क्या कहूं किससे कहूं किसको दोष दूं… जाने वाला चला गया दूर…बहुत दूर… अब सदैव यादों में रहेंगे आप।

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सीवान के लाल कुमार बिहारी पाण्डेय नहीं रहे।

मुंबई के उद्योगपति कुमार बिहारी पाण्डेय का हुआ निधन।

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आप चले गए इसका गम नहीं लेकिन आप इस तरह चले जाएंगे इसका सदैव गम रहेगा! एक टीस रहेगी एक खीज रहेगी जो हमेशा कचोटती रहेगी। आपसे संपर्क पिछले चार-पाँच वर्षों से रहा। मैं पहली बार में ही यह पहचान गया था कि एक ऐसा व्यक्तित्व जिस पर सीवान को गर्व हो सकता है वह आप है। पहली मुलाकात में ही मैं आपके कर्मठता का कायल हो गया था।आपने मुझे एक पुस्तक दिया था ‘अनुभवों का आकाश’ सच मानिए एक बार की बैठक में ही उस पुस्तक को मैं पढ लिया और मैं यह जान सका कि रामेश्वर पाण्डेय कैसे कुमार बिहारी सेठ बन गए ।

आपके अंदर साक्षात नारायणी थी जो आपको सदैव गतिमान रखती थी। लेकिन ऐसा क्या हुआ, नारायणी क्यों रूठ गई। मां तो अपने बच्चों से नहीं रूठती, मां ने बच्चे को अपने से दूर कर दिया। यह संयोग ही है कि जब सीवान अपनी स्थापना के पचास वर्ष पूरे कर रहा है तब अपना सीवान अपना एक लाल खो दिया। आने वाली पीढ़ियां आप की गाथा को याद करेंगी जिन्होंने आपके साथ समय बिताएं हैं उन्हें हमेशा आपकी याद आती रहेगी। हम जैसे लोग जो आपके सीवान दोन आने पर आपसे मिलने जाया करते थे और जीवन के गहरे पैठ की अनुभव के मोती को चुन लाया करते थे।

चाचा जी आपको याद है जब मैंने आपको एक पत्र में आपकी पुस्तक की समीक्षा लिखकर भेजा था तो आपने मुम्बई से मुझे फोन पर कहा था कि मैं बहुत से पत्रकारों से मिला हूं लेकिन आप भीड़ से अलग हो, मैं इसलिए नहीं कह रहा हूं कि आप मेरे जिले से हो, आप एक स्टेट्समैन की तरह मुझे लगते हो। बहरहाल मैं जब भी सीवान आऊंगा,तुमसे मिलूंगा।पूरे करोना काल में आप गांव दोन पर ही थे इस दौरान आपने एक मंदिर का निर्माण भी कराया।

मैं जब भी पूछता था कि वह कौन सी ताकत है जो आपको इन सभी कार्यों के लिए प्रेरित करती है तो आप सीधे अपनी उंगली उठाके सामने दीवार पर लगी नारायणी की वह तैल चित्र को बताते थे, कहते थे यही है वह जो मुझसे सब कुछ करवा रही हैं मैं तो निमित्त मात्र हूँ। कभी-कभी लगता था कि इस व्यक्ति में इतना कुछ है लेकिन यह व्यक्ति इसका श्रेय लेने को तैयार नहीं है और कहते है कि ये सब नारायणी करवा रही है।

हर समय आंख में एक अलग प्रकार की चमक और वह भी ऐसी चमक जो एक पच्चीस साल के नौजवान में दिखती है, वह पचासी साल के मानसिक रूप से दृढ व्यक्तित्व में दिख रही है। आज भी इस समय भी इस व्यक्ति में कुछ करने की उतकंठ लालसा है कि मैं ऐसा कुछ कर जाऊं,मैं ऐसा कुछ कर दूं ताकि आने वाली पीढ़ियां इससे लाभ ले सके और कहे कि यहां एक व्यक्ति ने ऐसा कुछ किया जिससे आज हम सभी को गर्व है।


पिछली बार आप सितंबर महीने में आप सीवान आए थे आपसे मिलने का हम सभी को सौभाग्य प्राप्त हुआ था लेकिन दुबारा आपसे नहीं मिल सका। मुझे यह पता लगा कि नवंबर महीने में आप फिर मुंबई चले जाएंगे। पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगा कि चाचा जी बहुत जल्दी जा रहे हैं लेकिन कोई बात नहीं सीवान के स्थापना वर्ष पूरे होने पर मई 2023 में जो श्रीराम कथा आयोजन गया है उसमें आप जरूर आएंगे, लेकिन 13 जनवरी को अप्रिय समाचार प्राप्त हुई कि आप नहीं रहे।

आप विश्वास करें कि मस्तिष्क में सुई के नोंक के बराबर भी मैं यह नहीं सोच सकता था कि इस कर्मठ व्यक्ति को अभी जाना होगा। जाते तो बहुत लोग हैं लेकिन किसी के यहां होने से पूरी प्रकृति का होना जान पड़ता था वह हमारी बिहारी चाचा थे, क्या शालीनता साहब! हमारी जैसे एक अदना व्यक्ति को वह अपने पूरे अहाते का सैर कराते कई अनुभव को साझा किया करते,जाते समय बाहर तक छोड़ने आते थे और यह हमेशा कहते थे कि दुबारा जरूर आना।

चाचा जी! आपने तो दुबारा मुझे बुला लिया लेकिन अब आप ही नहीं है अब इस अहाते में मैं आपको ढूंढ रहा हूँ। आपको यह बताना होगा कि मैं कहां गया? मैं कहां गया? मैं कहां गया?

आप हमारी यादों में सदैव बने रहेंगे। मन भारी है इसलिए बहुत कुछ और नहीं हो पा रहा है। बहरहाल ईश्वर के आगे सभी को नतमस्तक होना है। प्रभु अपने चरणों में आपको स्थान दें ।
चाचा जी को चरण स्पर्श।

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