विश्व स्तनपान सप्ताह : विशेष जन-जागरूकता अभियान

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-भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा किया गया आयोजित
-स्तनपान कराना माताओं के लिए भी लाभदायक
मां के शरीर में दूध बनना एक नैसर्गिक प्रक्रिया

श्रीनारद मीडिया,सहरसा (बिहार):

सहरसा  जिले के महिषी प्रखंड अंतर्गत महिषी दक्षिणी पंचायत आंगनबाड़ी केन्द्र सं0- 238 पर भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के फील्ड आउटरीच ब्यूरो सीतामढ़ी द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह का समापन विशेष जन-जागरूकता अभियान चलाकर किया गया। जिसके तहत स्तनापन अभियान को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से प्रचार-प्रसार के विभिन्न साधनों जैसे- नाट्य मंडली द्वारा प्रस्तुति, चित्रांकन, मेहंदी प्रतियोगिता, प्रश्नोतरी कार्यक्रम आदि का उपयोग किया गया। इस मौके पर महिषी प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी रोहित कुमार चौधरी, महिषी दक्षिणी पंचायत के मुखिया नरेश कुमार यादव, केयर इंडिया के पोषण पदाधिकारी विनय कुमार, आर्इसीडीएस की महिला पर्यवेक्षिका सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। कार्यक्रम का उद्धाटन प्रखंड विकास पदाधिकारी महिषी सहित उपस्थिति गणमान्य लोगों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर संयुक्त रूप से किया गया।

कार्यक्रम स्थल पर आये लोगों के बीच नाट्य मंडली द्वारा स्तनपान एवं कोविड टीकाकारण पर नाट्य प्रस्तुति कर लोगों को स्तनपान के लाभ एवं कोविड टीकाकरण के प्रति जागरूक किया गया। कार्यक्रम स्थल पर ही कोविड टीकाकरण सत्र स्थल संचालित करते हुए लोगों को जागरूक करते हुए कोविड टीका भी लगाया गया एवं कोविड से बचने के उपायों से अवगत कराया गया। लोगों को मास्क पहनने, दो गज की दूरी बनाये रखने एवं हाथों को बार-बार विषाणुमुक्त करने के लिए जागरूक किया गया। इसी बीच बच्चे को अन्न प्राशन भी करवाया गया।

स्तनपान कराना माताओं के लिए भी लाभदायक-
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सीडीपीओ महिषी अपर्णा कुमारी ने महिलाओं को स्तनपान के लाभ के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि स्तनपान शिशु के साथ-साथ महिलाओं के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। स्तनपान कराने से माताओं को स्तन कैंसर सहित अन्य कई प्रकार की गंभीर बीमारियाँ होने का खतरा कम हो जाता है। वहीं शिशु को स्तनपान कराने से उनका सम्पूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विकास होता है। जन्म के एक घंटे बाद से शिशुओं को दूध पिलाने से शिशुओं को कई प्रकार की गंभीर बीमारियाँ से बचाया जा सकता है। इस प्रकार शिशु मृत्यु दर पर भी अंकुश लगाने में स्तनपान काफी हद तक मददगार है।

मां के शरीर में दूध बनना एक नैसर्गिक प्रक्रिया-
इस कार्यक्रम के दौराना केयर इंडिया के पोषण पदाधिकारी विनय कुमार ने विस्तारपूवर्क स्तनपान पर चर्चा करते हुए लोगों को इसके लाभ से अवगत कराया एवं लोगों को इस अभियान के माध्यम से स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा मां में दूध का बनना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है, जिसका उपयोग शिशु के विकास के लिए होना अतिआवश्यक है। मां के शरीर में बनने वाला दूध सभी प्रकार से पौष्टिक है। मां का दूध पीने से बच्चों को डायरिया होने का खतरा नहीं के बराबर होता है। मां का दूध शिशुओं के लिए सुपाच्य आहार है। शिशु 6 माह तक केवल अपने मां के दूध पर निर्भर रहते हैं। 6 माह के बाद शिशुओं को अनुपूरक आहार देना आरंभ किया जाता है। 6 माह के बाद लगभग 2 वर्ष तक बच्चे अपने मां के दूध का सेवन कर सकते हैं। दूध पिलाना छोड़ने के बाद मां के शरीर में दूध बनने की प्रक्रिया अपने आप बंद हो जाती है। इसलिए माताओं को चाहिए कि वे अपने शिशुओं को स्तनपान अवश्य करायें।

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