प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माँ को लिखा 100वें जन्मदिन पर खास पत्र.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

“मां, यह सिर्फ एक शब्द नहीं है। जीवन की वह भावना होती है, जिसमें स्नेह, धैर्य और विश्वास सबकुछ समाया होता है। दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो, हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है।” यह जज्बात हैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के, जो उन्होंने अपनी मां के सौवें जन्मदिन पर जाहिर किए हैं। पीएम मोदी ने आगे लिखा है कि मां सिर्फ शरीर नहीं, बल्कि हमारा मन, व्यक्तित्व और आत्मविश्वास भी गढ़ती है। अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए वह खुद को भी भुला देती है।

सब मां-पिता की देन
अपने इस पत्र में पीएम मोदी ने मां के 100वें वर्ष में प्रवेश की खुशी साझा की है। साथ ही उन्होंने अपने पिता को भी याद किया है। इस पत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा है कि उनके व्यक्तित्व में जो कुछ भी अच्छा है वो मां और पिताजी की ही देन है। उन्होंने लिखा कि आज जब मैं यहां दिल्ली में बैठा हूं तो कितना कुछ पुराना याद आ रहा है। पीएम लिखते हैं कि मेरी मां के बारे में पढ़ते हुए आपको अपनी मां याद आ सकती हैं। मां की तपस्या, उसकी संतान को सही इंसान बनाती है। इसके बाद प्रधानमंत्री ने अपने मां के बचपन को याद किया है। वह बताते हैं कि वह पढ़ाई भी नहीं कर पाईं। उन्होंने कुछ देखा तो बस गरीबी और दुनियाभर के अभाव।

अपना बचपन भी किया याद
अपने इस पत्र में पीएम मोदी ने अपने बचपन को भी याद किया है। वह बताते हैं कि एक छोटे से घर में उनका बचपन बीता, जहां खिड़की, बाथरूम और शौचालय तक नहीं थे। मिट्टी और खपरैल की छत से बने इस डेढ़ कमरे के घर में मां-पिताजी और हम सब भाई-बहन रहते थे। उन्होंने याद किया है कि अभाव के बीच भी उनके पिता ने कभी तनाव को खुद को हावी नहीं होने दिया। पीएम लिखते हैं कि उनकी मां खाना बनाते वक्त नरसी मेहता का प्रसिद्ध भजन ‘जलकमल छांडी जाने बाला, स्वामी अमारो जागशे’ आदि गुनगुनाती रहतीं। उन्होंने लिखा है कि घर चलाने के लिए पैसों की आस में कभी-कभी मां दूसरों के घर के बर्तन भी मांजा करती थीं।

मां के प्रेरक स्मरणों से भरा है पत्र
इस पत्र में पीएम मोदी ने अपनी मां की साफ-सफाई की आदतों, काम के लिए परफेक्शन, आज भी मां द्वारा मिठाई खिलाने की आदत और उसके बाद रुमाल से मुंह पोंछने के बारे में विस्तार से लिखा है। अपनी मां के पशु पक्षियों के प्रति प्रेम और दयाभाव का भी उन्होंने जिक्र किया है। इस पत्र में मोदी ने अपने पिता के मित्र अब्बास को भी याद किया है। पत्र में पीएम मोदी ने केदारनाथ की उस घटना का भी जिक्र किया है,

जब मां ने उनकी तारीफ की थी। इसके अलावा श्रीनगर के लाल चौक पर मां द्वारा टीका किए जाने की घटना का पीएम ने जिक्र किया है। पीएम याद करते हैं कि किस तरह पहली बार गुजरात का सीएम बनने के बाद उन्होंने मां समेत तमाम गुरुओं का सम्मान करने की सोची थी। तब मोदी की मां ने उन्हें अक्षरज्ञान कराने वाले जेठाभाई को वहां बुलाने के लिए कहा था। पीएम मोदी बताते हैं कि उनकी मां हमेशा इस बात की ताकीद करती हैं कि कुछ भी गलत काम मत करना।

 

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