कूनो नेशनल पार्क में आए 12 चीते

कूनो नेशनल पार्क में आए 12 चीते

चीता के स्थानांतरण को संभव बनाने में नेल्सन मंडेला की भूमिका

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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दक्षिण अफ्रिका से कल 12 चीते लाए गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों के मध्य प्रदेश पहुंचने से भारत की वन्यजीव विविधता को बढ़ावा मिला है। कल 12 चीते मध्य प्रदेश में आए थे जहां से उन्हें श्योपुर जिले के कुनो नेशनल पार्क (केएनपी) में संगरोध बाड़ों में छोड़ दिया गया था। इससे पहले 8 चीते अफ्रीकी देश के नामीबिया से लाए गए थे।

वन्यजीव विविधता को बढ़ावा मिला-पीएम

मध्य प्रदेश में चीतों के पहुंचने पर पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के एक ट्वीट को टैग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर कहा कि इस विकास से भारत की वन्यजीव विविधता को बढ़ावा मिलता है। तो वहीं भूपेंद्र यादव ने अपने ट्वीट में शनिवार को कहा था कि स्वागत है, पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में शुरू किया गया प्रोजेक्ट चीता। आज कूनो नेशनल पार्क में एक और माइलस्टोन पहुंच गया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय कृषि मंत्री की उपस्थिति में 12 चीतों का को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था.

भारत में 1952 में विलप्त हो गए थे चीते

दक्षिण अमेरिका का इंटर-कांटिनेंटल ट्रांसलोकेशन भारत सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का हिस्सा है क्योंकि यह भारत में चीता विलुप्त होने के सात दशकों बाद देश में इन जानवरों को फिर से पेश करने के लिए है। देश का अंतिम चीता 1947 में वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में मर गया था और प्रजाति 1952 में विलुप्त घोषित की गई थी।

कल दक्षिण अफ्रिका से 12 चीते आने से केएनपी में चीते की संख्या 20 हो गई है। प्रधान मंत्री मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को नामीबिया से केएनपी में आठ फेलिन जारी किए थे। नामीबिया ले लाए 8 चीतों में 5 मादा चीते हैं तो वहीं तीन नर चीते शामिल हैं। इस समय जंगल में पूरी तरह से छोड़ने से पहले वह 8 चीते पार्क में शिकार एन्क्लेव में हैं।

सभी 12 चीतों को क्वारंटीन करने के लिए बनाए गए 2500 वर्ग मीटर के बाड़ो में छोड़ा गया है। इस बार पिंजरों से बाहर निकलते ही चीतों की तेज रफ्तार देखने को मिली थी। कूनो नेशनल पार्क में मौजूद 20 चीतों में से दस नर और दस मादा चीते हैं। दक्षिण अफ्रीका से आए 12 चीतों को 10 क्वारंटीन बोमा में अलग रखा गया है। नर और मादा चीतों को अलग-अलग रखा गया है।

चीता के स्थानांतरण को संभव बनाने में नेल्सन मंडेला की भूमिका

दक्षिण अफ्रीका से शनिवार को 12 चीतों का भारत में स्थानांतरण नेल्सन मंडेला के 27 साल बाद श्वेत अल्पसंख्यक रंगभेद सरकार के राजनीतिक कैदी के रूप में राष्ट्रपति चुने जाने के बाद बदले गए पर्यावरण कानूनों के कारण संभव हो सका।

इससे पहले भारत ने रंगभेद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय लड़ाई का नेतृत्व करने वाले दक्षिण अफ्रीका के साथ लगभग चार दशकों तक सभी संबंध खत्म कर दिए थे।

दक्षिण अफ्रीका और भारत की सरकारों ने MOU पर किए हस्ताक्षर

वानिकी, मत्स्य पालन विभाग और पर्यावरण (DFFE) ने शनिवार को एक बयान में कहा- ‘दक्षिण अफ्रीका में, लोकतंत्र में संक्रमण का जंगली चीता संरक्षण के लिए पर्याप्त प्रभाव था। गेम थेफ्ट एक्ट (1991 का नंबर 105) भूमि उपयोग में कृषि से इकोटूरिज्म तक एक बड़े बदलाव के लिए जिम्मेदार था।’ इस साल की शुरुआत में, दक्षिण अफ्रीका और भारत की सरकारों ने भारत में चीता के पुन: परिचय पर सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

1994 के बाद से (जब मंडेला को राष्ट्रपति के रूप में स्थापित किया गया था) चीतों को 63 नए स्थापित गेम रिजर्व में फिर से शामिल किया गया है जो वर्तमान में 460 व्यक्तियों की संयुक्त मेटापोपुलेशन का समर्थन करते हैं।

बयान में कहा गया है कि मत्स्य पालन, वानिकी और पर्यावरण विभाग ने देश के बाहर प्रजातियों के संरक्षण के प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रति वर्ष 29 जंगली चीतों के निर्यात को मंजूरी दी है।

इससे पहले पिछले साल सितंबर महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केएनपी में एक समारोह में नामीबिया से लाए गए आठ चीतों के पहले जत्थे को बाड़ों में छोड़ा था। ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अमित सांघी ने बताया,”दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लेकर एक विमान सुबह करीब 10 बजे ग्वालियर हवाई अड्डे पर उतरा।” एक अन्य अधिकारी ने बताया कि ग्वालियर में मंजूरी प्रक्रिया के बाद इन चीतों को भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर से केएनपी भेजा जाएगा।

उन्होंने कहा कि इन चीतों को ग्वालियर से दोपहर करीब 12 बजे वायुसेना के हेलीकॉप्टर से 165 किलोमीटर दूर केएनपी भेजा जाएगा। वहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव उन्हें अलग-अलग बाड़ों में छोड़ेंगे।

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