80 साल के बुजुर्ग ने फाइलेरिया को दी मात, अब गांव के लोगों में जगा रहे जागरूकता की अलख

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• राशन लेने आनेवाले हर व्यक्ति को करते हैं जागरूक
• 40 वर्ष पहले हाइड्रोसिल में हो गया था फाइलेरिया
• तीन गोली खाने के बाद ठीक हुआ फाइलेरिया

श्रीनारद मीडिया‚ पंकज मिश्रा‚ छपरा (बिहार)

आज से करीब 40 वर्ष पूर्व वीरेंद्र प्रसाद सिंह के जीवन का काला समय था। जब उन्हें फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी हो गयी। हसंते -खिलखिलाते जीवन में अंधेरा छा गया। वह फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गये। उन्हें हाइड्रोसिल में फाइलेरिया हो गया। उसके बाद उनका जीवन कष्टदायक हो गया। उनका एक एक पल दर्द और कष्ट से कट रहा था। कई अस्पतालों में अपना इलाज कराये । किसी भी उम्मीद को नहीं छोड़ रहे थे। करीब 10 वर्षों तक अपनी खुशहाल जीवन को फिर से जीने की जदोहद कर रहे थे। कई जगहों से इलाज कराकर और दवा खाकर थक चुके थे। वह हिम्मत हार चुके थे कि अब उनका फाइलेरिया ठीक होगा। हम बात कर रहे हैं सारण जिले के सदर प्रखंड के नैनी गांव निवासी 80 वर्षीय बुजुर्ग वीरेंद्र प्रसाद सिंह की। जो पेशे से जनवितरण प्रणाली के दुकानदार हैं। हाइड्रोसिल में फाइलेरिया होने से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। उन्हें तपिश भरी गर्मी में भी रजाई की जरूरत पड़ जाती थी, तो कभी तेज बुखार आता था। उनका हाइड्रोसिल का वजन काफी बढ़ गया था और उसमें मवाद भी हो गया था। लेकिन नाउम्मीद को भी उम्मीद बदलने की जिम्मेदारी गांव के स्वास्थ्य कार्यकर्ता इंद्रसेन सिंह ने उठायी। स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले इंद्रसेन करीब 30 पूर्व उन्हें सरकारी अस्पताल से फाइलेरिया की तीन गोली लाकर दी । जिसे खाने के बाद उनका फाइलेरिया पूरी तरह से ठीक हो गया।

अब फाइलेरिया बचाव के लिए जगा रहे जागरूकता की अलख:

80 वर्षीय वीरेंद्र प्रसाद सिंह पेशे से पीडीएस दुकान के डीलर हैं । उनके यहां गांव के लोग राशन लेने आते हैं। राशन लेने के लिए आने वाले सभी लोगों को वह फाइलेरिया से बचाव के प्रति जागरूक करते हैं। वह बताते हैं कि सरकारी दवा हीं फाइलेरिया से बचाव में कारगर साबित होगा। उन्होने कहा कि यह हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचायें। ताकि अधिक से अधिक लोगों को जानकारी मिल सके। वे सितंबर माह में चलने वाले अभियान के प्रति लोगों को जानकारी देकर जागरूक करने का काम कर रहे हैं।

मैंने जिस दर्द को महसूस किया वे कोई और न करें:

वीरेंद्र प्रसाद सिंह कहते हैं कि जब मुझे फाइलेरिया हुआ था तो जो दर्द मैनें महसूस किया है। वो दर्द किसी और व्यक्ति को नहीं सहना पड़े इसके लिए मैं संकल्पित हूं। मेरी आधी से ज्यादा उम्र अब पूरा हो चुकी है। लेकिन उस उम्र में फाइलेरिया होना काफी पीड्दायक था। मैं जब तक जीवित रहूंगा तब आमजनता को इस गंभीर बिमारी के प्रति जागरूक करने का काम करूंगा।

स्वास्थ्य विभाग ने दिया नया जीवन:
जब हर अस्पताल की दरवाजा खटखटाने के बाद बीमारी ठीक नहीं हुआ तो वह उम्मीद हार चुके थे। वह अपने जीवन को उस बीमारी के साथ जीने का आदत बना चुके थे। लेकिन गांव के एक छोटे से स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने स्वास्थ्य विभाग से दवा उपलब्ध कराकर उनके जीवन को हीं बदल दिया। अब वह पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। वीरेंद्र प्रसाद सिंह का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की बदौलत आज उन्हें नया जीवन मिला है।

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