भारत के खेल शासन में व्याप्त प्रमुख समस्याएँ क्या हैं?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत में खेलों को करियर के रूप में अपनाने की राह में सामाजिक-आर्थिक, भाषाई, सांस्कृतिक, आहार संबंधी आदतें, सामाजिक वर्जनाएँ और लैंगिक पूर्वाग्रह जैसी कई बाधाएँ शामिल हैं, जो भारत की युवा महत्वाकांक्षी आबादी के एक बड़े हिस्से को खेल के प्रति अपने उत्साह को बनाए रखने से हतोत्साहित करती हैं।

भारत में खेल प्रशासन (Sports Governance in India) को नया रूप देने और खेल संस्कृति के लोकतंत्रीकरण की दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

भारत में खेल शासन का इतिहास

  • 1950 के दशक की शुरुआत में केंद्र सरकार ने देश में खेलों के गिरते मानकों को समझने के लिये अखिल भारतीय खेल परिषद (All India Council of Sports- AICS) का गठन किया।
  • वर्ष 1982 में एशियाई खेलों (Asian games) के आयोजन बाद खेल विभाग (Department of Sports) को युवा कार्यक्रम और खेल विभाग (Department of Youth Affairs and Sports) में रूपांतरित कर दिया गया।
  • वर्ष 1984 में राष्ट्रीय खेल नीति (National Sports Policy) का निर्माण हुआ।
  • वर्ष 2000 में विभाग को युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय (Ministry of Youth Affairs and Sports- MYAS) में रूपांतरित कर दिया गया।
  • वर्ष 2011 में युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने भारतीय राष्ट्रीय खेल विकास संहिता, 2011 (National Sports Development Code of India 2011) को अधिसूचित किया।
  • वर्ष 2022 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा एरोबेटिक्स, एरो-मॉडलिंग, बैलूनिंग, ड्रोन, हैंग ग्लाइडिंग और पावर्ड हैंग ग्लाइडिंग, पैराशूटिंग आदि के लिये राष्ट्रीय वायु खेल नीति 2022 (NASP 2022) लॉन्च की गई।

भारत में खेल क्षेत्र से संबंधित वर्तमान चुनौतियाँ

  • खेलों के प्रति पारिवारिक रुझान की कमी: भारत में अधिकांश परिवार अपने बच्चों पर शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने और इंजीनियर, डॉक्टर या सफल उद्यमी बनने के लिये कड़ी मेहनत करने का दबाव रखते हैं।
    • इसमें अंतर्निहित भावना यह है कि खेलों में योग्य आजीविका अवसरों का अभाव है और ये एक संपन्न/समृद्ध जीवन के संचालन में मदद नहीं कर सकते।
  • सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ: सामाजिक और आर्थिक असमानताओं का भारतीय खेलों पर नकारात्मक प्रभाव रहा है।
    • गरीबी के कारण आधारभूत खेल अवसंरचना तक पहुँच की कमी, स्टेडियमों तथा अन्य खेल अवसंरचनाओं एवं अवसरों का शहरों में केंद्रित होना, बालिकाओं के लिये खेलों में भाग लेने हेतु प्रोत्साहन की कमी आदि ने देश में एक सकारात्मक खेल संस्कृति के विकास को बाधित किया है।
  • नीतिगत कमियाँ: किसी भी क्षेत्र के विकास के लिये एक प्रभावी नीति का निर्माण और क्रियान्वयन एक अनिवार्य शर्त है।
    • खेलों के मामले में भी यही बात लागू होती है। अभी तक की स्थिति यह है कि संसाधनों की कमी के कारण देश में खेल नीति नियोजन एवं कार्यान्वयन केंद्रीकृत है, जो आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग, ओलंपिक खेलों में बिडिंग स्कैम, महिला हॉकी टीम में यौन उत्पीड़न जैसी कई घटनाओं का कारण बना है।
  • भ्रष्टाचार और खेल प्राधिकरणों का कुप्रबंधन: भ्रष्टाचार तो भारत में खेल प्रशासन का पर्याय ही बन गया है।
    • चाहे वह सबसे लोकप्रिय क्रिकेट हो या हॉकी अथवा भारोत्तोलन, भारत में अधिकांश खेल प्राधिकरण भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण निशाने पर रहे हैं।
    • इसके अलावा, लंबे समय तह खेल निकायों के प्रबंधन से राजनीतिक व्यक्तियों की संलग्नता और ‘राष्ट्रमंडल खेल 2010’ से जुड़े विवादों ने भारत में खेल प्रशासकों की छवि को पर्याप्त धूमिल किया।
  • प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवाओं का उपयोग: खेल क्षेत्र में प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवाओं (Performance Enhancing Drugs) का उपयोग अभी भी एक बड़ी समस्या है। एंटी-डोपिंग नियम के उल्लंघनों (Anti-Doping Rule Violations) या वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी के प्रतिकूल विश्लेषणात्मक निष्कर्षों (Adverse Analytical Findings) में भारत पहले स्थान पर रहा है।
    • देश में एंटी-डोपिंग एजेंसी के गठन के बावजूद अभी भी इस समस्या को प्रभावी ढंग से संबोधित किया जाना शेष है।
  • खेल के खाली मैदान: आधुनिक प्रौद्यिगिकी और वीडियो गेम्स ने बच्चों को शारीरिक खेल में संलग्न होने से दूसरी दिशा में मोड़ दिया है। बच्चे खेल के मैदान में अपने मित्रों के साथ खेलने के बजाय मोबाइल फोन पर अधिक व्यस्त रहते हैं।
    • इसके कारण छोटे बच्चे कम उम्र में ही मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

खेल क्षेत्र से संबंधित सरकार की विभिन्न पहलें

  • फिट इंडिया मूवमेंट
  • खेलो इंडिया
  • SAI प्रशिक्षण केंद्र योजना
  • खेल प्रतिभा खोज पोर्टल
  • राष्ट्रीय खेल पुरस्कार योजना
  • टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना

आगे की राह

  • खेल संस्कृति का लोकतंत्रीकरण: भारत में खेल शासन के लिये एक सुदृढ़ ढाँचे का निर्माण कर भारत की खेल संस्कृति को ज़मीनी स्तर पर पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।
    • भारतीय शिक्षा प्रणाली में खेलों को ऐतिहासिक रूप से पीछे छोड़ दिया गया है। खेलों के प्रति विद्यालयों के दृष्टिकोण में परिवर्तन में भारत में खेल परिदृश्य को नया रूप देने की क्षमता है।
      • ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ में कहा गया है कि विद्यालय अपने पाठ्यक्रम में पारंपरिक और क्षेत्रीय खेलों को शामिल कर सकते हैं लेकिन खेल को पाठ्यक्रम का एक अनिवार्य घटक बनाने को अभी और स्पष्ट करने की आवश्यकता है।
  • सभी खेलों के लिये समान प्रोत्साहन: यह उपयुक्त समय है कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र भारतीय खेल क्षेत्र को वर्तमान विकट स्थिति से उबारने के लिये एक साथ आएँ।
    • BCCI पर न्यायमूर्ति लोढ़ा समिति की अनुशंसाओं का विस्तार अन्य सभी खेल निकायों के लिये करना इस दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा।
  • लैंगिक समानता को बढ़ावा देना: उन रूढ़ियों को तोड़ने की आवश्यकता है जो महिलाओं के खेल गतिविधियों में शामिल होने की संभावना को कम करती हैं। इसका अर्थ खेल क्षेत्र में पेशेवर एथलीटों और नेतृत्वकर्ताओं के रूप में महिलाओं की उन्नति को बढ़ावा देना भी है।
    • इसके साथ ही, महिला खेल में निवेश के अंतर को भरने और महिलाओं एवं बालिकाओं के लिये समान आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने की भी आवश्यकता है। BCCI द्वारा हाल ही में क्रिकेट में लैंगिक वेतन समानता (Gender Pay Parity) लागू करना इस दिशा में आशाजनक कदम है।
  • अवसंरचनागत कमियों को दूर करना: भारत को एक प्रमुख खेल राष्ट्र के रूप में उभरने के लिये सभी खेल संस्थानों में खेल प्रशिक्षण, खेल चिकित्सा, अनुसंधान एवं विश्लेषण में अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम अभ्यासों के साथ आधुनिक बुनियादी ढाँचे के निर्माण में वृहत निवेश करना चाहिये।
    • बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता को ग्रामीण स्तर तक विस्तारित किया जा सकता है और क्षेत्रीय केंद्रों को उन लोगों के लिये उपलब्ध कराया जाना चाहिये जो अपने खेल करियर को पेशेवर स्तर तक ले जाने के प्रति गंभीर हैं।
  • रोज़गार अवसरों का महासागर: सेमी-ऑटोमेटेड ऑफसाइड टेक्नोलॉजी (SAOT)—एक AI सेंसर जिसका उपयोग फीफा विश्व कप 2022 में ऑफसाइड का पता लगाने के लिये किया जा रहा है—जैसे नए तकनीकी हस्तक्षेपों से खेलों में क्रांति आ रही है।
    • खेलों में इस तकनीकी क्रांति के माध्यम से नए रोज़गार अवसर सृजित हो रहे हैं, विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा साइंस के क्षेत्र में। इससे भारत के युवा जनसांख्यिकीय लाभांश को फायदा पहुँच सकता है।
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