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14 फरवरी ? मातृ-पितृ पूजन दिवस पर विशेष - श्रीनारद मीडिया

14 फरवरी ? मातृ-पितृ पूजन दिवस पर विशेष

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श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

प्राचीन काल से ही माता पिता को एक सर्वोच्च स्थान प्रदान किया गया है। अनादिकाल से महापुरुषों ने अपने जीवन में माता-पिता और सदगुरु का आदर-सम्मान किया है। कहा जाता है- माता पिता का स्थान ईश्वर के समान है। माता पिता ही है, जो ईश्वर के आशीर्वाद के रूप में हमारे पास रहते हैं।

आज 14 फरवरी के दिन अंग्रेजी दिवस यानी वेलेंटाइन डे का बहिष्कार करते हुए, हमें हिंदू संस्कृति को अपनाते हुए यह दिन मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाना चाहिए।

>> मातृ-पितृ दिवस क्या है ? >>

फरवरी माह में 14 फरवरी को वैलेंटाइन्स डे ही नहीं बल्कि मातृ-पितृ पूजन दिवस भी मनाया जाता है। यह दिन केवल प्रेमी-प्रेमिका से ही नहीं बल्कि माता-पिता से भी प्यार जताने का दिन होता है। हिंदू धर्म में इस मातृ-पितृ पूजन से संबंधित बड़ी ही रोमांचित कहानी है। आज यह सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे दुनियाभर से करोड़ों लोग मातृ-पितृ पूजन दिवस का समर्थन करते हैं।

14 फरवरी को ʹवेलेंटाइन डेʹ सैंकड़ो हजारों प्रेमी प्रेमिका प्यार के चक्कर में फँस जाते हैं। वासना के कारण वो अपना अच्छा बुरा नहीं सोच पाते इसलिए उन्हें इस दिन एक ऐसे व्यक्ति के बारे में सोचना चाहिए जो उनका भला चाहता हो।

यह दिन ʹमातृ-पितृ पूजनʹ काम-भावना की बुराई से दूर कर के ऊपर उठाकर उज्जवल भविष्य, सच्चरित्र, सदाचार जीवन की ओर ले जायेगा।

>> इस दिन का महत्व >>

हमारी जिंदगी में प्रसन्नता लाने तथा समस्याओं को सुलझाने में माता-पिता का सर्वाधिक योगदान होता है। क्योंकि भारत में माता-पिता हर प्रकार से अपने बच्चों का लालन पोषण करते हैं और माता-पिताओं का पोषण संतजनों से होता है।

यह दिवस आज कई विद्यालयों में भी मनाया जाता है। जिसमें विद्यार्थी अपने माता पिता का तिलक लगाकर व माला पहनाकर पूजन करते हैं। यह दृश्य सबके हृदय को छू लेता है और सभी का मन भावभिवोर हो उठता है।

हमारे माता-पिता ने हमसे अधिक वर्ष दुनिया में गुजारे हैं, उनका अनुभव हमसे कहीं अधिक है, जिसकी हम अपने छोटे अनुभव से तुलना ही नहीं कर सकते। उनका यह अनुभव हमें सहज ही मिलता है।

अतः जो भी व्यक्ति अपनी उन्नति चाहता है, उस व्यक्ति को माता-पिता और गुरु का आदर सत्कार एवं आज्ञा पालन करना चाहिए।

>> कैसे मनाएं मातृ-पितृ पूजन दिवस? >>

अपने माता-पिता को किसी ऊँचे आसन पर बैठाने के लिए उनसे कहें “हे मेरे माता पिता! आपके पूजन के लिए यह आसन मैंने स्थापित किया है। इसे आप ग्रहण करें और मेरा मनोरथ पूर्ण करें।”

• माता-पिता के माथे पर कुमकुम का तिलक लगाएँ।
• मातृ-पितृ पूजन दिवस के दिन बच्चे माता पिता को माला पहनावें, उनका स्वागत करें, उन्हें मिठाई खिलायें, उनके पैर छूयें और माता पिता की आरती करें।
• माला, अगरबत्ती, कुमकुम, दीपक, अक्षत आदि से बच्चे माता-पिता का पूजन करें और माता-पिता से आशीर्वाद प्राप्त करें।
• मुस्लिम बच्चे इस दिन को अब्बा अम्मी इबादत दिवस के रूप में मनाते हैं।
• अब माता-पिता की सात परिक्रमा करें। इससे उन्हें पृथ्वी परिक्रमा का फल प्राप्त होता है।
• आखिर में माता-पिता की सेवा करने का दृढ़ संकल्प करें।

>> एक कदम >>

हमें अपने देश की मूल सभ्यता को बनाये रखने और माता-पिता के प्रति बच्चों का आदर सत्कार लगातार बढ़ाने के लिये इस दिवस को एक त्यौहार के रूप में मनाने के लिए एक कदम उठाना चाहिए।

माता, पिता एवं गुरुजनों का आदर करना हमारी संस्कृति की शोभा है। लेकिन यह संस्कृति धीरे धीरे लुप्त होती जा रही है। अपने से बड़ों और माता पिता को सम्मान ना देना आज शायद चलन सा बन गया है। आज हम इतना पढ़ लिख लेते हैं, लेकिन बड़ों का आदर करना भूलते जा रहे हैं।

आज समय है बदलाव का, हमारे माता-पिता हमसे आग्रह नहीं करते कि संतानें उनका सम्मान-पूजन करें। परंतु बुद्धिमान, शिष्ट संतानें माता-पिता का आदर पूजन करके उनके शुभ संकल्पमय आशीर्वाद से लाभ उठाती हैं।

वर्तमान समय में युवा वर्ग अपने माता-पिता का तिरस्कार कर उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं, साथ ही आज के युवा पाश्चात्य सभ्यता को अपनाते दिख रहे हैं। मगर इस तरह के पूजन के आयोजन से बच्चों में अपने माता पिता के प्रति संस्कारों का सृजन होगा।

यदि आज बच्चे माता-पिता व गुरुजन का सम्मान करेंगे तो उनके हृदय से विशेष मंगलकारी आशीर्वाद उभरेगा, जो देश के इन भावी कर्णधारों को ʹवेलेन्टाइन डेʹ जैसे विकारों से बचा सकेंगे। इसीलिए इस दिन अपने माता-पिता की विधिवत पूजा अर्चना करके, माता पिता से बच्चों को उनके उज्जवल भविष्य का आशीर्वाद लेना चाहिए।

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