महिलाओं पर हिंसा को लेकर सामने आई यूएन की चौकाने वाली रिपोर्ट.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में महिलाओं पर अपनी एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें कई भयावह तथ्‍य सामने आए हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ विभिन्‍न तरह की हिंसा जिसमें शारीरिक और यौन हिंसा भी शामिल है, युवावस्‍था से ही शुरू हो जाती है। महिलाओं के ऊपर हिंसा का विस्‍तृत अध्‍ययन कर बनाई गई ये रिपोर्ट ये भी बताती है कि हर तीन में से एक महिला को इसका सामना करना पड़ता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 73.60 करोड़ महिलाओं को अपने जीवन में शारीरिक और यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है। हैरानी की बात ये है कि वर्षों से इसके खिलाफ वैश्विक मंच पर आवाजें उठती रही हैं और इसको रोकने के लिए उपाय भी किए गए हैं, इसके बावजूद बीते एक दशक के दौरान आंकड़ों में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला है।

रिपोर्ट में ये तथ्‍य भी उभरकर सामने आया है कि 15-24 आयु की अधिकतर महिलाओं को अपने साथी के हाथों ही हिंसा का शिकार हुई है। डब्‍ल्‍यूएचओ के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने इस रिपोर्ट को जारी कर अपनी चिंता जताई है। उन्‍होंने कहा है कि ऐसा कोई देश नहीं है जहां पर महिलाओं को इस तरह की हिंसा का शिकार न होना पड़ा हो। मौजूदा कोविड-19 महामारी ने इन हालातों को और अधिक गंभीर बनाने का काम किया है। उन्‍होंने कहा कि कोरोना महामारी को तो वैक्‍सीन के जरिए रोका भी जा सकता है लेकिन महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा को तब तक नहीं रोका जा सकता है जब तक हम अपने आप में अपनी सोच में और समाज में परिवर्तन नहीं लाते हैं। इसके लिए हर स्‍तर पर प्रयास करने की जरूरत है, तभी सफलता संभव है।

रिपोर्ट के मुताबिक अपने साथी के हाथों हिंसा से प्रभावित होने वाली महिलाओं की संख्‍या कुछ लाख नहीं बल्कि 64 करोड़ से भी अधिक है। इस रिपोर्ट में उन सर्वों का भी जिक्र है जिसने इसे बनाने में मदद की है। इसके मुताबिक दुनिया में छह फीसद महिलाओं ने ये भी बताया कि वो अपने पति या साथी की बजाए अन्‍य लोगों के हाथों यौन हिंसा का शिकार बनीं। डब्‍ल्‍यूएचओ प्रमुख के मुताबिक इस रिपोर्ट के माध्‍यम से जो आंकड़े सामने आए हैं वास्‍तविक संख्‍या उससे कहीं अधिक हो सकती है। इसकी वजह ये भी है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के अधिकतर मामले सामने नहीं आ पाते हैं या फिर उनको सामाजिक परेशानियों की वजह से दबा दिया जाता है।

महिलाओं के खिलाफ हिंसा को लेकर सामने आई इस रिपोर्ट को अब तक की सबसे बड़ी रिसर्च बताया गया है। इसमें 2008-2018 तक के आंकड़ों को एकत्रित किया गया है। रिपोर्ट में वर्ष 2013 को इस अपराध में अन्‍य वर्षों के मुकाबले अधिक तेज माना गया है। हालांकि कोरोना की वजह से महिलाओं की हिंसा पर होने वाले प्रभाव का अभी क आकलन नहीं किया जा सका है। लेकिन यूएन की विभिन्‍न एजेंसियों ने इस बारे में आगाह किया है कि कोरोना काल में ये मामले बढ़े ही होंगे कम नहीं हुए होंगे। महिला सशक्तिकरण की वैश्विक संस्‍था यूएन वूमैन की प्रमुख फूमजिले म्‍लांबो न्गुका ने भी इसकी पुष्टि की है। उनका कहना है क‍ि कोरोना काल में महिलाओं के खिलाफ हिंसा का आंकड़ा बढ़ा है। उन्‍होंने ये भी कहा है कि इसको रोकने के लिए सरकार को हर स्‍तर पर कड़े कदम उठाने होंगे।

इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले उन देशों में अधिक हैं जो निम्‍न आय वर्ग या गरीबी की श्रेणी में आते हैं। अपने साथी द्वारा हिंसा का शिकार हुई महिलाओं की बात करें तो इसमें ओशेनिया और दक्षिण एशिया के अलावा सब सहारा अफ्रीकी देशों आगे हैं। यहां पर 15-49 वर्ष की महिलाओं पर 33 से 51 फीसद तक है। वहीं यूरोप में ये 16 से 23 फीसद, मध्य एशिया में 18 फीसद, पूर्वी एशिया में 20 फीसद और दक्षिण पूर्वी एशिया में 21 फीसद है।

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