सीवान के भूगर्भीय जल में मौजूद यूरेनियम से किडनी को खतरा!

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सीवान, गोपालगंज में भूगर्भीय जलप्रदूषण के तथ्य कुछ शोधों में आए हैं सामने

अभी और शोध की आवश्यकता हो रही महसूस, भूगर्भीय जल में यूरेनियम की सांद्रता को कम करने के करने होंगे प्रयास

स्वच्छ सीवान, सुंदर सीवान

✍️गणेश दत्त पाठक, सेंट्रल डेस्‍क, श्रीनारद मीडिया:

कुछ दिन पूर्व सीवान के देश के चौथे नंबर पर प्रदूषित होने का इंफोग्राफिक एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ। प्रदूषण का बेहद नकारात्मक असर सेहत पर ही होता है। इस तथ्य को लेकर सीवान की सिविल सोसाइटी में मंथन दर मंथन चल रहा है। इसी क्रम में यह तथ्य भी सामने आ रहा है कि कुछ वर्ष पूर्व सीवान, गोपालगंज में कुछ विश्वस्तरीय संस्थाओं द्वारा शोध में यह निष्कर्ष निकला था कि यहां के भूगर्भीय जल में यूरेनियम खतरनाक स्तर पर मौजूद है। चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ किडनी के संदर्भ में इसे एक खतरनाक तथ्य स्वीकार कर रहे हैं। हालांकि विशेषज्ञ यह भी बता रहे हैं कि महज कुछ आसान पहलों से सीवान के भूगर्भीय जल में मौजूद यूरेनियम के तत्वों के खतरनाक असर को बेअसर किया जा सकता है।

विश्वस्तरीय संस्थाओं ने किया था कुछ वर्ष पूर्व शोध

यूनाइटेड किंगडम की यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर, ब्रिटिश जियोलॉजिकल सोसाइटी , महावीर कैंसर संस्थान, पटना, आईआईटी खड़गपुर और रुड़की, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रलॉजी, उत्तराखंड द्वारा संयुक्त रूप से कुछ वर्ष पहले किए शोध में सिवान, गोपालगंज आदि जिलों के भूगर्भीय जल में यूरेनियम की मौजूदगी का पता चला। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पानी में यूरेनियम की मात्रा 30 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। लेकिन सीवान, गोपालगंज में यूरेनियम की मात्रा उपर्युक्त शोध में 50 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से ज्यादा मिली है। गौरतलब है कि गंगा के किनारे के कई जिलों में आर्सेनिक की मात्रा अधिक है। लेकिन सीवान, गोपालगंज के भूगर्भीय जल में शोध में आर्सेनिक की मात्रा तो नहीं मिली लेकिन यूरेनियम पाया गया।

यूरेनियम की उपस्थिति सेहत के संदर्भ में बेहद खतरनाक

भूगर्भीय जल में यूरेनियम की जल में उपस्थिति सेहत के संदर्भ में एक खतरनाक संकेत है। डॉक्टर रविकांत सिंह के अनुसार भूगर्भीय जल में यूरेनियम की अधिकता का सबसे खराब असर किडनी पर ही पड़ता है। साथ ही, हड्डी के कमजोर होने की भी आशंकाएं होती है। जल में यूरेनियम की उपस्थिति का खराब असर लीवर पर भी असर होता । संभवतः यूरेनियम कैंसर के लिए भी जिम्मेदार होता है। इसलिए सेहत के संदर्भ में जल में यूरेनियम की उपस्थिति को कम करने के हरसंभव प्रयास करने चाहिए।

शायद फास्फेट उर्वरक का अत्यधिक उपयोग है कारण

सवाल यह उठता है कि सीवान, गोपालगंज के भूगर्भीय जल में यूरेनियम कैसे मौजूद है? जबकि न तो यहां कोई खनन कार्य होता है, न ही कोई रेडियोएक्टिव सोर्स यहां अभी तक पाए गए हैं? विशेषज्ञ बता रहे हैं कि सीवान में भूगर्भीय जल में कृषि कार्य में उपयोग होनेवाले फास्फेट के अधिक उपयोग से यूरेनियम की मौजूदगी बढ़ती है। विशेषज्ञ यह भी बता रहे कि अधिकतम भूगर्भीय जल के दोहन के कारण भी यूरेनियम का संकेंद्रन बढ़ सकता है लेकिन अभी इस तथ्य पर काफी शोध की आवश्यकता है।

जैविक खाद का करना होगा इस्तेमाल

सीवान के भूगर्भीय जल में यूरेनियम की उपस्थिति जल प्रदूषण का ही परिचायक है। विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि बेहतर होगा कि कृषि कार्यों में उर्वरक के तौर पर फास्फेट के विकल्पों को अपनाया जाए। वर्मी कंपोस्ट जैसे अन्य जैविक खादों के इस्तेमाल की प्रवृति भूगर्भीय जल में यूरेनियम की सांद्रता को कम करेगी।

भूगर्भीय जल के दोहन में बरतनी होगी सावधानी

विशेषज्ञ इस बात पर भी बल दे रहे हैं कि सीवान, गोपालगंज में भूगर्भीय जल के दोहन की गति में हाल के दिनों में तीव्रता आई है। उच्च स्तरीय भूजल के दोहन करनेवाले मोटर हर घर में लग रहे हैं। इससे भूगर्भीय जल के दोहन की मात्रा दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इससे भूगर्भीय जल में यूरेनियम की सांद्रता बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि भूगर्भीय जल के उपयोग में बेहद सावधानी बरतने की आवश्यकता है। जिसे हर किसी को समझना होगा।

भू जल रिचार्ज के हरसंभव जतन करने होंगे

सीवान, गोपालगंज के भूगर्भीय जल में यूरेनियम की सांद्रता को कम करने के लिए आवश्यक है कि भू जल के रिचार्ज करने के हर संभव जतन किए जाएं। अभी हाल के दिनों में बिहार सरकार द्वारा चलाई जा रही जल जीवन, हरियाली योजना इस संदर्भ में बेहद कारगर साबित हो सकती है। पुराने कुओं, छोटी ताल तलैया , छोटे छोटे पोखरों के पुनर्जीवन से भूजल रिचार्ज हो सकता है। साथ ही, सड़क के किनारे गढ्ढों को खोदकर उसमें पानी के एकत्र करने तथा वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से वर्षा जल को घर घर में एकत्र करने के भी सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

वृक्षारोपण तो सबसे सरल इलाज

पर्यावरण विशेषज्ञ मानते हैं कि वृक्षारोपण हर तरह के प्रदूषण का समाधान है। भूगर्भीय जल में यूरेनियम की सांद्रता को कम करने में भी वृक्षारोपण बेहद कारगर साबित हो सकता है। इस संदर्भ में यदि उपहार के तौर पर पौधों के देने की परंपरा विकसित हो जाए और सभी संभव जगहों पर वृक्षारोपण किया जाए तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता है। वृक्षारोपण भू जल रिचार्ज में भी करता है सहायता।

सीवान, गोपालगंज में भूगर्भीय जल में यूरेनियम की उपस्थिति संबंधी तथ्य में अभी और अनुसंधान और पड़ताल की आवश्यकता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यहां के जल में यूरेनियम की उपस्थिति के कारण पर शोध की और आवश्यकता महसूस होती है। लेकिन सीवान, गोपालगंज के भूगर्भीय जल में यूरेनियम की उपस्थिति सेहत के लिए खतरनाक अवश्य है। इसलिए यहां के भूगर्भीय जल में यूरेनियम की सांद्रता को कम करने के हरसंभव प्रयास अवश्य होने चाहिए।

सतत वृक्षारोपण ही है हर प्रदूषण का समाधान।
सीवान में वृक्षारोपण करते सोसाइटी हेल्पर ग्रुप ट्रस्ट अनमोल टीम के सदस्य।

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