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कुछ लोग खालिस्तान की मांग क्यों करते हैं जबकि पूरा भारत उनका है- राजनाथ सिंह,रक्षा मंत्री. - श्रीनारद मीडिया

कुछ लोग खालिस्तान की मांग क्यों करते हैं जबकि पूरा भारत उनका है- राजनाथ सिंह,रक्षा मंत्री.

कुछ लोग खालिस्तान की मांग क्यों करते हैं जबकि पूरा भारत उनका है- राजनाथ सिंह,रक्षा मंत्री.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम में कहा कि कुछ लोग खालिस्तान की मांग क्यों करते हैं जबकि पूरा हिन्दुस्तान उनका है। उन्होंने यह टिप्पणी उस समय की जब वह केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ ‘शाइनिंग सिख यूथ ऑफ इंडिया’ नामक पुस्तक के विमोचन में शामिल हो रहे थे। रक्षा मंत्री ने कहा, ‘भारतीय संस्कृति को अतीत में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा था। अगर भारतीय संस्कृति आज कायम है तो यह सिख समुदाय के कारण है।

सिख समुदाय का गौरवशाली इतिहास है। विडंबना यह है कि उनमें से बहुत से लोग उनका इतिहास नहीं जानते हैं। रक्षा मंत्री ने कहा, ‘मैं कहूंगा कि अपने युवाओं को सिख समुदाय का इतिहास सिखाएं। यह देश सिख समुदाय के योगदान को कभी नहीं भूलेगा। कुछ लोग खालिस्तान की मांग करते हैं। आप खालिस्तान के बारे में क्यों बात करते हैं, जब पूरा हिंदुस्तान आपका है?’ उन्होंने कहा, ‘इस साल हम गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती (प्रकाश पर्व) मना रहे हैं।

गुरु तेग बहादुर के नाम पर शौर्य है, साहस है और उनका नाम और काम दोनों ही हमें प्रेरणा देते हैं। सिख समुदाय अपनी जाति, धर्म के बावजूद सभी के लिए लंगर की सेवा करता है। यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी भी सिख धर्म के इतिहास और बलिदान की सराहना करते हैं।’ स्वतंत्रता संग्राम में सिख समुदाय का बहुत बड़ा योगदान था। जब हमें आजादी मिली और विभाजन की त्रासदी का सामना करना पड़ा, तो सिखों ने बहुत कुछ झेला।’’

तो ऐसा करने वालों को ये जरूर सोचना चाहिए कि वो “दशम पातशाह” की शिक्षाओं का अनुकरण कर रहे हैं या उसके विपरीत जा रहे हैं? उन्हें ये जरूर सोचना चाहिए कि उनके आचरण से पवित्र “खालसा” शब्द शोभित हो रहा है अथवा इस पवित्र शब्द दुरूपयोग हो रहा है? इसके बाद उन्होंने प्रश्न करने वाले से कहा- सतगुरु “नानक देव जी” की प्राकट्य स्थली ‘तलवंडी साहिब’ वर्तमान पाकिस्तान में है। चतुर्थ पातशाही “गुरु रामदास जी” की प्राकट्य स्थली चूना मण्डी, लाहौर में है। वह भी दुर्भाग्य से आज पाकिस्तान में आता है। दशम पातशाह “गुरु गोविंद सिंह जी” का प्रकाश बिहार के पटना साहिब में हुआ था तो जहाँ तक खालिस्तान का ही प्रश्न है तो मुझे आपसे इतना पूछना है कि जो खालिस्तान आप मांग रहे हो उसमें हमारे गुरुओं की ये प्राकट्य स्थली शामिल होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? उन्होंने आगे कहा- “करतारपुर साहिब” जहाँ गुरु नानक देव जी ज्योति-जोत में समाये थे वो आज पाकिस्तान में हैं। पंचम “गुरु अर्जुन देव” जी ने ‘लाहौर’ में शरीर छोड़ा था। दशम पातशाह “गुरु गोविंद सिंह जी” महाराज ‘नांदेड़ साहिब’, महाराष्ट्र में ज्योति-ज्योत में समाये थे। मुझे आपसे इतना ही पूछना है कि जो खालिस्तान आप मांग रहे हो उसमें हमारे गुरुओं के ज्योति-ज्योत में समाने की ये स्थली होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए?

उन्होंने आगे कहा- “दशमेश पिता” ने जब “खालसा “सजाया था तो शीश देने जो पंच प्यारे आगे आये थे। उनमें से एक ‘भाई दयाराम’ लाहौर से थे। दूसरे मेरठ के ‘भाई धरम सिंह जी’ थे। तीसरे जगन्नाथपुरी, उड़ीसा के ‘हिम्मत सिंह जी’ थे। चौथे द्वारका, गुजरात के युवक ‘मोहकम चन्द जी’ थे और पांचवें कर्नाटक के बीदर से भाई ‘साहिब चन्द सिंह’ जी थे। मेरा प्रश्न ये है कि उस खालिस्तान के अंदर इन पंच प्यारों की जन्म-स्थली होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए?

तो उन्होंने आगे कहा- सिख धर्म के अंदर पांच तख्त बड़ी महत्ता रखते हैं, इनमें से एक तख्त श्री पटना साहिब में है जो बिहार की राजधानी पटना शहर में स्थित है। 1666 में “गुरु गोबिंद सिंह जी” महाराज का यहाँ प्रकाश हुआ था और आनंदपुर साहिब में जाने से पहले उन्होंने यहाँ अपना बचपन यहाँ बिताया था। लीलाएं की थीं। इसके अलावा पटना में गुरु नानक देव जी और गुरु तेग बहादुर जी के भी पवित्र चरण पड़े थे। एक और तख़्त श्री हजूर साहिब महाराष्ट्र राज्य के नांदेड़ में है। तो मेरा प्रश्न ये है कि ये सब पवित्र स्थल आपके खालिस्तान में होने चाहिए कि नहीं होने चाहिए?

उन्होंने आगे कहा- महाराजा रणजीत सिंह ने जिस विशाल राज्य की स्थापना की था, उसकी राजधानी लाहौर थी। उनके महान सेनापति हरिसिंह नलवा की जन्म स्थली और शरीर त्याग स्थली दोनों ही आज के पाकिस्तान में हैं, इसके अलावा अनगिनत ऐसे संत जिनका बाणी पवित्र श्री गुरुग्रंथ साहिब में है वो सब भारत के अलग-अलग स्थानों में जन्मे थे। मेरा प्रश्न है कि आपके इस खालिस्तान में ये सब जगहें आनी चाहिए कि नहीं आनी चाहिए?

प्रश्नकर्ता से उन्होंने कहा- इन सारे प्रश्नों के उत्तर तभी मिल सकते हैं और ये सारे ही स्थल तभी खालिस्तान के अंदर तभी आ सकते हैं जब आप और मैं ये मानें कि सारा “हिंदुस्तान ही खालिस्तान है” और “सारा खालिस्तान ही हिंदुस्तान है”। मान लो अगर आपने खालिस्तान ले भी लिया तो क्या इन जगहों पर वीजा और पासपोर्ट लेकर आओगे जो आज तुम्हारे अपने है? आप तो बड़े छोटे मन के हो जो इतने से खालिस्तान मांग कर खुश हो रहे हो और मैं तो आपको खालिस्तान में पूरा अखंड हिंदुस्तान दे रहा हूँ। है हिम्मत मेरे साथ ये आवाज़ उठाने की?

 

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