अर्थव्यवस्था पर युद्ध का क्या असर होगा?

अर्थव्यवस्था पर युद्ध का क्या असर होगा?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी की आर्थिक चुनौतियों से पूरी तरह उबर भी नहीं पायी है, वहीं अब रूस-यूक्रेन युद्ध ने नयी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं.   मौजूदा भू-राजनीतिक संकट से भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. भारत कच्चे तेल का आयातक है. तेल की अपनी जरूरतों का लगभग 80 फीसदी आयात किया जाता है.

 वित्तमंत्री ने एशिया इकोनॉमिक डायलॉग में कहा था कि दुनिया में उत्पन्न हो रही नयी चुनौतियों से भारत के विकास के समक्ष बाधाएं खड़ी होनेवाली हैं. भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस-यूक्रेन संघर्ष के चलते तेल कीमतों में पिछले एक महीने में 21 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है.

यह 2014 के स्तर पर हैं. पांच विधानसभा चुनावों को देखते हुए नवंबर, 2021 से पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों को अपरिवर्तित रखा गया है. लेकिन, चुनावों के बाद पेट्रोल और डीजल कीमतों में तेजी दिखेगी. एलपीजी कीमतों में भी बड़ी वृद्धि के आसार हैं.

युद्ध का असर शेयर बाजार, उद्योग-कारोबार पर दिखने लगा है. बीते 25 फरवरी को सेंसेक्स 55858 अंकों पर था. रुपये में भी गिरावट आ रही है. कई प्रमुख वैश्विक मुद्राओं की तुलना में डॉलर मजबूत हुआ है. लगभग सभी उद्योगों में कच्चे माल की कीमतें बढ़ने लगी हैं. वाहनों की परिचालन लागत बढ़ गयी है. यूरिया और फॉस्फेट महंगे हुए हैं. खाद्य तेल की कीमतों पर बड़ा असर हुआ है.

चीन और पाकिस्तान की निरंतर रक्षा चुनौतियों के बीच भारत के लिए मजबूत नेतृत्व और सुदृढ़ आर्थिक पहचान जरूरी है. आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाना होगा. देश में विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) की नयी भूमिका, मेक इन इंडिया अभियान की सफलता और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का उपयुक्त क्रियान्वयन आवश्यक है. विनिर्माण के साथ-साथ निर्यात के बढ़ते मौकों को मुठ्ठियों में लेना होगा. इससे आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ेंगेे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वैश्विक खाद्य आपूर्ति के मद्देनजर सरकार कृषि क्षेत्र को आधुनिक एवं स्मार्ट बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है. वर्ष 2022-23 के नये बजट का फोकस तकनीक के साथ कृषि के तेज विकास पर है. उन्होंने कहा कि अब कृषि को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाने में कॉरपोरेट सेक्टर बड़ी भूमिका निभा सकता है. निश्चित रूप से वर्ष 2022 में जबरदस्त कृषि उत्पादन और अच्छा मॉनसून देश के आर्थिक-सामाजिक सभी क्षेत्रों के लिए लाभप्रद होगा.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक, सभी प्रमुख फसलों के एमएसपी में उत्साहजनक वृद्धि, पीएम किसान के मार्फत जनवरी, 2022 तक 11.30 करोड़ से अधिक किसानों को 1.82 लाख करोड़ रुपयों की सराहनीय आर्थिक मदद, कृषि क्षेत्र में शोध एवं नवाचार को बढ़ावा और विभिन्न कृषि विकास की योजनाओं से पूरे कृषि क्षेत्र को लाभ मिल रहा है.

इस वर्ष रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है. इससे खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. अत्यधिक खाद्यान्न उत्पादन से देश की खाद्यान्न मांग की पूर्ति सरलता से होगी. देश के पास खाद्यान्न का सुरक्षित भंडार होगा और दुनिया के कई देशों को कृषि निर्यात बढ़ाये जा सकेंगे. खाद्यान्न के वैश्विक बाजार में कृषि जिंसों की कीमतें बढ़ने के मद्देनजर भारत से अधिक कृषि निर्यात किसानों की अधिक आय बढ़ाने का मौका बनते हुए दिखायी देगा.

यह भी महत्वपूर्ण है कि दुनिया को 25 फीसदी से अधिक गेहूं का निर्यात करने वाले रूस और यूक्रेन के युद्ध में फंस जाने के कारण भारत के करीब 2.42 करोड़ टन के विशाल गेहूं भंडार से गेहूं के अधिक निर्यात की संभावनाओं को मुठ्ठियों में लिया जा सकेगा. भारत को गेहूं निर्यात के लिए मिस्र, बांग्लादेश और तुर्की जैसे देशों को बड़ी मात्रा में निर्यात पूरा करने का मौका मिलेगा. अब भारत द्वारा चावल, बाजरा, मक्का और अन्य मोटे अनाज के निर्यात में भी भारी वृद्धि का नया अध्याय लिखा जा सकेगा. अनुमान है कि आगामी वर्ष 2022-23 में कृषि निर्यात 55-60 अरब डॉलर मूल्य की ऊंचाई पर पहुंच सकता है.

अब देश को मेक इन इंडिया अभियान से मैन्युफैक्चरिंग का नया हब और मैन्युफैक्चरिंग निर्यात करने वाला प्रमुख देश बनाना होगा. प्रधानमंत्री ने रक्षा क्षेत्र पर आम बजट के सकारात्मक प्रभाव पर आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में हो रहे बदलावों के मद्देनजर आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान की अहमियत बढ़ गयी है.

खासतौर से अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना बेहद जरूरी है. ज्ञातव्य है कि एक फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए कहा गया कि सरकार द्वारा सेज के वर्तमान स्वरूप को परिवर्तित किया जायेगा. सेज में उपलब्ध संसाधनों का पूरा उपयोग करते हुए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों के लिए विनिर्माण किया जायेगा. जहां पीएलआई योजना की सफलता से चीन से आयात किये जाने वाले कई प्रकार के कच्चे माल के विकल्प तैयार हो सकेंगे, वहीं औद्योगिक उत्पादों का निर्यात भी बढ़ सकेगा.

हम उम्मीद करें कि रूस और यूक्रेन युद्ध संकट से निर्मित चुनौतियों के बीच भी रणनीतिपूर्वक भारत सेज का अधिकतम उपयोग करने के साथ मेक इन इंडिया को सफल बनाकर आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से आगे बढ़ेगा. रूस और यूक्रेन युद्ध संकट के बीच खाद्यान्न की आपूर्ति संबंधी वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर एक बार फिर भारत वैश्विक खाद्य जरूरतों की आपूर्ति करने वाले मददगार देश के रूप में दिखायी देगा.

भारत द्वारा ईरान के साथ विभिन्न सामानों की खरीदी में रुपयों में भुगतान सुनिश्चित हो सकेगा और रूस के साथ भी रुपये में व्यापार सुनिश्चित किया जा सकेगा. भारत से खाद्यान्न निर्यात, विनिर्माण निर्यात और सेवा निर्यात बढ़ने से प्राप्त होने वाली अधिक विदेशी मुद्रा कच्चे तेल की आसमान छूती कीमतों के बीच व्यापार घाटे में बहुत कुछ कमी लाते हुए भी दिखायी दे सकेगी. ऐसे रणनीतिक प्रयासों से यूक्रेन संकट की चुनौतियों के बीच भी भारत वर्ष 2022 में आठ-नौ फीसदी की विकास दर को मुठ्ठियों में लेते हुए दिखायी देगा.

Leave a Reply

error: Content is protected !!