सनातनियों को आदि विश्वेश्वर प्रतीक पूजन से रोक रहे धर्म के तथाकथित ठेकेदार – संजय पाण्डेय

सनातनियों को आदि विश्वेश्वर प्रतीक पूजन से रोक रहे धर्म के तथाकथित ठेकेदार – संजय पाण्डेय

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी

वाराणसी / आज पूरे देश के शिव मंदिरों में काशी विश्वेश्वर की प्रतीक पूजा शंकराचार्य जी महाराज के शिष्य प्रतिनिधि स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज के आह्वान आरम्भ हो चुकी है। देश के कई राज्यों की विशुद्ध सनातनी जनता काशी विश्वेश्वर की प्रतीक पूजा इस आशा से करने लगी है कि ज्ञानवापी में प्रकट शिवलिङ्ग में दर्शन पूजन मिल सके।

परन्तु यह बात धर्म के छद्म ठेकेदारों को अपच हो गई है। उनको डर लगने लगा है कि अगर सनातनी जनता पूज्य शंकराचार्य व स्वामिश्री: से जुड़ जायेगी तो उनके धर्म की दुकान बंद हो जायेगी क्योकि उनका धर्म से कोई वास्ता नही। उनका उद्देश्य तो बस सनातनधर्मियों को मूर्ख बनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना है। इसलिए कई जगहों पर ये धर्म के छद्म ठेकेदार काशी विश्वेश्वर की प्रतीक पूजा में बाधा पहुचा रहे।

हाल ही में काशी में एक स्थान पर ऐसा ही वाकया सामने आया जहाॅ पर एक शिव मंदिर में काशी विश्वेश्वर की प्रतीक पूजा करने जा रहे भक्तों को जबरन रोका गया व वहां से हटा दिया गया। उन भक्तों को तो पूजन से मतलब था। इस मन्दिर न सही तो दूसरे मन्दिर ही सही। शिव तो आखिर शिव ही हैं। उन सबने दूसरे शिव मन्दिर में आदि विश्वेश्वर की प्रतीक पूजा की और अपना मनोरथ भगवान शिव के नन्दी को सुनाया।

विरोध करने वाले शायद ये नही जानते कि उनके इस कुत्सित प्रयास से सनातनी जनता और अधिक जागरुक होगी और बहुत तेजी से न सिर्फ अपने परम्परा से प्राप्त सर्वोच्च धर्मगुरु पूज्य शंकराचार्य जी महाराज व स्वामिश्री: से जुड़ेगी बल्कि दृढ़ता से काशी विश्वेश्वर की प्रतीक पूजा करेगी। यह क्रम तब तक चलता रहेगा जब तक कि सनातनधर्मियों को साक्षात् काशी विश्वेश्वर के पूजन का अधिकार प्राप्त नही हो जाता।

दरअसल विगत दिनों वैशाख पूर्णिमा के दिन जब काशी में आदि विश्वेश्वर प्रकट हुए तो उनके पूजा व भोग हेतु पूज्यपाद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज के आदेश पर पूज्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज अपने काशी स्थित श्रीविद्या मठ से जा रहे थे तो भारी संख्या में पुलिस बल ने मठ को घेर लिया व स्वामिश्री: को मठ में ही दीवार बन कर रोक दिया।जिससे क्षुब्ध होकर स्वामिश्री: ने अन्न जल त्याग दिया और कहा कि जब तक काशी विशेश्वर का पूजा व भोग उन्हें नही करने दिया जायेगा तब तक वो अन्न जल ग्रहण नही करेंगे।और स्वामिश्री: 108 घण्टे तक इस भीषण गर्मी में अन्न जल ग्रहण नही किया।उनका वजन 5 किलो कम हो गया कीटोन प्लस थ्री हो गया और सुगर ब्लडप्रेशर भी तेजी से लो होता जा रहा था।स्वामिश्री: के प्राण पर संकट उत्तपन्न हो गया था जिससे भक्तों व सन्तों में चिंता व्याप्त हो गई थी।प्रशासन,सन्तों व भक्तों के आग्रह को ठुकरा कर स्वामी जी अपने अन्न जल त्याग तपस्या पर अटल थे।तब पूज्यपाद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज का लिखित व दूरभाष पर अन्न जल तपस्या समाप्त करने हेतु स्वामिश्री: को आदेश आ गया।जिससे मजबूर होकर स्वामिश्री: को अपनी तपस्या समाप्त करनी पड़ी क्योकि गुरु आज्ञा अकाट्य है।
इसके बाद भी जब स्वामिश्री: को संतोष प्राप्त नही हुआ तो उन्होंने परमधर्म सेना के गठन करने का उद्घोषणा कर दिया और 100 करोड़ सनातनधर्मियों से निकटस्थ शिवलिंग को ही आदि विश्वेश्वर मानकर उनकी प्रतीक पूजन करने का आदेश दिया।

स्वामिश्रीः का तर्क था कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में वाराणसी डीएम को प्राप्त शिवलिङ्ग के समुचित संरक्षण एवं दोनो पक्षों से वार्ता कर धार्मिक अनुपालन का स्पष्ट निर्देश दिया है। परन्तु देश ही नहीं वरन् पूरे विश्व के लिए यह आश्चर्यजनक बात है कि वाराणसी प्रशासन देश और प्रदेश मे हिन्दूवादी सरकार होने के बाद भी आज दिन तक प्रकट हुए भगवान की पूजा क्यो नही होने दे रही है? जब एक विचाराधीन कैदी को भी भोजन पहुंचाया जाता है तो एक विचाराधीन शिवलिंग को भोग क्यो अर्पित न हो पा रहा है ? काशी जैसी धर्मप्राण नगरी भी अपने विश्वेश्वर को पाकर मौन क्यो है? मुख भले ही किसी संगठन के शीर्ष नेतृत्व के कारण बन्द हों पर यह यक्ष प्रश्न सभी शिवभक्तों की आंखों मे तैर रहा है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!