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क्या आप राणा दंपत्ति को जानते है,ये क्यों ठाकरे से टकरा रहे है? - श्रीनारद मीडिया

क्या आप राणा दंपत्ति को जानते है,ये क्यों ठाकरे से टकरा रहे है?

क्या आप राणा दंपत्ति को जानते है,ये क्यों ठाकरे से टकरा रहे है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अमरावती जिले के रहने वाली दंपत्ति के दोनों सदस्य सक्रिय राजनीति में मौजूद हैं। 43 वर्षीय रवि राणा, तीन बार के निर्दलीय विधायक हैं, जो बडनेरा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं उनकी पत्नी नवनीत राणा अमरावती से निर्दलीय सांसद हैं।

हनुमान चालीसा विवाद 

नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा पेशे से दोनों राजनीतिक हस्तियां हैं। लेकिन नवनीत राणा असल में फिल्म अभिनेत्री रह चुकी हैं। पंजाबी माता-पिता की संतान नवनीत राणा कभी एनसीपी में हुआ करती थीं। लेकिन फिलहाल वो एक निर्दलीय सांसद हैं और अमरावती में शिवसेना को हराकर सदन पहुंची हैं। नवनीत राणा ने मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने का चैलेंज देकर सीधे-सीधे शिवसेना सहित उद्धव ठाकरे को निशाने पर लेने का काम किया। जिसके बाद वो बड़ी तैयारी के साथ मुंबई पहुंच भी गईं।

मुंबई में हनुमान चालीसा पढ़ने की सांसद नवनीत राणा की चेतावनी के बाद पूरे दिन हंगामेदार रहा। शिवसेना के कार्यकर्ता उनके घर के बाहर जमा हो गए और उन्होंने बैरिकेडिंग भी तोड़ दी है। फिर भी नवनीत राणा अपने रुख पर कायम रहीं और हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करूगीं। मुझे कोई रोक नहीं सकता। इस दौरान राणा ने शिवसेना के नेताओं पर जमकर कटाक्ष किए।

हालांकि शाम होते-होते खबर आई कि नवनीत राणा मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने के अपने जिद को टाल दिया है। जिसके पीछे की वजह पीएम मोदी का रविवार को मुंबई में कार्यक्रम है। ऐसे में सुरक्षा को लेकर बड़े सवाल खड़े हो सकते हैं। इसलिए पुलिस से बातचीत में बीच का रास्ता निकाला जा रहा है। बताया जा रहा है कि नवनीत राणा मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने की जिद छोड़ दिया है।

 नवनीत ने फिल्मों से राजनीति में एंट्री ली 

अमरावती की बडनेरा  सीट से रवि राणा का राजनीतिक ग्राफ बढ़ना शुरू हुआ जब  उन्होंने 2009 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था। माना जाता है कि युवाओं के बीच राणा की पर्याप्त फॉलोइंग ने इस जीत में उनकी काफी मदद की। शहर भर में अपनी तस्वीर के साथ फ्लेक्स पोस्टर लगाने के लिए प्रतिद्वंद्वियों ने उन्हें “फ्लेक्स कुमार” के रूप में भी संदर्भित किया। 36 वर्षीय उनकी पत्नी नवनीत राणा एक पंजाबी परिवार में पैदा हुई और मुंबई में पली-बढ़ी। 2004 में  उन्होंने एक कन्नड़ फिल्म के साथ टिनसेल की दुनिया में प्रवेश किया।

द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में नवनीत राणा ने एक बार कहा था कि उन्होंने जाने-माने फिल्मी सितारों विजयकांत, जूनियर एनटीआर, ममूटी के साथ काम किया है और वो सात भाषाओं में पारंगत हैं। नवनीत ने कन्नड़ फिल्म ‘दर्शन’ से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की। इसके अलावा, नवनीत ने तेलुगु फिल्म सीनू, वसंथी और लक्ष्मी में भी एक्टिंग की। 2005 में तेलुगु फिल्म चेतना, जग्पथी, गुड बॉय और 2008 में भूमा में भी उन्होंने बतौर एक्ट्रेस काम किया।

बाबा रामदेव ने कराई शादी

बाबा रामदेव के साथ एक मुलाकात ने उनकी कहानी की पटकथा बदल दी। अमरावती में अपने कई ‘योग शिविरों’  के आयोजन के बाद रवि राणा रामदेव की गुड बुक्स में पहले से ही थे। कहा जाता है कि उन दोनों की मुलाकात एक ऐसे ही योग शिविर में हुई थी। रवि राणा से एक योग कैंप में मुलाकात हुई थी, जिसके बाद इस रिश्ते को आगे बढ़ाने के लिए दोनों ने बाबा रामदेव से स्वीकृति ली।

सामूहिक विवाह कार्यक्रम में कई नामचीन हस्तियां रहीं मौजूद

दोनों ने आखिरकार 2011 में योग गुरु द्वारा आयोजित एक सामूहिक विवाह समारोह में 3,000 से अधिक जोड़ों के साथ शादी कर ली। 2 फरवरी 2011 को हुए इस विवाह समारोह में कुल 3162 जोड़ों की शादी हुई थी इनमें 2443 हिन्दू, 739 बुद्ध, 150 मुस्लिम, 15 क्रिश्चियन और 13 दृष्टिहीन जोड़े शामिल थे। विधायक की शादी होने के कारण इस समारोह में काफी नामचीन हस्तियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। इनमें महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, योग गुरु बाबा रामदेव, सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय और विवेक ओबरॉय भी इस विवाह में शामिल हुए थे।

कभी एनसीपी कभी बीजेपी

अमरावती का राणा दंपत्ति राजनीति में स्वतंत्र विचारों की वजह से किसी भी दल की सीमा से नहीं बंधा है। उदाहरण के लिए रवि राणा ने 2014 से पहले केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के खिलाफ रामदेव द्वारा नियोजित महाराष्ट्र में विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व करने के बावजूद, पत्नी नवनीत राणा यूपीए के घटक राकांपा से 2014 के लोकसभा चुनाव में अमरावती से टिकट पाने में कामयाब रही थी। इस टिकट ने राणाओं को महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना सरकार का समर्थन करने से भी नहीं रोका। अमरावती लोकसभा की अपनी पहली लड़ाई में राणा ने शिवसेना के उम्मीदवार के साथ चुनावी टक्कर ली।

नवनीत ने अमरावती शिवसेना के सांसद आनंदराव अडसुल द्वारा उत्पीड़न की घटना का जिक्र करते हुए लाइव टीवी पर फफक पड़ी थीं। इस प्रकरण ने हालांकि उसकी मदद नहीं की, और वह चुनाव हार गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में नवनीत राणा ने फिर से अमरावती लोकसभा सीट से एनसीपी के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, इस बार अडसुल के खिलाफ विजयी हुईं।

लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र के बदलते राजनीतिक समीकरण के बाद राणा दंपत्ति के स्टैंड में भी परिवर्तन आया। रवि राणा ने भाजपा का पक्ष लिया और अन्य निर्दलीय विधायकों से भी पार्टी का समर्थन करने को कहा। लेकिन महाविकास अघाड़ी की सरकार बनने के बाद रवि राणा शांत हो गए। वर्तमान में राणा दंपति की ओर से मातोश्री के बाहर लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा का पाठ करने की धमकी  उनके एक बार फिर भाजपा के करीब जाने का संकेत दे रही है।

जाति प्रमाण पत्र से लेकर तेजाब फेंकने की धमकी तक 

सूत्रों ने कहा कि नवीनतम यू-टर्न अडसुल द्वारा नवनीत राणा पर अमरावती लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए जाति प्रमाणपत्र से छेड़छाड़ का आरोप लगाने का परिणाम स्वरूप है। मार्च 2021 में नवनीत ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से शिकायत की कि शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने उन्हें जेल में भेजने की धमकी दी है। जून 2021 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवनीत का जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया।

आदेश के खिलाफ उनकी अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस साल जनवरी में, राणा और शिवसेना के बीच संबंधों में और भी तल्खी देखने को मिली जब अमरावती नगर आयुक्त पर हमले को लेकर रवि राणा पर हत्या के प्रयास के लिए मामला दर्ज किया गया। राणा का दावा है कि वह घटना के समय मौके पर मौजूद नहीं थे। मामले की जांच चल रही है। नवनीत राणा ने आरोप लगाया कि इससे पूर्व भी शिवसेना के लेटर हेड और फोन कॉल के माध्यम से उनके चेहरे पर तेजाब फेंकने की धमकी दी जा चुकी है। उन्होंने सावंत के बयान को न सिर्फ अपना, बल्कि पूरे देश की महिलाओं का अपमान करार दिया।

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