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क्या कनाडा की सरकार गिर जाएगी? - श्रीनारद मीडिया

क्या कनाडा की सरकार गिर जाएगी?

क्या कनाडा की सरकार गिर जाएगी?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

खालिस्तानियों के हमदर्द और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की कुर्सी खतरे में आ गई है। बात-बात पर भारत से तकरार रखने वाले जस्टिन ट्रूडो को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब जगमीत सिंह की न्यू डेमक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) ने सप्लाई एंड कॉन्फिडेंस डील से खुद को अलग कर लिया। जगमीत सिंह की एनडीपी जस्टिन ट्रूडो की अल्पमत वाली लिबरल सरकार को सत्ता में बनाए रखने में मदद कर रही थी।

ट्रूडो की कुर्सी कैसे खतरे में आ गई?

जस्टिन ट्रूडो को अब हाउस ऑफ कॉमन चैंबर में अन्य विपक्षी सांसदों का समर्थन हासिल करना होगा। तभी वो बजट पास करा पाएंगे और विश्वास मत जीत सकेंगे। जगमीत सिंह ने एक वीडियो में कहा कि वो 2022 में दोनों नेताओं के बीच हुए एक समझौते को रद्दी की टोकरी में डाल रहे हैं। उन्होंने ट्रूडो पर दक्षिणपंथी कंजर्वेटिव का मुकाबला करने में सक्षम नहीं होने का आरोप लगाया है। सर्वेक्षणों से ये संकेत मिलता है कि कंजर्वेटिव अक्टूबर 2025 के अंत तक होने वाले चुनाव में आसानी से जीत हासिल करने के लिए तैयार हैं।

एनडीपी की डील से हटने की योजना महीनों से चल रही थी। जगमीत सिंह ने कहा कि लिबरल बहुत कमजोर हैं। बहुत स्वार्थी हैं और लोगों के लिए लड़ने के लिए कॉरपोरेट हितों के प्रति समर्पित हैं। वो बदलाव नहीं ला सकते और लोगों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सकते। उन्होंने आगे कहा कि उनहोंने लोगों को निराश किया है। वो कॉरपोरेट लालच पर अंकुश लगाने में पूरी तरह विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका संगठन ही एक ऐसी पार्टी है जो अगले चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी की जीत की कोशिश को नाकाम कर सकती है।

कुर्सी बचाने के लिए खालिस्तान समर्थक को खुश रखना मजबूरी

साल 2019 में कनाडा में आम चुनाव हुए थे। ट्रूडो ने चुनाव में जीत तो दर्ज कर ली थी लेकिन वो सरकार नहीं बना सकते थे। उनकी लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा को 157 सीटें मिली थी। विपक्ष की कंजरवेटिव पार्टी को 121 सीटें हासिल हुई थीं। ट्रूडो के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं था।

सरकार बनाने के लिए उन्हें 170 सीटों की दरकार थी। जिसकी वजह से ट्रूडो की पार्टी ने कनाडा के चुनाव में 24 सीटें हासिल करने वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) का समर्थन लिया। इस पार्टी के मुकिया जगमीत सिंह है जो खालिस्तान आंदोलन के बड़े समर्थक हैं। ट्रूडो के लिए सत्ता में रहने का मतलब जगमीत को खुश रखना।

टूड्रो और जगमीत के बीच का समझौता 

चुनाव के बाद सिंह और ट्रूडो ने कॉन्फिडेंस एंड सप्लाई एग्रीमेंट को साइन किया था। ये समझौता 2025 तक लागू रहने की बात कही गई थी। पिछले साल जब विपक्ष ने कनाडा के चुनावों में चीन के हस्तक्षेप की जांच की मांग की और ट्रूडो पर जबरदस्त अटैक बोला गया। लेकिन उस वक्त जगमीत सिंह की एनडीपी पीएम के लिए ढाल बनकर खड़ी रही। ट्रूडो के समर्थन से सुरक्षित सिंह भारत के खिलाफ और खालिस्तानी मुद्दे के समर्थन में आगे बढ़ते जा रहे हैं।

कनाडाई पीएम को विश्वास मत पर चुनाव से बचने के लिए मामले-दर-मामले आधार पर संसद में तीन मुख्य विपक्षी दलों में से एक को अदालत में पेश करना होगा। उदारवादी और एनडीपी अभी भी सामाजिक नीति की तरह समान प्राथमिकताएँ साझा करते हैं।  दोनों पक्ष संसद में विधेयकों को पारित करने के लिए आने वाले महीनों में इन मुद्दों पर सहयोग और मतदान करना जारी रख सकते हैं।

संक्षेप में कहें तो ट्रूडो के लिए यह बुरी खबर है। उदारवादी कमज़ोर दिखाई दे रहे हैं, वे जनता का विश्वास खो रहे हैं और ऐसा लगता है कि लगभग नौ वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद, कनाडा में परिवर्तन हो सकता है।

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