जिस्म के सौदे में ढल गई जवानी ! अब बूढ़ापे  में क्या होगा

जिस्म के सौदे में ढल गई जवानी ! अब बूढ़ापे  में क्या होगा

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

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समाज के हर वर्ग के खुशी, विवाह, पार्टी में  रंग जमाने वाली आर्केष्‍ट्रा की नर्तकियां,  रेड लाइट इलाके में वेश्याओं के हर रोज़  जिस्मफरोशी की मंडी सजती है।

इस मंडी में अपने जिस्म की प्यास को बुझाने की आस लिए न जाने कितने ही खरीददार हर शाम आते हैं.

जिस्म की इस मंडी में हर रोज़ वेश्याओं की बोली लगती है. जो जितनी कमसीन और जवान होती है, उसे उसकी जवानी की उतनी ही मंहगी कीमत भी मिलती है.

यहां आनेवाले ग्राहक अपनी डिमांड के मुताबिक जेबें खाली करते हैं और अपनी प्यास मिटाकर यहां से चलते बनते हैं.

यह सिलसिला हर रोज़ का है. यहां जवान और हसीन वेश्याएं हर रोज़ अपने जिस्म का सौदा करती हैं और उससे होनेवाली कमाई से वो अपना और अपने परिवार का पेट भरती हैं.

जिस्मफरोशी के इस दलदल में फंसी वेश्याएं अपनी जवानी तो जिस्म का सौदा करके गुज़ार लेती हैं. लेकिन इन वेश्याओं के जीवन में एक दिन ऐसा भी आता है जब उनकी जवानी ढलने लगती है और वो बूढ़ापे की तरफ कदम बढ़ाने लगती हैं.

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लेकिन क्या आपने यह सोचा है कि जब बूढ़ापे में इनके जिस्म का कोई खरीददार नही मिलता, तब ये कहां जाती हैं ? या फिर अपनी जीविका चलाने के लिए क्या करती हैं ?

दर्दनाक होता है वेश्याओं का बूढ़ापा

  • ज्यादातर वेश्याओं की यही कहानी है जब उनकी जवानी ढलने लगती है तब उन्हें कोठे से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है.
  •  जवानी में जिन वेश्याओं के जिस्म की महंगी बोली लगती है, उनके जिस्म के लिए बूढ़ापे में कोई खरीददार नहीं मिलता.
  • जवानी में जिस परिवार का पेट भरने के लिए एक वेश्या अपनी आबरू नीलाम कर देती है. बूढ़ापे में दो रोटी के लिए भी वो अपने परिवार की मोहताज हो जाती है.
  • दूसरा कोई काम नहीं आता जिसके चलते बूढ़ापे में वेश्याएं दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो जाती है. कई वेश्याओं के पास भीख मांगने के अलावा और कोई चारा ही नहीं बचता.
  • बूढ़ापे में कुछ वेश्याएं कमसीन लड़कियों का सौदा करके अपना पेट पालती हैं लेकिन कई ऐसी होती हैं जिनका बूढ़ापा अंधकार में डूब जाता है. क्योंकि न समाज उन्हें अपनाता है और ना परिवार.
  • क्या है इन बदनाम गलियों की सच्चाई
    • जवानी में वेश्याओं को अपने जिस्मफरोशी के धंधे के दौरान अक्सर गर्भ निरोधक गोलियां खानी पड़ती हैं ताकि वो गर्भ ठहरने की चिंता से मुक्त रह सकें.
    • जवानी में तकरीबन हर रोज़ इन वेश्याओं को अपने ग्राहकों को खुश करना होता है, जिसके लिए इन वेश्याओं को कई बार अपने मासिक धर्म रोकने के लिए गोलियों का सेवन करना पड़ता है.
    • जिस्मफरोशी के दलदल में फंसी कई महिलाएं जवानी में ही एड्स जैसी जानलेवा बीमारी की शिकार हो जाती हैं, जिससे उनका बूढ़ापा बीमारी से जूझते हुए गुजरता है.
    • एक महिला को वेश्या बनाने में एक मर्द का ही हाथ होता है लेकिन इस बात को भूलकर समाज हमेशा वेश्याओं को हीन भावना से देखता है, जिससे बूढ़ापे में भी उसे इज्जत की ज़िंदगी नसीब नहीं होती है.

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    इस दलदल में कदम रखनेवाली हर वेश्या की कोई न कोई मजबूरी रही होगी.

    इन वेश्याओं की जवानी तो बार-बार अपने ही जिस्म का सौदा करके आराम से कट जाती है लेकिन बूढ़ापा कितने मुश्किलों से गुज़रता है इसका दर्द एक वेश्या के अलावा और कोई नहीं जान सकता.

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