मनीष की पोस्टमार्टम रिपोर्ट बता रही पुलिस की बर्बरता की कहानी.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पुल‍िस की प‍िटाई से मृत कानपुर के व्‍यवसायी मनीष गुप्ता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गई। पीएम रिपोर्ट की व्याख्या करने में विशेषज्ञ चिकित्सकों का मानना है कि मौत से पहले मनीष के साथ जमकर मारपीट हुई थी। पिटाई और मौत में महज 15 मिनट का अंतर था। मृत्यु से पहले मनीष कोमा में चले गए थे।

बेरहमी से हुई थी प‍िटाई

मनीष का पोस्टमार्टम डाक्टरों की दो सदस्यीय टीम ने किया था। उस समय मौत की वजह सिर में चोट बताकर बिसरा सुरक्षित किया गया था। सूत्रों ने बताया था कि मनीष के दाहिने हाथ में दो जगह नुकीले हथियार से जबकि माथे और आंख के पास चोट के निशान मिले हैं। नाक और मुंह से भी खून निकला था। गुरुवार को मनीष की पोस्टमार्टम रिपोर्ट इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गई। विशेषज्ञों से जब इसकी व्याख्या कराई गई तो उनका कहना था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जो लिखा गया है उसके मुताबिक शरीर पर जितनी जगह और जैसी चोट है, वह गिरने या भागने की वजह से कतई नहीं लग सकती।

चेहरे पर चोट से हीमाटोमा बना, कोमा में चले गए थे मनीष

शरीर पर चार जगह शार्प इंजरी (धारदार घाव) मिली है। यह किसी ऐसे नुकीले वस्तु से हो सकती है जैसी पुलिस की बेल्ट के बक्कल आदि में होती है। चेहरे पर मल्टीपल लेसीरेटेड लुंज (कई जगह रगड़) का जिक्र है, जिससे आशंका है कि चेहरे को जमीन या दीवार पर रगड़ा गया होगा। ज्यादा रक्तस्राव यहीं से हुआ था। इस वजह से यहां हीमाटोमा (खून का थक्का) जम गया, जिस वजह से वह कुछ ही देर में कोमा में चल गए।

शरीर पर लगे घाव और मृत्यु के बीच अधिकतम 15 मिनट का अंतर होने की संभावना है। अस्पताल पहुंचने से पहले ही मनीष की मौत हुई होगी। पीएम रिपोर्ट के मुताबिक कॉज आफ डेथ, ड्यू टू एंटी मार्टम इंजरी (मृत्यु का कारण मृत्यु से पहले लगी चोट) है।

तीन दिन बाद हास्पिटल का डीवीआर व हार्डडिस्क अपने साथ ले गई पुलिस

मनीष हत्याकांड को लेकर पुलिस की जांच प्रक्रिया पर यूं ही संदेह नहीं उठ रहे हैं। घटना के तीन दिन बाद पुलिस उस निजी नर्सिंग होम के सीसीटीवी डीवीआर व हार्डडिस्क को अपने कब्जे में लिया है, जहां घटना के तत्काल बाद मनीष को ले जाया गया था। कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता बीते सोमवार को अपने दो दोस्तों के साथ गोरखपुर देखने आए थे। वह तारामंडल स्थित होटल कृष्णा पैलेस में ठहरे थे।

सोमवार की रात होटल में चेङ्क्षकग के लिए गई पुलिस ने मनीष की पिटाई कर दी। इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए तो पुलिस उन्हें इलाज के लिए सबसे पहले होटल से करीब ढाई किलोमीटर दूर ट्रांसपोर्टनगर स्थित मानसी हास्पिटल में इलाज के लिए लेकर गए। वहां चिकित्सकों ने मनीष को छूते ही कह दिया था कि उनकी पल्स नहीं चल रही है। ऐसे में मात्र से पांच से सात मिनट पुलिस मनीष को लेकर मेडिकल कालेज चली गई थी।

चिकित्सकों के मुताबिक पुलिस वहां रात में करीब 12.40 पर पहुंची थी और पांच से सात मिनट के भीतर वह वहां से मेडिकल कालेज के लिए रवाना हो गई थी। पुलिस नर्सिंग होम पर कम पहुंची और वह वहां से मनीष को लेकर गई, सब नर्सिंग होम के सीसीटीवी में कैद है। बावजूद इसके पुलिस ने अभी तक वहां के सीसीटीवी डीवीआर व हार्डडिस्क को अपने कब्जे में नहीं लिया था। गुरुवार दोपहर पुलिस अधीक्षक उत्तरी मनोज कुमार अवस्थी निजी नर्सिंग होम पर जांच के लिए पहुंचे। उन्होंने चिकित्सकों से पूछताछ की। उसके बाद वह सीसीटीवी डीवीआर व हार्डडिस्क सीज कराने के साथ उसे अपने कब्जे में ले लिया।

 

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