‘आधुनिक तुलसीदास’ के रूप में लोकप्रिय वरिष्ठ साहित्यकार नरेंद्र कोहली नहीं रहे.

‘आधुनिक तुलसीदास’ के रूप में लोकप्रिय वरिष्ठ साहित्यकार नरेंद्र कोहली नहीं रहे.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

डॉ॰ नरेन्द्र कोहली (जन्म ६ जनवरी १९४०, निधन १७ अप्रैल २०२१, चैत्र शुक्ल पंचमी, नवरात्रि) प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार हैं। कोहली जी ने साहित्य के सभी प्रमुख विधाओं (यथा उपन्यास, व्यंग्य, नाटक, कहानी) एवं गौण विधाओं (यथा संस्मरण, निबंध, पत्र आदि) और आलोचनात्मक साहित्य में अपनी लेखनी चलाई है। उन्होंने शताधिक श्रेष्ठ ग्रंथों का सृजन किया है। हिन्दी साहित्य में ‘महाकाव्यात्मक उपन्यास’ की विधा को प्रारंभ करने का श्रेय नरेंद्र कोहली को ही जाता है।

पौराणिक एवं ऐतिहासिक चरित्रों की गुत्थियों को सुलझाते हुए उनके माध्यम से आधुनिक सामाज की समस्याओं एवं उनके समाधान को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना कोहली की अन्यतम विशेषता है। कोहलीजी सांस्कृतिक राष्ट्रवादी साहित्यकार हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय जीवन-शैली एवं दर्शन का सम्यक् परिचय करवाया है। जनवरी, २०१७ में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

यों तो छह वर्ष की आयु से ही उन्होने लिखना प्रारम्भ कर दिया था लेकिन १९६० के बाद से उनकी रचनाएँ प्रकाशित होने लगीं। समकालीन लेखकों से वो भिन्न इस प्रकार हैं कि उन्होने जानी मानी कहानियों को बिल्कुल मौलिक तरीके से लिखा। ऐतिहासिक कथाओं पर आधारित उनके प्रमुख वृहदाकार उपन्यासों की सूची नीचे दी गयी है। उनकी रचनाओँ का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ है। ‘दीक्षा’, ‘अवसर’, ‘संघर्ष की ओर’ और ‘युद्ध’ नामक रामकथा श्रृंखला की कृतियों में कथाकार द्वारा सहस्राब्दियों की परंपरा से जनमानस में जमे ईश्वरावतार भाव और भक्तिभाव की जमीन को, उससे जुड़ी धर्म और ईश्वरवाची सांस्कृतिक जमीन को तोड़ा गया है। रामकथा की नई जमीन को नए मानवीय, विश्वसनीय, भौतिक, सामाजिक, राजनीतिक और आधुनिक रूप में प्रस्तुत किया गया है। नरेन्द्र कोहली ने प्रायः सौ से भी अधिक उच्च कोटि के ग्रंथों का सृजन किया है।

नरेन्द्र कोहली की एक बड़ी उपलब्धि है “वर्तमान समस्याओं को काल-प्रवाह के मंझधार से निकाल कर मानव-समाज की शाश्वत समस्याओं के रूप में उनपर सार्थक चिंतन”. उपन्यास में दर्शन, आध्यात्म एवं नीति का पठनीय एवं मनोग्राही समावेश उन्हें समकालीन एवं पूर्ववर्ती सभी साहित्यकारों से उच्चतर धरातल पर खडा कर देता है।

  • 1. राज्य साहित्य पुरस्कार 1975-76 ( साथ सहा गया दुख ) शिक्षा विभाग, उत्तरप्रदेश शासन, लखनऊ।
  • 2. उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार 1977-78 ( मेरा अपना संसार ) उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ।
  • 3. इलाहाबाद नाट्य संघ पुरस्कार 1978 ( शंबूक की हत्या ) इलाहाबाद नाट्य संगम, इलाहाबाद।
  • 4. उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार 1979-80 ( संघर्ष की ओर ) उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ।
  • 5. मानस संगम साहित्य पुरस्कार 1978 ( समग्र रामकथा ) मानस संगम, कानपुर।
  • 6. श्रीहनुमान मंदिर साहित्य अनुसंधान संस्थान विद्यावृत्ति 1982 ( समग्र रामकथा ) श्रीहनुमान मंदिर साहित्य अनुसंधान संस्थान, कलकत्ता।
  • 7. साहित्य सम्मान 1985-86 ( समग्र साहित्य ) हिंदी अकादमी, दिल्ली।
  • 8. साहित्यिक कृति पुरस्कार 1987-88 ( महासमर-1, बंधन ) हिंदी अकादमी, दिल्ली।
  • 9. डॉ. कामिल बुल्के पुरस्कार 1989-90 ( समग्र साहित्य ), राजभाषा विभाग, बिहार सरकार , पटना।
  • 10. चकल्लस पुरस्कार 1991 ( समग्र व्यंग्य साहित्य ) चकल्लस पुरस्कार ट्रस्ट, 81 सुनीता, कफ परेड, मुंबई।
  • 11. अट्टहास शिखर सम्मान 1994 ( समग्र व्यंग्य साहित्य ) माध्यम साहित्यिक संस्थान, लखनऊ।
  • 12. शलाका सम्मान 1995-96 ( समग्र साहित्य ) हिंदी अकादमी दिल्ली।
  • 13. साहित्य भूषण -1998 ( समग्र साहित्य ) उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ।
  • 14. व्यास सम्मान– 2012(न भूतो न भविष्यति)
  • 15. पद्म श्री – 2017,भारत सरकार
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