मातृ-मृत्यु दर को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग सजग, प्रमंडलीय स्तर पर की जाएगी समीक्षा

मातृ-मृत्यु दर को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग सजग, प्रमंडलीय स्तर पर की जाएगी समीक्षा

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• प्रधान सचिव ने प्रमंडलीय आयुक्त को जारी किया निर्देश
• प्रत्येक माह स्वास्थ्य स्थानों पर भी होगी मातृ मृत्यु की समीक्षा
• मातृ मृत्यु दर में आई है कमी

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, छपरा, (बिहार ):

बिहार विकास मिशन अंतर्गत मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार कटिबद्ध है। सरकार की सार्थक पहल का परिणाम है कि मातृ मृत्यु दर में लगातार कमी आ रही है। वर्ष 2001-03 में जहां मातृ मृत्यु दर 371 थी वह अब घटकर 2016-18 में 149 हो गई है। इसी क्रम में सतत विकास लक्ष्य (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल) के तहत मातृ मृत्यु दर को एक लाख जीवित जन्मे बच्चों के अनुपात में 70 से कम किए जाने तथा 1000 जीवित जन्मे बच्चों पर बाल मृत्यु दर को 25 से कम एवं नवजात शिशु मृत्यु दर को 12 से कम किए जाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। अब प्रत्येक माह प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में मातृ मृत्यु दर की समीक्षा एवं निगरानी की जाएगी। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा निर्देश दिया है। जारी पत्र में कहा गया है कि मातृ एवं बाल मृत्यु के विभिन्न आंकडों यथा- रिपोर्टिंग, समीक्षा तथा कार्य योजना का विश्लेषण किया गया है, विश्लेषण के उपरांत परिलक्षित हुए हैं। जिसके कारण जिला पदाधिकारी की मासिक बैठक में इसकी समीक्षा किए जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

प्रत्येक माह स्वास्थ्य संस्थानों में होगी समीक्षा:

प्रधान सचिव ने निर्देश दिया है कि प्रखंड स्तर पर स्वास्थ्य संस्थानों में हुई सभी बाल मृत्यु की समीक्षा की जानी है एवं समुदाय में भी हुई बाल मृत्यु में से कम से कम 6 मृत्यु की वर्बल एंड सोशल ऑटोपेसी विस्तृत रूप से किया जाना है। मातृ एवं बाल मृत्यु की संस्थागत समीक्षा स्वास्थ्य प्रणाली के तंत्र के तहत गुणवत्तापूर्ण किया जाना है।

प्रमंडलीय आयुक्त करेंगे समीक्षा:
प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने पत्र के माध्यम से निर्देश दिया है कि प्रमंडलीय स्तर पर आयोजित जिला पदाधिकारी की मासिक बैठक में मैटरनल डेथ सर्विलेंस एंड रिस्पांस एवं स्टेटस ऑफ चाइल्ड डेथ रिव्यू कार्यक्रम की समीक्षा को एजेंडा के रूप में रखा जाए। मातृ एवं बाल मृत्यु के कारणों की जांच के पश्चात जो भी कारण सामने आएंगे उसका उद्देश्य किसी भी स्तर पर स्वास्थ्य सेवा प्रदाता को दंडित करना नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था तथा समुदाय में मातृ स्वास्थ्य के लिए उपलब्ध सेवाओं में जो समस्या है उसकी पहचान कर तुरंत निराकरण करना है ताकि स्वास्थ्य प्रणाली में सकारात्मक एवं गुणवत्तापूर्ण सुधार लाया जा सके।

24 घंटे के अंदर देनी होगी मातृ मृत्यु की सूचना:
सुमन कार्यक्रम के तहत शत-प्रतिशत मातृ मृत्यु दर की रिपोर्टिंग का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सबसे पहले मातृ मृत्यु की सूचना देने वाले व्यक्ति को एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाएगी। जबकि, मृत्यु के 24 घंटे के अंदर स्थानीय पीएचसी में सूचना देने पर आशा कार्यकर्ता को भी दो सौ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके अलावे इस संबंध में किसी प्रकार की परेशानी होने पर 104 टोल फ्री नंबर कॉल कर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

मातृ मृत्यु की सूचना देने पर आशा कार्यकर्ता को दी जायेगी प्रोत्साहन राशि:
सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने बताया कि मातृ मृत्यु की सूचना को बढ़ावा एवं सुनिश्चित करने के उदेश्य से सरकार ने सुमन कार्यक्रम के तहत प्राइमरी रिस्पोंडेंट को प्रति मातृ-मृत्यु की सूचना देने पर 1000 रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया है। प्राथमिकता के आधार पर प्राइमरी रिस्पोंडेंट के रूप में आशा को प्रोत्साहित किया जाना है। ऐसी सूचना देने पर आशा कार्यकर्ताओं को 200 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

 

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