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22 अप्रैल को बच्चों को खिलायी जायेगी अल्बेंडाजोल दवाई - श्रीनारद मीडिया

22 अप्रैल को बच्चों को खिलायी जायेगी अल्बेंडाजोल दवाई

22 अप्रैल को बच्चों को खिलायी जायेगी अल्बेंडाजोल दवाई

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शिक्षक व आंगनबाड़ी सेविका अपनी मौजूदगी में बच्चों को खिलाएंगे दवा

-कृमि मुक्ति के लिए चलाया जायेगा जिला में अभियान

-23 लाख से अधिक बच्चे दवा के सेवन के लिए चिह्नित

श्रीनारद मीडिया, गया,(बिहार):

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस को lekar जिला में 22 अप्रैल को बच्चों को कृमि की दवा खिलायी जायेगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा शिक्षा तथा समेकित बाल विकास परियोजना विभाग के साथ समन्वय स्थापित किया गया है। कृमि मुक्ति के लिए ​स्कूलों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को अल्बेंडाजोल दवा सेवन कराया जायेगा। वहीं 26 अप्रैल को मॉप—राउंड के तहत दवा सेवन से छूटे हुए बच्चों को इस दवा का सेवन कराया जाना है।

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ फिरोज अहमद ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम को लेकर लक्ष्य का निर्धारण जनसंख्या के आधार पर किया गया है। दवा सेवन के लिए एक से 19 वर्ष आयुवर्ग के 23 लाख 94 हजार 745 बच्चे लक्षित हैं। दवा की आपूर्ति हो चुकी है। संबंधित विभागों को दवा उपलब्ध कराते हुए शतप्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कहा गया है। शिक्षा विभाग व आईसीडीएस बच्चों को शिक्षकों व आंगनबाड़ी सेविकाओं की मौजूदगी में दवा सेवन कराना सुनिश्चित करेंगे।

उन्होंने बताया इसके लिए आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रखंड स्तर पर 13 से 19 अप्रैल के मध्य किया जाना है। कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए जीविका तथा पंचायती राज विभाग के साथ भी समन्वय स्थापित किया गया है।

पेट में कृमि से बाधित होता है मानसिक शारीरिक विकास:
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने बताया बच्चों और किशोर एवं किशोरियों में कृमि के कारण मानसिक और शारीरिक विकास बाधित होता है। ​स्कूलों में अनुपस्थिति बढ़ती है और इससे उनका पढ़ाई का नुकसान होता है। आर्थिक उत्पादकता में कमी आती है। बच्चा, कुपोषण और एनमिया का शिकार हो जाता है।

लक्षणों की पहचान कर बच्चों को जरूर करायें दवा सेवन:
कृमि ऐसे परजीवी हैं जो मनुष्य की आंत में रहते हैं ओर जीवित रहने के लिए मानव शरीर के जरूरी पोषक तत्व को खाते हैं। संक्रमित बच्चे की शौच में कृमि के अंडे होते हें। खुले में शौच करने से ये अंडे मिट्टी में मिल जाते और विकसित होते हैं। अन्य बच्चे नंगे पैर चलने से , गंदे हाथों से खाना खाने से या फिर बिना पका हुआ भोजन खाने से लार्वा के संपर्क में आने से संक्रमित हो जाते हैं। संक्रमित बच्चों में कृमि के अंडे व लार्वा रहते जो बच्चे के स्वास्थ्य को हानि पहुंचाते हैं। गंभीर कृमि संक्रमण से दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, उल्टी और भूख नहीं लगना सहित कई लक्षण हो सकते हैं। एक बच्चे में कृमि की मात्रा जितनी अधिक होगी संक्रमित में उतने ही अधिक लक्षण होंगे।

बढ़ती हैं रोग प्रतिरोधक क्षमता, होता है पोषण में सुधार:
कृमि मुक्ति के लिए दवा सेवन कराने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। स्वास्थ्य और पोषण में सुधार होता है। एनीमिया को नियंत्रित किया जा सकता है। बच्चों के सीखने की क्षमता और कक्षा में उपस्थिति में सुधार होता तथा व्यस्क होने पर काम करने की क्षमता ओर आय में बढ़ोतरी आदि जैसे फायदे होते हैं।

कृमि संक्रमण से बचाव के तरीके:
नाखून साफ और छोटे रखें
हमेशा साफ पानी पीयें
खाने को ढक कर रखें
साफ पानी से फल् व सब्जियां धोयें
अपने हाथ साबुन से धोएं विशेषकर खाने से पहले ओर शौच के बाद
आसपास सफाई रखें
जूते पहनें
खुले में शौच ना करें
हमेशा शौचालय का प्रयोग करें।

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