Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
अफगानिस्तान पर NSA स्तरीय वार्ता की मेजबानी क्यों कर रहा है भारत? - श्रीनारद मीडिया

अफगानिस्तान पर NSA स्तरीय वार्ता की मेजबानी क्यों कर रहा है भारत?

अफगानिस्तान पर NSA स्तरीय वार्ता की मेजबानी क्यों कर रहा है भारत?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत ने पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान में जन-केंद्रित परियोजनाओं पर तीन बिलियन अमरीकी डालर से अधिक खर्च करते हुए देश के पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, यहां तक ​​कि तालिबान ने भी नई दिल्ली के योगदान को स्वीकार किया है। चाहे जी20 शिखर सम्मेलन हो, ब्रिक्स सम्मेलन हो या द्विपक्षीय चर्चा, अफगानिस्तान के मुद्दे को लेकर भारत प्रमुख भागीदार रहा है।

भारत की ओर से आयोजित अफगानिस्तान पर अपनी तरह की पहली क्षेत्रीय वार्ता में भाग लेने के लिए रूस, ईरान और सभी पांच मध्य एशियाई देशों के सात सुरक्षा अधिकारी मंगलवार को दिल्ली पहुंच रहे हैं। ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, और तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के अलावा रूस और ईरान भी अफगानिस्तान पर दिल्ली में होने वाली इस बैठक में भाग लेंगे।

बैठक की अध्यक्षता भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करेंगे। इससे पहले ईरान ने इसी तरह के प्रारूप में संवादों की मेजबानी की थी। हालांकि, इस बार संवाद में सात देशों की सबसे अधिक भागीदारी होगी। प्रारूप का पालन करते हुए भारत ने पाकिस्तान और चीन को भी इसमें आमंत्रित किया था। हालांकि, दोनों ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। हालांकि चीन नेकहा है कि वह बहुपक्षीय और द्विपक्षीय स्तरों पर अफगानिस्तान पर भारत के साथ बातचीत के लिए तैयार है। चीन ने ईरान द्वारा आयोजित पिछली बैठकों और हाल ही में ब्रिक्स बैठक में भी भाग लिया था।

वहीं, अधिकारियों को लगता है कि पाकिस्तान कभी भी अफगानिस्तान की समस्याओं के समाधान का हिस्सा नहीं बनना चाहता है, क्योंकि सभी मानते हैं कि पाकिस्तान ही अफगानिस्तान में समस्या का असल स्रोत है। यह दुनिया के लिए कोई रहस्य नहीं है कि पाकिस्तान और उसकी कुख्यात खुफिया एजेंसी – इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आइएसआइ) वर्षों से तालिबान में हक्कानी और आइएसआइएस खुरासान का समर्थन देती रही है। इसके साथ ही, पाकिस्तान अफगानों को मानवीय सहायता के प्रवाह में एक प्रमुख बाधा के रूप में भी उभरा है।

भारत अफानिस्तान को अति आवश्यक सहायता की आपूर्ति के लिए तैयार है, लेकिन पाकिस्तान लगातार मदद पहुंचान में बाधा खड़ी कर रहा है। इस प्रारूप में आयोजित किसी भी बैठक में पाकिस्तान शामिल नहीं हुआ और अब उसने भारत के निमंत्रण को भी अस्वीकार कर दिया है।

दिल्ली संवाद में भाग लेने वाले सात अन्य देशों के साथ भारत, अफगानिस्तान और उसके आसपास से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरों पर विस्तार से चर्चा करेगा। इसके साथ ही कई प्रतिभागियों ने मादक पदार्थों की तस्करी और अफगानिस्तान में संयुक्त राज्य द्वारा छोड़े गए विशाल हथियारों के उपयोग पर भी चिंता जताई है। दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान इन सब मुद्दों की परवाह किए बिना तालिबान सरकार के साथ लगातार बातचीत कर रहा है।

ईरान, रूस और यहां बातचीत में भाग लेने वाले सभी मध्य एशियाई देश तालिबान शासन को मान्यता देने के फैसले से कोसो दूर हैं। सूत्रों ने एएनआई को बताया कि तालिबान को मान्यता देना उनके एजेंडे में भी नहीं है। सभी भाग लेने वाले देशों ने अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों, महिला अधिकारों और मानवाधिकारों के प्रतिनिधित्व के संबंध में चिंता जताई है।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!