नारदीगंज में सुरक्षित गर्भपात को लेकर आशा कार्यकर्ताओं को दिया गया प्रशिक्षण

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सुरक्षित गर्भपात के लिए लगभग 20 सप्ताह तक के गर्भ को कानूनी रूप से मिली है इजाज़त: सीमा सोनल
असुरक्षित गर्भपात कराने से लगभग 8% महिलाओं की हो जाती मृत्यु: मनोज

श्रीनारद मीडिया, नवादा,(बिहार):


कोरोना संक्रमण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को तरह-तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। जिसमें सुरक्षित गर्भपात कराना सबसे बड़ी चुनौती रहा है। जिसको लेकर आशा प्रशिक्षण केंद्र नारदीगंज में सिरदला की 37 आशा कार्यकर्ताओं को आई पास डेवलपमेंट की ओर से प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षक के रूप में सीमा सोनल एवं मनोज कुमार मिश्रा द्वारा बताया गया कि सुरक्षित गर्भ समापन और एमटीपी एक्ट के संबंध में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। वहीं सही तरीके से सुरक्षित गर्भपात को लेकर भी चर्चा की गई। सीमा सोनल ने बताया कोरोना संक्रमण काल के दौरान लोगों को कई तरह की विषम परिस्थितियों से गुजरना पड़ा था। इस दौरान कई ऐसी महिलाएं है जो अनचाहे रूप से गर्भवती हो गई हैं। लेकिन संक्रमण काल के मद्देनजर वह अपना सुरक्षित रूप से गर्भपात भी नहीं करा सकी हैं। सरकारी अस्पतालों में व्याप्त चिकित्सकीय सुविधाओ के लाभ से वह वंचित हो गई हैं।

सुरक्षित गर्भपात के लिए लगभग 20 सप्ताह तक के गर्भ को कानूनी रूप से मिली है इजाज़त: सीमा
आई पास डेवलपमेंट की ओर से प्रशिक्षक के रूप में आई सीमा सोनल ने बताया एमटीपी (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी) एक्ट 1971 में कुछ निहित शर्तों के तहत कोई भी महिला 20 सप्ताह यानि 4½ महीने तक के गर्भ को कानूनी रूप से गर्भपात करा सकती है। लेकिन एमपीटी एक्ट में कुछ शर्तों का जिक्र भी किया गया है। जिसका अनुपालन करना अनिवार्य है तथा इसे लेकर जरूरी दस्तावेज होनी चाहिए। लेकिन इस दौरान ख्याल रखना होगा कि उनका सुरक्षित रूप से गर्भपात हो सके। इसके लिए उनके परिजनों को खास ध्यान रखने की आवश्यकता है। किसी तरह की समस्या होने पर नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क स्थापित कर चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क सेवाएं उपलब्ध हैं। इसके साथ ही कानूनी रूप से गर्भपात कराने की सुविधा भी उपलब्ध रहती है। इस दौरान विशेष परिस्थितियों में सरकारी एंबुलेंस की मदद से महिला मरीज को नि:शुल्क रूप से हायर सेंटर भेजने की सरकारी सुविधा उपलब्ध है। 20 सप्ताह तक गर्भ समापन कराना वैध माना गया है। लेकिन 12 सप्ताह के अंदर एक प्रशिक्षित महिला चिकित्सक एवं 12 सप्ताह से ऊपर तथा 20 सप्ताह के अंदर तक में 2 प्रशिक्षित चिकित्सकों की उपस्थिति में सदर अस्पताल या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में प्रशिक्षित चिकित्सकों की मौजूदगी में गर्भपात होनी चाहिए।

असुरक्षित गर्भपात कराने से लगभग 8% महिलाओं की हो जाती मृत्यु: मनोज
आई पास डेवलपमेंट की प्रशिक्षक सीमा सोनल ने बताया देश में होने वाली मातृ-मृत्यु में से लगभग 8% मृत्यु असुरक्षित गर्भपात के कारण से हो जाती है। यदि किसी महिला को माहवारी के दिन चढ़ गए हो या उससे अनचाहे गर्भ के ठहरने की आशंका हो तो उसे बिना किसी देरी के नजदीकी के आशा कार्यकर्ता या एएनएम से संपर्क स्थापित करना चाहिए या महिला रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। जांच के समय गर्भधारण की पुष्टि हो जाती है और महिला गर्भ नहीं रखना चाहती है तो उसे गर्भपात का निर्णय जल्द से जल्द ले लेना चाहिए। क्योंकि गर्भ 9 सप्ताह तक का हो गया है तो गोलियों द्वारा गर्भपात भी किया जा सकता है। लेकिन जितनी जल्दी गर्भपात कराया जाए उतना ही सरल और सुरक्षित होता है। यदि महिला 12 हफ्ते या 3 महीने से ज्यादा अवधि के गर्भ का गर्भपात करवाना चाहती है तो उसमें उसे घबराने की आवश्यकता नहीं है। 20 सप्ताह तक गर्भपात से जुड़ी सेवाएं लेने के लिए महिला को बड़े अस्पताल जैसे कि जिला अस्पताल तथा मेडिकल कॉलेज अस्पताल जाना होगा। गर्भावस्था की अवधि के आधार पर महिला को इन सेवाओं के लिए अस्पताल में भर्ती किया जा सकता है। महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए कि वह गर्भपात के साथ तुरंत ही किसी गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग शुरू कर दें। क्योंकि गर्भपात और अगले गर्भधारण के बीच में कम से कम 6 महीने का अंतर रखना उचित होता है।

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