अक्षयवर दीक्षित के स्मृति ग्रंथ लोकार्पण समारोह में जुटे विद्वान.

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कवियों ने अपने काव्य पाठ से समारोह को किया सुशोभित.

असहमति का सम्मान लोकतंत्र का प्राण है- मार्कंडेय दीक्षित.

दैनिक जीवन में संत थे अक्षयवर दीक्षित-बृजभूषण तिवारी.

आप अक्षय बट बाबा हैं जिनका कभी क्षय नहीं हो सकता हैप्रो.जयकांत सिंह जय

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान नगर में श्री भगवान पैलेस के सभागार में भोजपुरी बोली वाणी के मूर्धन्य विद्वान अक्षयवर दीक्षित की पहली पुण्यतिथि पर भोजपुरी शिरोमणि अक्षयवर दीक्षित के स्मृति ग्रंथ लोकार्पण समारोह 24 अक्टूबर दिन रविवार को भोजपुरी विकास मंडल द्वारा भिखारी ठाकुर नगर श्री भगवान पैलेस सीवान के सभागार में मनाया गया।समारोह का उद्घाटन करते हुए सीवान सदर विधायक व पूर्व मंत्री अवध बिहारी चौधरी ने कहा कि अक्षयवर दीक्षित जी को याद करना अपनी संस्कृति,संस्कार को जीवंत बनाए रखना है। उनका जीवन हमेशा हम सभी के लिए अनुकरणीय रहेगा, हम उनके मार्गों पर चलकर समाज को एक नई दिशा दे सकते हैं।भोजपुरी क्षेत्र से जुटे सैकड़ों विद्वान ने उन्हे भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम में गांधी प्रतिष्ठान संस्थान नई दिल्ली से आए कुमार प्रशांत जी ने कहा कि अक्षयवर दीक्षित जी के प्रथम पुण्यतिथि पर इस तरह का आयोजन एक सुखद क्षण है। जो समाज के सहित चलता है वही साहित्य है। भाषा जोड़ने की धागा है समाज को तोड़ने का लाठी नहीं है। अक्षयवर जी ने जो भी अपने जीवन में किया उससे कितने लोग प्रभावित हुए यह आज हमें दिख रहा है।देश के विभिन्न जिलों से आये विद्वान उनके कृतित्व की चर्चा कर रहे है। आप यह मान सकते हैं कि गांधीजी ने केवल चार पुस्तकें लिखी और आज स्थिति यह है कि गांधीजी को केंद्र में रखकर प्रति वर्ष 1500 पुस्तकें लिखी जा रही है। अक्षयवर बाबा हमेशा प्रकृति से जुड़ने की बात किया करते थे, यही कारण है कि संस्कृत,हिंदी और भोजपुरी से उनका अगाध लगाव था। भोजपुरी में रहन-सहन, खान-पान,बोली बानी को अपनी प्रकृति बनाकर वह हमेशा आगे आने वाली पीढ़ी के लिए सोचा करते थे।

आज जैसा कि हम देख रहे हैं कोरोना का संकट प्रकृति से भटकाव का प्रमाण है प्रकृति से हमारा संबंध समाप्त समाप्त होता जा रहा है, हम हमलावर होकर प्रकृति पर हमला कर रहे हैं, जिससे साहित्य ही बचा सकता है।वह समाज में जागरूकता पैदा करके प्रकृति से हमें जुड़ सकता है। अक्षयवर बाबा भी यही किया करते थे। साहित्य की जिम्मेदारी है कि वह जोड़ने वाली भाषा का प्रयोग करें। शिक्षा का प्रसार और ज्ञान का प्रसार दो अलग-अलग चीजें हैं इसे समझना पड़ेगा क्योंकि एक नए समाज का निर्माण करते हुए हमें आगे बढ़ना है।

पटना से आए भगवती प्रसाद द्विवेदी जी ने कहा कि अक्षरवर दीक्षित ने देश के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी फ़तेह बहादुर शाही के बारे में जो पुस्तक लिखी है वह अमूल्य धरोहर है उनका हिन्दी भोजपुरी और संस्कृत पर बराबर अधिकार रहा। वह भोजपुरी भाषा और साहित्य के लिए हमेशा अग्रणी रहे।तीसरे भोजपुरी सम्मेलन जो प्रयागराज, पटना के बाद सीवान में हुआ था उसमें उनकी भूमिका काफी सराहनीय रहीं।

बी.आर.अंबेडकर विश्वविधालय,मुजफ्फरपुर से पधारे डॉ.जयकांत सिंह जय ने कहा कि भोजपुरी आंदोलन का यह 75 वां वर्ष है, जिस तरह हम स्वाधीनता आंदोलन का 75 वां वर्ष बना रहे हैं उसी प्रकार 1947 में सीवान की धरती से भोजपुरी आंदोलन की शुरुआत हुई थी.तब अक्षयवर बाबा गोपालगंज से सीवान पढ़ने आए थे, उस समय उनकी आयु 17 वर्ष थी, तभी से उनके अंदर भोजपुरी बोली वाणी भाषा को लेकर अनाध भक्ति थी। भोजपुरी साहित्य का अधिवेशन होना चाहिए ,यह बात उनके मन में हमेशा रहती थी। अतः आज जितनी भी भोजपुरी की शाखाएं फैली हुई है वह अपने अधिकार के लिए आगे बढ़ रही हैं ताकि इसे संविधान में दर्जा दिया जाए। उसके लिए अक्षयवर बाबा बीज रूप में हमेशा याद किए जाएंगे। सचमुच मे अक्षयवर दीक्षित नहीं आप अक्षय वट बाबा हैं जिनका कभी क्षय नहीं हो सकता है। भोजपुरी शिक्षा आंदोलन को अब समाज से जोड़ना होगा यही हमारी बाबा के प्रति श्रद्धांजलि होगी।

आरा से पधारे डॉ नीरज कुमार सिंह ने कहा कि यह भोजपुरी आंदोलन की जन्मभूमि है।डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने भोजपुरी प्रेम को आगे बढ़ाया लेकिन विडंबना यह है कि एक समर्थ भाषा को निष्प्राण भाषा बनाने की बात हमेशा से चलती रही है।जबकि आप इस पर अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि भोजपुरी बोली बानी से हिंदी सबसे ज्यादा समृद्ध हुई है। भोजपुरी क्षेत्र के लोगों ने अपने समाज की सेवा इस बोली के माध्यम से किया है और यह देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी बात को सकारात्मक रूप से रखने में सफल हुई है।
वहीं डॉ जितेंद्र कुमार ने कहा कि लोक भाषा में ही हमारी संस्कृति है। अगर संस्कृति नष्ट हुई तो आप समझे ले कि आपका समाज,परिवार और आप भी नष्ट हो जाएंगे। हमारी अपनी प्रतिभा अपनी मातृभाषा में ही निखर कर बाहर आती है इसके लिए भोजपुरी को बचाना जरूरी है। इसके एक स्तंभ के रूप में अक्षयवर बाबा हमेशा याद किए जाएंगे उन्होंने हमें ऐसी प्रेरणा दी है ताकि हम आगे आने वाली पीढ़ी को भोजपुरी से जोड़ सकें और हम आगे बढ़ते रहें।

सीवान के मशहूर शायर फनकार कमर सीवानी ने अपनी गजलों के माध्यम से अक्षयवर बाबा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि
भोजपुरी के वफादार थे अक्षयवर जी एक सुलझे हुए फनकार थे अक्षयवर जी
आज हाथ में सबके है कारीगरी अक्षयवर की
फैली है आज यहां रोशनी अक्षयवर की
भोजपुरी में वह बात किया करते थे

भोजपुरी में भी मैं ही वह सांस लिया करते थे
उम्र भर इस भाषा की सेवाएं करते रहे
उन्होंने गुजारी है दिन रात लिखने में

गम के आलम में भी वह खुश रहते थे

एक-एक शख्स से यही बात कहते थे

उसको तहजीब की खुशबू की रवानी कहिए
भोजपुरी को बहारों की जवानी कहिए

भोजपुरी को मोहब्बत की जवां कहिए।

इस मौके पर विद्वानों ने अजब का उल्लेख किया ।यह अजब तीन विद्वानों के नाम के पहले अक्षर से है अक्षयवर दीक्षित,जगत नारायण सिंह और ब्रजभूषण तिवारी इनके प्रथम अक्षरों से निर्मित अजब नाम से पुस्तक भी छपी थी इनमें से दो अब नहीं रहे लेकिन बृजभूषण तिवारी काफी वृद्ध होने के बावजूद भी वह समारोह में उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि दैनिक जीवन में अक्षयवर बाबू संत थे वह भोजपुरी के मर्मज्ञ थे। वह हमेशा इसे आगे बढ़ाने और अपने जीवन के रग रग में समावेशित करने के लिए तत्पर रहते थे।

इस समारोह में सबसे बढ़कर योगदान सदर विधायक अवध बिहारी चौधरी का रहा जिन्होंने अपना बहुमूल्य समय दिया वह कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही सभागार में उपस्थित हो गए और समारोह के अंतिम क्षण यानी देर शाम तक वह कार्यक्रम में जमे रहे।

मंच का संचालक मार्कंडेय दीक्षित ने किया। इस अवसर पर समारोह के दूसरे सत्र में विभिन्न जिलों से आए कवियों ने अपने काव्य पाठ को रखा इन कवियों को कार्यक्रम के अध्यक्ष सदर विधायक और बिहारी चौधरी ने सम्मानित किया।

इस अवसर पर अवध बिहारी चौधरी,विधायक,सीवान सदर,कुमार प्रशान्त,गाँधी प्रतिष्ठान संस्थान,नई दिल्ली,डाॅ जयकान्त सिंह,डॉ नीरज कुमार सिंह,जितेन्द्र कुमार,मनीष कुमार सिंह,भगवती प्रसाद द्विवेदी,महमाया प्रसाद विनोद,मुंशी सिंह,स्वतंत्रता सेनानी,श्रीगंगा प्रसाद अरुण, गिरधर जी,तारकेशवर मिश्र,सुभाष चन्द्र यादव, डॉ इरशाद अहमद,शिवधारी दूबे, कांग्रेस जिला अध्यक्ष डॉ विद्युशेखर पाण्डेय,डॉ यतींद्र नाथ सिन्हा, डॉ के एहतेशाम अहमद, प्रो रामसुंदर चौधरी, युगल किशोर दुबे,रामनरेश सिंह,डॉ अनिल श्रीवास्तव, डॉ ज्योत्सना श्रीवास्तव, नीरज यादव,डॉ बी के तिवारी,ऐनुल बरौलवी,शुभ नारायण शुभ,राजेन्द्र गुप्त,निर्भय नीर,प्रियंका कुमारी,प्रखर पुजं,सुरेश चौबे,आरती आलोक वर्मा,प्रणव पराग,राजनाथ सिंह राकेश सहित सैकड़ों भोजपुरी विद्वान और सुधि दर्शक उपस्थित रहे।

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