टीटीई को अंग्रेजों के जमाने की सजा से मुक्ति की उम्मीद,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय रेलवे के टीटीई (ट्रैवलिंग टिकट इग्जामिनर) संसद के मानसून सत्र से अंग्रेजों के जमाने की सजा से मुक्ति की उम्मीद लगाए बैठे हैं। उनकी मांग को जायज मानते हुए 132 सांसदों ने समर्थन भी दिया है। दरअसल, क्रांतिकारियों को ट्रेन में सीट के नीचे छिपाकर ले जाने का दोषी मानते हुए ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1931 में टीटीई से रनिंग स्टाफ का दर्जा छीन लिया था। पाकिस्तान और बांग्लादेश ने वर्ष 1962 में दर्जा बहाल कर दिया, मगर भारतीय रेलवे के 17 जोनों में कार्यरत 28 हजार टीटीई आज भी अंग्रेजों द्वारा दी गई सजा भुगत रहे हैं। सिर्फ चालक, परिचालक और गार्ड को ही रनिंग स्टाफ का दर्जा है।

रनिंग स्टाफ को अलाउंस के साथ ही अन्य सुविधाएं भी नहीं

रेलवे बोर्ड ने इस संबंध में दो साल पहले एक कमेटी भी बनाई थी। इंडियन रेलवे टिकट चेकिंग स्टाफ आर्गनाइजेशन ने इस मांग के समर्थन में नए सिरे अभियान शुरू किया है, ताकि मानसून सत्र में उन्हें सजा से मुक्ति मिल सके। इस सजा की वजह से टीटीई को रनिंग स्टाफ के रूप में प्रति किलोमीटर की दर से रनिंग अलाउंस, रेस्ट हाउस में विश्राम और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच की सुविधा भी नहीं मिलती है।

28 हजार टीटीई भारतीय रेलवे के 17 जोन में हैं कार्यरत

आजादी के बाद से टिकट चेकिंग स्टाफ ने रनिंग स्टाफ का दर्जा दिए जाने को लेकर कई बार आंदोलन किया। वर्तमान में इंडियन रेलवे टिकट चेकिंग स्टाफ आर्गनाइजेशन के बैनर तले देशभर के टीटीई इस आंदोलन में शामिल हैं। उनकी मांग को जायज मानते हुए देश के 132 सांसदों ने समर्थन भी दिया। जिस पर दो साल पहले रेलवे बोर्ड ने एक कमेटी भी बनाई थी। इंडियन रेलवे टिकट चेकिंग स्टाफ आर्गनाइजेशन ने प्रधानमंत्री, रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड को पत्र लिखकर जल्द ही रनिंग स्टाफ का दर्जा वापस देने की मांग की है।

बता दें कि रनिंग स्टाफ लोको पायलेट को प्रति किलोमीटर 5.20 रपये, असिसटेंट लोको पायलेट को 3.90 रुपये और गार्ड को 4.75 रुपये की दर से रनिंग अलाउंस, रेस्ट हाउस में विश्राम और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच की सुविधा मिलती है, जबकि टीटीई को कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है। इसलिए वे रनिंग स्टाफ के दर्जा की मांग कर रहे हैं।

ट्रेड यूनियन से मांगा अभिमत

इंडियन रेलवे टिकट चेकिंग स्टाफ आर्गनाइजेशन सहित सभी ट्रेड यूनियन से रेलवे बोर्ड ने अभिमत मांगा है। जिसमें पूछा गया है कि किस प्रकार से इसका समाधान निकाला जा सकता है।

अंग्रेजों की दी गई सजा भुगत रहे टीटीर्इ

इंडियन रेलवे टिकट चेकिंग स्टाफ आर्गनाइजेशन के कार्यकारी अध्यक्ष विक्टर राव ने कहा कि भारतीय रेलवे के 17 जोन में कार्यरत 28 हजार टीटीई कार्यरत है, जो अंग्रेजों की दी गई सजा भुगत रहे है। इसे लेकर सांसदों से मानसून सत्र में मामला उठाने की अपील करेंगे, ताकि हमें इस दंश से बाहर निकाला जा सके।

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