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अलगाववादी नेता के निधन पर कश्मीर में नेट बैन - श्रीनारद मीडिया

अलगाववादी नेता के निधन पर कश्मीर में नेट बैन

 

 

जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का बुधवार रात को 92 साल की उम्र में निधन हो गया।
कल दोपहर से उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी और रात करीब 10:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
आज सुबह 4:37 मिनट पर कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें दफनाया गया।
उनके निधन के बाद अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए घाटी में इंटरनेट बंद कर दिया गया है और सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा किया गया है।

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किडनी से जुड़ी बीमारी से पीड़ित थे गिलानी
गिलानी पिछले दो दशकों से किडनी से जुड़ी बीमारी से पीड़ित थे। वो पिछले कई सालों से हैदरपोरा स्थित अपने आवास पर नजरबंद थे और यहीं उनका इलाज किया जा रहा था।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने गिलानी को श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया, ‘गिलानी साहब के निधन की खबर से दुखी हैं। कई मुद्दों पर हमारे मतभेद थे, लेकिन मैं उनका सम्मान करती है। अल्लाह उन्हें जन्नत में जगह दे और उनके परिजनों को सब्र दे।’

29 सितंबर, 1929 को पैदा हुए गिलानी तीन बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा के विधायक बने थे। वो 1972, 1977 और 1987 सोपोर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।
गिलानी पहले जमात-ए-इस्लामी का प्रतिनिधित्व करते थे, जिस पर अब पाबंदी लगा दी है। बाद में वो उन्हें ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का नेता चुना गया था।
बता दें कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की शुरुआत 1993 में हुई थी, जब 20 से अधिक धार्मिक और राजनीतिक दल एक साथ आए थे।

2003 में गिलानी ने बनाया अलग संगठन
कुछ साल बाद गिलानी ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से अलग हो गए और 2003 में अलग संगठन बना लिया। 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के अगले साल उन्होंने हुर्रियत से नाता तोड़ लिया।

पाकिस्तान ने गिलानी को दिया था अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान
पाकिस्तान ने पिछले साल सैयद अली शाह गिलानी को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए पाकिस्तान’ दिया था। हालांकि, गिलानी यह सम्मान लेने नहीं गए थे और स्थानीय हुर्रियत नेताओं ने उनकी जगह यह पुरस्कार लिया था।
पाक समर्थक माने जाने वाले गिलानी के निधन पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने दुख जताते हुए एक दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है। इसके अलावा उन्होंने देश के झंडे को भी आधा झुकाने का फैसला किया है।

गिलानी के निधन के बाद पूरी घाटी में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया है।
संवेदनशील स्थानों पर पुलिस और सुरक्षाबलों की संख्या बढ़ाई गई है और सभी जिलों के पुलिस प्रमुखों को कानून-व्यवस्था पर खास ध्यान देने को कहा गया है।
गिलानी के आवास की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है और किसी को वहां जाने की इजाजत नहीं है। कई जगह कर्फ्यू जैसी पाबंदियां लगाई गई हैं।

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