बारिश के मौसम में डेंगू व चिकनगुनिया को लेकर सतर्कता जरूरी

बारिश के मौसम में डेंगू व चिकनगुनिया को लेकर सतर्कता जरूरी

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जलजमाव व गंदे पानी की वजह से बढ़ जाती है रोग के फैलने की संभावना
सरकारी चिकित्सा संस्थानों में रोग की जांच व उचित इलाज का है प्रबंध

श्रीनारद मीडिया, अररिया, (बिहार):


जिले में मानसून सक्रिय हो चुका है। हर दिन होने वाली बारिश के कारण जगह-जगह जलजमाव की समस्या खड़ी होने लगी है। जो जलजनित बीमारियों की बड़ी वजह है। आमतौर पर इस मौसम डेंगू व चिकनगुनिया के मामलों में बढ़ातेरी देखी जाती है। लिहाजा बाढ़ प्रभावित जिला होने के कारण इन रोगों के प्रति लोगों का खासतौर पर सतर्क रहना जरूरी है। डेंगू व चिकनगुनिया मच्छर के काटने से होने वाले रोग हैं। जो मादा एडिज मच्छर के काटने से फैलता है।

डेंगू व कोरोना के शुरुआती लक्षण एक जैसे:
सिविल सर्जन डॉ एमपी गुप्ता के मुताबिक वैश्विक महामारी के इस दौर में डेंगू व चिकनगुनिया को हल्के में लेने की भूल न करें। डेंगू व कोरोना के शुरुआती लक्षण एक जैसे हैं। जलजमाव व गंदे पानी में मादा एडिज मच्छर पनपते हैं। जो आम मच्छर से अलग होते हैं। ये अक्सर दिन की रोशनी खासकर सुबह में काटते हैं। सर्दी-खांसी के अलावा बदन व जोड़ों में अधिक दर्द के साथ-साथ तेज बुखार रोग के शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं। इसके अलावा आंख के पिछले भाग में दर्द का होना, हथेली में खुजलाहट, शरीर में चकते उभर आना डेंगू व चिकनगुनिया के लक्षणों में से एक हैं।

रोग से बचाव के लिये रखें इन बातों का ध्यान:
जलजनित इन बीमारियों से बचाव के लिये घर के आस-पास साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। घरों के आसपास पानी का जमाव नहीं होने दें। फ्लावर पोट व फूल के गमले का पानी रोज बदलें। आमतौर पर इस समय कूलर का इस्तेमाल होता है तो कूलर में पानी जमा नहीं रहने दें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। सुबह के समय शरीर को पूरी तरह ढक कर रखें। सुबह में मच्छरों से खुद का बचाव के लिये विशेष सावधानी रखें।

स्वास्थ्य संस्थानों में नि:शुल्क जांच व इलाज का है इंतजाम:
सरकारी अस्पतालों में डेंगू व चिकनगुनिया रोग की जांच व समुचित इलाज का प्रबंध है। सरकारी अस्पतालों में होने वाले एलाइजा टेस्ट डेंगू की पहचान के लिये बेहद उपयोगी है। जांच में रोग की पुष्टि होने पर सरकारी अस्पतालों में इलाज का बेहतर प्रबंध उपलब्ध है। वहीं निजी चिकित्सा संस्थानों में जांच के लिये एनएस-1 किट उपयोग में लाया जाता है। लिहाजा सही समय पर रोग की पहचान करते हुए उचित इलाज करना जरूरी है।

 

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