सिवान में आजादी के अमृत महोत्सव पर नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नालिस्ट के द्वारा परिचर्चा आयोजित

 

नेशनल लिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट बिहार के सिवान इकाई के द्वारा सिवान शहर के कलावती मैरिज हॉल में आजादी के 75 साल में बिहार की पत्रकारिता दशा और दिशा पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में प्रज्ञा परिवार के राम आशीष जी ,रविंद्र राय, डॉ अशोक प्रियम्बद, डॉक्टर विजय कुमार पांडे, आनंद किशोर मिश्रा, सिवान इकाई के अध्यक्ष ललन सिंह, महासचिव आकाश कुमार शामिल हुए। अपने संबोधन में रमेश जी ने कहा कि, वर्तमान दौर में पत्रकारों के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है ,अपने गांव अपने क्षेत्र में आजादी की लड़ाई में जो लोग शहीद हो गए ,जो लोग जेलों में बंद हो गए, और वह गुमनाम है उनको समाज के सामने लाना आज के पत्रकारों का काम है। तभी आजादी का अमृत महोत्सव सार्थक होगा ।

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रामाशीष जी ने अपने संबोधन में बताया कि, पत्रकार से जिम्मेदार पत्रकार बनना पत्रकारिता की दशा है। उपयोगी,निर्माणकारी, जिम्मेदारी पूर्ण भूमिका पत्रकार कि आने वाले समय की दशा है।
राजनेता पत्रकार को अपनी जेब में रखना चाहते हैं। कोरोना काल की पत्रकारिता सब दौर से भिन्न है, क्योंकि यहां झूठ की एक लंबी पत्रकारिता की गई, जिससे हमारे देश और हमारे शासन प्रशासन की छवि खराब हो सके।
हमारी खबर आपके मानसिकता का पोषण नहीं करती, तो आप हमें गोदी मीडिया का उपाधि डे डालते हैं। पत्रकार किसके प्रति उत्तरदाई हो किसके प्रति निष्पक्ष हो यह बड़ा यक्ष प्रश्न है?
जो उतसाही होता है, वही पत्रकार होता है। भारत के समाज ने पत्रकारों को चौथा स्तंभ नाम दिया है। ऐसे में हमारा दायित्व समाज के प्रति और बढ़ जाता है। प्रवक्ता और पत्रकार में अंतर होना चाहिए। समाज के पतन के साथ पत्रकारों में भी अवनीति हुई है लेकिन हमें इसका ध्यान रखना है कि हम नेशनलिसट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट बिहार हैं। पत्रकारों के संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि इसकी एक सीमा है इसके कुछ बिंदु है एक प्रत्यय है एक प्रतिमान है। हम राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं।
पत्रकारों को चाहिए कि वह अपनी शब्दावली को गढे। ज्ञान के निकट जाएं,पत्रकार का गुणधर्म होना चाहिए। वह शब्दों के माध्यम से समाज की ग्रंथियों को खोलें। पत्रकारिता में शिवत्व है उसका धर्म है। आज आप आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि हम अमृत महोत्सव के माध्यम से समाज में अपने पुरखे पूर्वजों को याद करें।
स्वाधीनता के 75 वें वर्ष में पत्रकारिता निश्चित ही लेखन की ताकत को बढ़ाएगी।राष्ट्र सर्वोपरि होगा तो हम भी सुदृढ़ होंगे।पत्रकारिता में सत्य सापेक्ष शब्द हैं।भाषा की समृद्धि के लिए आवश्यक हैं कि आप नित्य अपने लेखन को सुदृढ़ करे,निर्भिक होकर अपने विचार प्रकट करें।
आज का यह आयोजन पत्रकारिता के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा और स्वाधीनता के 75 वें वर्ष में इस तरह के आयोजन से आप सभी के माध्यम से समाज में जागरुकता आएगी। कार्यक्रम में
ललन सिंह नीलमणि (अध्यक्ष), श्री रामाशीष सिंह, डॉक्टर अशोक प्रियम्बद, डॉक्टर विजय पांडेय, आकाश कुमार, आनंद किशोर मिश्रा,राजेश कुमार पांडेय आदि शामिल हुए।

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