कर्नाटक में खेत से 60 बोरियां टमाटर की चोरी

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टमाटर हुआ लाल,क्यों?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कर्नाटक में एक महिला के खेत से 2.5 लाख रुपए के टमाटर चोरी हो गए। चोर 4 जुलाई की रात हासन जिले के गोनी सोमनहल्ली गांव में पहुंचे और खेत से 50-60 बैग टमाटर लेकर फरार हो गए। महिला किसान धारिणी की शिकायत पर हलेबीडु थाने में चोरी का केस दर्ज किया गया है।

धारिणी ने कहा कि चोरी तब हुई जब टमाटर की कीमत 120 रुपए प्रति किलो से ऊपर थी और धारिणी फसल काटकर बेंगलुरु के बाजार में ले जाने की तैयारी कर रही थी।

चोरी के बाद बची हुई फसल नष्ट कर गए चोर

शिकायतकर्ता धारिणी के मुताबिक उसे सेम की फसल में घाटा हुआ था, इसके बाद उसने टमाटर उगाने के लिए कर्ज लिया था। संयोग से फसल अच्छी हुई, कीमतें भी ज्यादा थीं।

हलेबीडु पुलिस ने कहा- हमने सुपारी और बाकी कॉमर्शियल फसलों की चोरी के बारे में सुना था, लेकिन कभी नहीं सुना कि किसी ने टमाटर चुराए हों। यह पहली बार है कि हमारे पुलिस स्टेशन में ऐसा कोई मामला दर्ज किया गया है। धारिणी के बेटे ने भी राज्य सरकार से मुआवजे की गुहार लगाई है।

कर्नाटक में भी टमाटर के दाम आसमान छू रहे

दरअसल धारिणी ने अपने परिवार के साथ दो एकड़ जमीन पर टमाटर उगाए थे। बाकी राज्यों की तरह कर्नाटक में भी पिछले दिनों टमाटर की कीमतें बहुत तेजी से बढ़ीं। बेंगलुरु में टमाटर की कीमतें 101 से 121 रुपए प्रति किलो तक है।

ऊंची कीमतों का जिम्मेदार मार्च और अप्रैल में अचानक तापमान बढ़ने को ठहराया गया है। इस गर्मी से टमाटर की फसलों पर कीटों का हमला हुआ, जिससे पैदावार में कमी आई और बाजार में कीमत बढ़ गई।

19 मई 2023 की खबर है। नासिक की कृषि उपज मंडी में किसान अपने टमाटर बेचने पहुंचे। मंडी में टमाटर की बोली 1 रुपए प्रति किलो लगी। कई किसान मंडी में बेचने की बजाय टमाटर वहीं सड़क पर फेंक कर चले गए। कहा जा रहा है कि टमाटर की कीमतों में अचानक उछाल मानसून और बारिश की वजह से आई है। इस मौसम में टमाटर की कीमतें हर साल बढ़ती हैं।

देश में कई जगहों पर टमाटर की कीमत 100 रुपए के पार चली गई है। उधर, केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि 15 दिन में कीमतें स्थिर होने की उम्मीद है। इसी बीच डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स ने कीमत कंट्रोल करने के लिए लोगों से सुझाव भी मांगे हैं। इसे टोमैटो ग्रैंड चैलेंज (TGC) हैकथॉन कहा गया है। शुक्रवार से इसकी शुरुआत हो गई है।

नासिक की कृषि उपज मंडी में किसान अपने टमाटर बेचने पहुंचे। मंडी में टमाटर की बोली 1 रुपए प्रति किलो लगी। कई किसान मंडी में बेचने की बजाय टमाटर वहीं सड़क पर फेंक कर चले गए।

एक महीने बाद की विडंबना देखिए। किसानों से 1 रुपए किलो टमाटर खरीदने की खबर लिखने वाले न्यूजरूम के एक साथी कल बाजार से 110 रुपए किलो टमाटर खरीदकर लाए। सब्जी वाले ने उन्हें 10 रुपए डिस्काउंट देने का एहसान भी जता दिया।

कहा जा रहा है कि टमाटर की कीमतों में अचानक उछाल मानसून और बारिश की वजह से आई है। इस मौसम में टमाटर की कीमतें हर साल बढ़ती हैं।

माटर की कीमतों में उछाल की वजह जानने के लिए टमाटर की पैदावार को समझना जरूरी है। भारत में टमाटर की दो फसलें उगाई जाती हैं। एक रबी सीजन (दिसंबर से जनवरी में बुआई) और दूसरी खरीफ (अप्रैल-मई में बुआई) के सीजन में। टमाटर की फसल लगभग तीन महीने में तैयार हो जाती है और 45 दिनों तक इसे तोड़ने का काम चलता है।

रबी की फसल मुख्य रूप से महाराष्ट्र के जुन्नार तालुका, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात और छत्तीसगढ़ में उगाई जाती है। इन इलाकों में 5 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में लगाए टमाटर की फसल की सप्लाई मार्च से अगस्त तक होती है।

खरीफ की फसल उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के नासिक और देश के अन्य हिस्सों में उगाई जाती है। 8-9 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में लगाए गए टमाटर की फसल की सप्लाई देश भर के बाजारों में अगस्त के बाद से होती है।

टमाटर की मौजूदा महंगाई की सबसे बड़ी वजह भारी बारिश है। टमाटर जल्दी खराब होने वाली सब्जी है। इसलिए इसकी निरंतर सप्लाई जरूरी है। पिछले कुछ दिनों से कर्नाटक, तेलंगाना समेत दक्षिणी राज्यों के साथ कुछ पहाड़ी राज्यों में भी भारी बारिश हुई है। इससे टमाटर की फसल को नुकसान पहुंचा है और सप्लाई में बाधा आई है।

दिल्ली की आजादपुर थोक मंडी में टमाटर व्यापारी अशोक गनोर ने बताया कि जमीन पर मौजूद टमाटर के पौधे हाल की बारिश के दौरान क्षतिग्रस्त हो गए थे। सिर्फ वे पौधे जो तारों के सहारे खड़े होते हैं, बच गए। यानी फसलों को नुकसान होने से सप्लाई प्रभावित हुई इसलिए कीमतें बढ़ गई हैं।

 रबी के सीजन यानी दिसंबर-जनवरी में बोए गए टमाटर की फसल पर इस बार गर्मी की मार पड़ी। दक्षिण भारत में इसकी वजह से टमाटर में लीफ कर्ल वायरस से उसकी फसलों को काफी नुकसान हुआ। महाराष्ट्र में सर्दी कम पड़ने और मार्च-अप्रैल में अत्यधिक गर्मी की वजह से ककड़ी वायरस के हमले देखे गए। इस वजह से टमाटर के पौधे सूख गए।

कर्नाटक के कोलार में मंडी चलाने वाले सीआर श्रीनाथ कहते हैं कि राज्य में व्हाइट फ्लाई कीट के चलते टमाटर की फसल को नुकसान हुआ। इससे टमाटर की सप्लाई में कमी आई।

इस साल मार्च-अप्रैल में टमाटर की खेती से जुड़े किसानों को झटका लगा। थोक बाजार में मार्च में टमाटर की औसत कीमत 5 से 10 रुपए किलो थी। वहीं अप्रैल में यह लगभग 5 से 15 रुपए प्रति किलो थी। मई में किसानों को 2.50 से 5 रुपए प्रति किलो के बीच बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा।

सतारा जिले के फलटन तालुका के मिरेवाडी गांव के टमाटर उत्पादक अजीत कोर्डे ने कहा कि कीमतों में कमी की वजह से कई किसानों ने अपनी फसलें खेत में ही छोड़ दीं। इससे मार्केट में कम टमाटर आए।

पिछले दो साल से नुकसान झेल रहे किसानों ने इस बार टमाटर की बुआई कम की। वेजिटेबल ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव अनिल मल्होत्रा ​​ने कहा कि 2020 और 2021 में टमाटर की बंपर फसल हुई और कम कीमत की वजह से किसानों को अपनी उपज डंप करनी पड़ी।

इस वजह से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में किसानों ने इस साल टमाटर के उत्पादन में कटौती की और फूल उगाए। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों की तुलना में इस बार टमाटर का उत्पादन आधा हो गया।

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