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केंद्रीय मंत्री मुरलीधरन पर हमले के आरोप में 8 गिरफ्तार, तीन पुलिसकर्मी भी सस्पेंड. - श्रीनारद मीडिया

केंद्रीय मंत्री मुरलीधरन पर हमले के आरोप में 8 गिरफ्तार, तीन पुलिसकर्मी भी सस्पेंड.

केंद्रीय मंत्री मुरलीधरन पर हमले के आरोप में 8 गिरफ्तार, तीन पुलिसकर्मी भी सस्पेंड.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पश्चिम बंगाल में रिजल्ट के बाद जारी हिंसा से कोई अछूता नहीं बचा है. एक दिन पहले गुरुवार को केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन की कार पर हमला किया गया था. पश्चिम मिदनापुर जिले के पंचकुरी गांव में हुए हमले के बाद सियासी घमासान मचा हुआ है. पुलिस ने मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया है. जबकि, लापरवाही बरतने के आरोप में तीन पुलिस कर्मियों को सस्पेंड भी किया गया है. वहीं, हमले को लेकर बीजेपी ने टीएमसी के गुंडों पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

हमले में केंद्रीय राज्यमंत्री को चोट नहीं

केंद्रीय राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने गुरुवार को ट्वीट करके खुद पर हमले करने का वीडियो जारी किया था. इस मामले से सियासी तूफान आ गया था. केंद्रीय राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने कहा था कि उन पर टीएमसी के गुंडों ने हमला किया, जिसके बाद उन्हें यात्रा छोटी करके लौट जाना पड़ा. उनकी गाड़ी की खिड़कियां टूट गई थी. हमले में उन्हें चोट नहीं लगी है

पुलिस की मौजूदगी में हमले का आरोप

केंद्रीय राज्यमंत्री वी मुरलीधरन पर हमले के बाद सियासी घमासान तेज होता जा रहा है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हमले को लेकर टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पर सीधा हमला किया था. जबकि, बीजेपी का आरोप था कि पुलिस की मौजूदगी में वी मुरलीधरन पर हमला किया गया है. हमले के दौरान वहां मौजूद पुलिस तमाशबीन बनी रही. अब हमले को लेकर तीन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है.

हिंसा में कम से कम 16 लोगों की मौत

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव रिजल्ट के बाद लगातार हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं. बीजेपी के मुताबिक बंगाल में जारी हिंसा में कम से कम 16 लोगों की हत्या की जा चुकी है. जबकि, एक लाख से ज्यादा लोग घरों को छोड़कर दूसरी जगह जा चुके हैं. सीएम ममता बनर्जी ने भी हिंसा से सख्ती से निपटने के आदेश दिए हैं. इन सबके बीच लगातार हिंसा की घटनाएं हो रही हैं. यहां तक कि केंद्रीय राज्यमंत्री वी मुरलीधरन पर भी हमला किया गया.

पश्चिम बंगाल में राजनीति से जुड़ी हिंसा की घटनाएं नई बात नहीं हैं. पश्चिम बंगाल में राजनीति हिंसा की शिकार आम जनता के दुख और तकलीफों पर मुआवजे का मरहम लगाने की बात भी नई नहीं है. इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि आम जनता को हिंसा में सबसे ज्यादा तकलीफ क्यों होती है? क्यों उनके ही घर को जला दिया जाता है? क्यों उनकी दुकानों में ही लूटपाट की जाती है? आम जनता तो अपनी सरकार चुनती है. आखिर इन्हें ही सबसे ज्यादा निशाना क्यों बनाया जाता है?

एक लाख से ज्यादा लोगों को घर छोड़ना पड़ा

सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि एक दिन पहले पश्चिम बंगाल में गुरुवार को केंद्रीय राज्यमंत्री वी मुरलीधरन की गाड़ी पर हुए हमले में कुछ लोग गिरफ्तार होते हैं. कुछ पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया जाता है. हिंसा के शिकार एक दर्जन से ज्यादा लोगों के परिवारों को दो-दो लाख मुआवजे का एलान किया गया है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है बंगाल में रिजल्ट के बाद जारी हिंसा के कारण एक लाख लोगों को घर छोड़ना पड़ा है. इनकी सुध कौन लेगा?

हिंसा में मारे गए लोगों पर मुआवजे का मरहम

दरअसल, दो मई को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का रिजल्ट निकला था. बंगाल में चुनाव प्रचार, रिजल्ट डे और रिजल्ट के बाद भी राज्य के विभिन्न जिलों से हिंसक घटनाएं रिपोर्ट की जा रही हैं. बीजेपी का आरोप है कि राजनीतिक हिंसा में 16 लोगों की मौत हुई है. टीएमसी के गुंडे राज्य में हिंसा का तांडव कर रहे हैं. जबकि, ममता बनर्जी का आरोप है कि हिंसा में बीजेपी, टीएमसी और तीसरे मोर्चे के कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है. हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए के मुआ‍वजे का एलान भी किया गया है. सीएम ममता बनर्जी ने किसी भी सूरत में हिंसा बर्दाश्त नहीं करने की बात कही है. लेकिन, हिंसा हो रही हैं.

बंगाल की आम जनता को ज्यादा नुकसान क्यों?

दूसरी तरफ बंगाल में हिंसा से जुड़े मामलों की जांच करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की चार सदस्यीय टीम राज्य के दौरे पर है. केंद्र का आरोप है कि राज्य सरकार से हिंसा की घटनाओं को लेकर सवाल किए गए और उसने चुप्पी साध ली. बात बंगाल में राष्ट्रपति शासन की भी हो रही है. सीएम ममता बनर्जी का दावा है कि बीजेपी ने जनादेश को स्वीकार नहीं किया है और सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है. यहां जिक्र करना जरूरी है कि केंद्रीय राज्य मंत्री वी मुरलीधरन पर हमले के मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है, तीन पुलिसकर्मी भी सस्पेंड हो चुके हैं. बड़ा सवाल फिर वही है सरकार चुनने वाली आम जनता का कसूर क्या है? क्यों राजनीति से जुड़ी हिंसा का उन्हें ही ज्यादा नुकसान होता है.

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