करवाचौथ का चांद निकलेगा प्रेम का संदेश देता.

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तू मेरी चांदनी मैं तेरा चांद

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अगर सजनी भूख से बेचैन रहेगी तो पिया भी चांद के दीदार करने के लिए आतुर रहेंगे, क्योंकि व्रत तो साथ ही खोलेंगे। अब इस व्रत को निभाने का वादा साझा हो गया है। यह व्रत सिर्फ परंपरा निभाने का त्योहार नहीं रह गया है कि महिलाएं सजीं, पूजा की, करवे बदले और पति के पानी पिलाने पर उनके पैर छूकर व्रत संपन्न किया, बल्कि अब वे बराबर का सम्मान प्राप्त कर चुकी हैं। यह सम्मान उन्होंने संघर्ष से या मांगकर नहीं पाया है, बल्कि अपनी काबिलियत को साबित कर हासिल किया है।

व्रत भी साथ-साथ

अरे तुम खाना खा लो ना…। खाना नहीं तो चाय ही पी लो, मैं अभी बना देती हूं। क्या तुम भी मेरी तरह निर्जल व्रत कर रहे हो। भई हमें तो करना ही होता है करवाचौथ का व्रत, लेकिन तुम्हें कौन सी मजबूरी है। अच्छे से पानी पियो, खाना खाओ। राशि एक सुर से रोहित से कहे जा रही थी, लेकिन रोहित टस-से-मस नहीं हो रहा था।

जब लगा कि एक तो वह व्रत में है और दूसरे मुझे लेकर परेशान हो रही है तो उसने कहा कि जब तुम मेरे लिए व्रत कर सकती हो तो मैं तुम्हारे लिए क्यों नहीं? तुम भी तो मेरे लिए उतनी ही जरूरी हो जितना मैं तुम्हारे लिए। फिर अकेले तुम पर यह रिवाज क्यों थोपा जाए? मैं भी वैसे ही व्रत निभाऊंगा जैसे तुम निभा रही हो। जब हर चीज साथ करते हैं तो यह क्यों नहीं?

गर्व होता है अपने प्यार पर

इस तकरार में कहीं प्यार छिपा है तो कहीं एक-दूसरे की चिंता तो कहीं हर कदम साथ निभाने का वादा तो कहीं एक-दूसरे को सम्मान देने की भावना। कुछ इसी तरह से रूप बदला है आज करवाचौथ का। नई पीढ़ी में पत्नी को बराबर का सम्मान देने वाला पति उसके व्रत में भागीदार बन रहा है और जहां पत्नी अपने पति के दीर्घायु होने की कामना कर रही है वहीं पति भी अपनी पत्नी का साथ हमेशा बनाए रखने के लिए करवाचौथ का व्रत कर रहा है।

इस बदले ट्रेंड से एक बात तो पता चलती है कि जब हर कदम पर कंधे से कंधा मिला रही हैं लड़कियां और हर मोर्चे पर, चाहे वह वित्तीय मोर्चा हो या कारोबार का, मजबूती से पत्नी साथ खड़ी है तो फिर क्यों न पति इसका एहसास करे। साफ्टवेयर इंजीनियर कहती हैं, यह दिन आपसी प्यार और विश्वास को सेलिब्रेट करने का दिन है। यह जानकर संतुष्ट होने का दिन है कि आपकी जिंदगी में आपके पास एक ऐसा साथी है जो आपकी हर चीज साझा कर सकता है। मुझे गर्व होता है अपने प्यार पर।

पवित्र प्यार बरसता है इस दिन

छत पर, छलनी के उस पार न केवल पति का चेहरा होता है, बल्कि पूरे परिवार का आपसी प्रेम होता है। करवाचौथ के दिन अगर महिलाएं पति के बारे में ही सोचती हैं तो पति भी उनके बारे में सोचते हैं और यह सब बनावटी नहीं होता है। अभिनेता कहते हैं, यह दिन हमें दूसरे के काफी नजदीक ले आता है। मेरी पत्नी करवाचौथ का व्रत रखती हैं और मैं भी उनके साथ ही व्रत करता हूं। हम सुबह की सरगी साथ खाते हैं और रात को चांद देखकर व्रत साथ खोलते हैं।

इस तरह से यह व्रत आपसी रिश्ते को एक नया आयाम दे जाता है। हम बहुत ज्यादा जुड़ाव महसूस करते हैं। टीना मुझे अच्छी तरह से समझती हैं और मैं उन्हें। कभी बहस होती भी है तो मैं आत्मसमर्पण कर देता हूं। करवाचौथ के दिन मैं एक अलग सा प्यार बरसता हुआ महसूस करता हूं जिसमें एक पवित्रता होती है।

संबंधों की गहराई समझ आती है

जब करवाचौथ का दिन आता है तो पूरा वातावरण त्योहारमय होता है। मौसम भी सुहाना होता है। शायद इसी माहौल और मौसम का प्रभाव होता है कि प्यार उत्कर्ष पर होता है। इस दिन को संबंधों की गहराई याद करने का दिन मानती हैं जूलरी डिजाइनर शालिनी। वह कहती हैं, इस दिन हमें एहसास होता है कि कई साल पहले साथी के साथ चलने का जो वादा किया था उसे हम पूरी तरह से निभा रहे हैं।

इस दिन हम पति-पत्नी अपने दिल में एक-दूसरे के लिए सच्ची भावनाएं महसूस करते हैं। हमारा आपसी बंधन और ज्यादा मजबूत हो जाता है। हम दोनों यह महसूस करते हैं कि एक व्यक्ति हमारी जिंदगी में कितना महत्वपूर्ण है। मेरे पति भी सालों से मेरे साथ व्रत रखते आ रहे हैं। कभी-कभी मैं उन्हें मजाक में कहती भी हूं कि अब आप व्रत मत करिए ताकि मैं आपको नखरे दिखा सकूं, लेकिन वे मानते नहीं हैं।

याद करते अपने वादों को

दोनों व्रत करेंगे और अपने काम और अन्य जिम्मेदारियों के बीच यह जानेंगे कि एक-दूसरे के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। उन दोनों के लिए करवाचौथ पति-पत्नी के बीच रिश्तों का बंधन मजबूत करने का त्योहार है। इस दिन वह अपनी शादी के दिन को याद करते हैं। एक-दूसरे से किए गए वादों को याद करते हैं और जीवन में हाथ पकड़ कर ताउम्र साथ चलने का, सुख-दुख में साथ निभाने का फिर से वादा करते हैं। कहते हैं ने इतने साल तक मेरे हर सुख-दुख को अपनाया है। यही है तो हमारे यहां शादी के मायने। जब वह मेरे लिए हर मौके पर मदद को तैयार रहती है तो मैं कैसे उसे अकेले भूखा रहने दूं और उसके व्रत का सम्मान न करूं।

भावनाओं को समझने का दिन

यह मेरा पहला करवाचौथ होगा। हम सब दोस्त पहले भी करवाचौथ पर पार्टी करते थे, लेकिन मैंने व्रत कभी नहीं रखा। इस बार मैं लवेश के साथ व्रत रखने को लेकर काफी उत्साहित हूं। ऐसे व्रत, पर्व व रिवाज बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और हमारे आपसी रिश्तों के बंधन को मजबूत करते हैं। शादी के बाद सबसे अच्छी चीज ही यही होती है कि एक व्यक्ति आपके हर फैसले में आपके साथ होता है आपकी असहमति का भी सम्मान करता है और आपकी भावनाओं की कद्र करता है। यह करवाचौथ का व्रत हमारे बीच प्यार और सम्मान को मजबूत करेगा।

 

प्यार का पर्व समझती है नई पीढ़ी

फैशन डिजाइनर ने बताया कि हमारेे पहले की पीढ़ी रिवाजों को लकीर की तरह मानती रही है, लेकिन आज की युवा पीढ़ी का हर मान्यता पर एक तर्क होता है, एक प्रश्न होता है। वह करवाचौथ को केवल एक परंपरा के रूप में नहीं मनाती है, बल्कि इस दिन को एक-दूसरे के प्रति आभार, प्यार, खुद को व्यक्त करने का खूबसूरत दिन मानती है। इस दिन यह सोचकर वह आपसी सम्मान का इजहार करते हैं कि कोई मेरे लिए इतना कर रहा है तो मैं भी क्यों न करूं? मेरे पति भी मेरे साथ व्रत करते हैं। सरगी के समय वे भी मेरे साथ सुबह उठते हैं।

करवाचौथ का यह दिन ऐसा होता है जिसमें हम एक-दूसरे के लिए प्यार, सम्मान और चिंता की भावना को सामने से देखते हैं। आज की भागदौड़ की जिंदगी में आइ लव यू कहने का समय तो मिलता नहीं है, लेकिन इस दिन प्यार की भावना ताजा हो जाती है और आपस की समझदारी खुशनुमा अंदाज में दिखती है।

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