कोरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वकील होने के नाते वह दलितों को कानूनी सहायता भी देते थे।

11. मिलने के बाद किसी शख्स को नहीं भूलते हैं
पूर्व पीआरओ अशोक त्रिवेदी के अनुसार, उनके संसदीय कार्यकाल में कोई भी उनसे मिल सकता था। उनकी याददाश्त इतनी बढ़िया है कि एक बार किसी शख्स से मिलने के बाद उसे भूलते नहीं हैं।

12. दलितों के रहे हैं अग्रिम नेता
1998 से 2002 तक भाजपा दलित मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे हैं। वह अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष और आईआईएम-कलकत्ता में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधि भी रहे हैं।

13. परिवार के लोग लल्ला पुकारते हैं
परिवार में कोविंद को सब लल्ला कह कर पुकारते हैं। पांच भाइयों में सबसे छोटे हैं। बचपन में ही माता-पिता का साया उठ गया था। दूसरे नंबर की भाभी विद्यावती ने पाला-पोषा। कोविंद भी अपनी भाभी को मां की तरह प्यार और सम्मान देते हैं।

14. भाभी विद्यावती के हाथ का कढ़ी चावल बेहद पसंद
खाने में राष्ट्रपति कोविंद को अपनी भाभी के हाथ से बना हुआ कढ़ी चावल बेहद पसंद हैं। कढ़ी चावल के अलावा रामनाथ कोविंद को रसियाउर (गन्ने के रस में पकाए हुए चावल) काफी पसंद हैं। शपथ ग्रहण समारोह में भी उनकी भाभी उनके लिए खास तौर पर लेकर गई थीं।

15. शिमला में राष्ट्रपति के ग्रीष्मकालीन आवास में एक बार नहीं मिली थी एंट्री
शिमला स्थित राष्ट्रपति ग्रीष्मकालीन आवास में एक बार घुसने की इजाजत नहीं मिली थी।

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