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बांग्लादेश में हिंदुओं का भविष्य खतरे में,क्यों? - श्रीनारद मीडिया

बांग्लादेश में हिंदुओं का भविष्य खतरे में,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

एक झूठी अफवाह की आड़ लेकर बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पंडालों, मंदिरों और हिंदुओं के घरों पर जैसे भीषण हमले किए गए, उससे यही साबित होता है कि इस देश में बचे-खुचे हिंदू समुदाय के लिए रहना दूभर होता जा रहा है। इसके पहले भारतीय प्रधानमंत्री की बांग्लादेश यात्र के बाद भी हिंदू मंदिरों पर चुन-चुनकर हमले किए गए थे। यह ठीक है कि भारतीय विदेश मंत्रलय ने बांग्लादेश में घट रही घटनाओं का संज्ञान लिया, लेकिन इसके आसार कम हैं कि इससे वहां की सरकार चेतेगी और परिस्थितियां सुधरेंगी। हालात बदलने के आसार इसलिए भी कम हैं, क्योंकि बांग्लादेश में कट्टरपंथी और जिहादी तत्व बढ़ते जा रहे हैं।

बांग्लादेश सरकार इन तत्वों से कड़ाई से निपटने के बजाय जिस तरह उनसे समझौते करने की प्रवृत्ति दिखा रही है, वह खतरे की घंटी है। बांग्लादेश में पंथनिरपेक्ष सोच वाले लोग भी जिहादी तत्वों के निशाने पर हैं। अब तो वहां इस्लामिक स्टेट सरीखे खूंखार आतंकी संगठन ने भी जड़ें जमा ली हैं। इससे बड़ी विडंबना और कोई नहीं कि बांग्लादेश में तब हिंदुओं को निशाना बनाया गया, जब भारत उसकी मुक्ति का 50वां वर्ष मना रहा है। बेहतर हो कि बांग्लादेश सरकार यह समङो कि उसके यहां बेलगाम होते जिहादी दोनों देशों के संबंधों को पटरी से उतारने का काम कर रहे हैं। वहां की घटनाओं का भारत पर असर पड़ना स्वाभाविक है।

जैसे बांग्लादेश में हिंदुओं का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है, वैसे ही पाकिस्तान में भी। पाकिस्तान में तो हिंदुओं के दमन में वहां का शासन-प्रशासन और अदालतें भी लिप्त हैं। अफगानिस्तान में तो हिंदू और सिख खत्म होने के ही कगार पर हैं। एक ऐसे समय जब इन तीनों देशों में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए कहीं कोई उम्मीद की किरण नहीं नजर आती, तब इसे उनकी अनदेखी की पराकाष्ठा ही कहा जाएगा कि अपने देश में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ किस तरह आसमान सिर पर उठा लिया गया था।

विपक्षी दलों के साथ तथाकथित सेक्युलर तत्वों ने इस कानून का विरोध करते हुए जिस तरह जहर उगला और लोगों को बरगलाया, उसे विस्मृत नहीं किया जाना चाहिए। यह सही समय है कि इस कानून के अमल की दिशा में कुछ इस तरह आगे बढ़ा जाए, जिससे इन तीनों देशों में लुटते-पिटते और जिहादी हमले ङोलते अल्पसंख्यकों को संबल मिले। इसी के साथ भारत को इसके प्रति भी सचेत रहना होगा कि देश में जिहादी तत्वों को सिर उठाने का मौका न मिले। अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के बाद इसका खतरा कहीं अधिक बढ़ गया है।

 

 

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