पाँच दिनों तक चलने वाले गुरु ज्ञान कथा का आयोजन आज से
ग्यासपुर स्थित संत शिरोमणि साहिब जी सरकार के समाधि स्थल पर होगा कार्यक्रम
श्रीनारद मीडिया, सिसवन, सीवान (बिहार):
सीवान जिले के सिसवन प्रखंड क्षेत्र के ग्यासपुर स्थित संत शिरोमणि साहिब जी सरकार के समाधि स्थल पर साहिब दरबार द्वारा आयोजित होने वाले पांच दिवसीय गुरु ज्ञान कथा का आयोज आज से आरंभ हो गया है।
इस संबंध में साहिब दरबार के पीठाधीपति देवेंद्र सिंह उर्फ बबुआ जी सरकार द्वारा दी गई। उन्होंने बताया कि संत शिरोमणि साहिब जी सरकार के समाधि स्थल पर साहिब दरबार द्वारा गुरु ज्ञान कथा का आयोजन एक जून बुधवार से शुरू होकर रविवार पाँच जून तक चलेगा। वहीं पाँच जून को संत शिरोमणि साहिब जी सरकार के 14 वें परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर विशाल भंडार के आयोजन के साथ साथ गुरु ज्ञान कथा का समापन किया जाएगा।
आयोजित गुरु ज्ञान कथा में बाल व्यास पंडित अनुराग कृष्ण शास्त्री द्वारा गुरु महिमा तथा मनुष्य के जीवन में गुरु का क्या महत्व है,अपने प्रवचन के माध्यम से प्रतिदिन संध्या सात बजे से कथा सुनने आए हुए लोगों को बताया जाएगा। आयोजन को लेकर साहिब दरबार द्वारा सारी तैयारी पूरी कर ली गई है।
लगभग पाँच हजार लोगों को एक साथ बैठने के लिए भव्य पूजा पंडाल का निर्माण कराया गया है। वही साहिब दरबार तक जाने वाले रास्ते को तोरणद्वार के माध्यम से आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
बताया जाता है कि संत शिरोमणि साहिब जी का जन्म उनतीस सितंबर सन उन्नीस सौ (1900)में सिसवन प्रखंड क्षेत्र के गयासपुर गाँव मे एक किसान परिवार हुआ था। संत शिरोमणि साहिब जी सरकार अपने माता पिता के प्रथम पुत्र धन रूप में भगवान के प्रसाद स्वरूप प्राप्त हुए थे। संत शिरोमणि साहिब जी सरकार का बचपन का नाम बड़े प्यार से घर वालों ने चंद्र दीप सिह रखा था।उनके माता का नाम रामरति देवी तथा पिता का नाम घुरुल सिंह था।
माता रामरति देवी के पांचवे संतान में सबसे बड़े थे।चंद्र दीप सिंह के पिता घुरुल सिंह किसान थे और वह चाहते थे कि उनका पुत्र भी उन्हीं की तरह एक किसान बने। लेकिन ऊपर वाले ने चंद्र दीप सिंह के बारे में कुछ और ही सोच रखा था। लाख कोशिश के बाद भी चंद्र दीप सिंह ना खेती में अपना मन लगा सके ना उन्हें स्कूल के बंधन ही रोक पाए।
बताया जाता है कि बचपन के समय जब भी उनकी माता अपने में घर में पूजा अर्चना करती थी तो वह बड़े ध्यान से माता द्वारा किए जाने वाले पूजा अर्चना को देखा करते थे और माता से अक्सर पूछा करते थे कि मां तू इन्हें क्यों पूजती हो तब माँ उन्हें बताया करती कि यह सभी देवता और हम सभी की रक्षा करते है इसलिए इन्हें हमारे द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। तब उस समय चंद्र दीप सिंह कहा करते थे कि मैं भी बड़ा होकर इन्हीं देवताओं की तरह बनूंगा उस समय उनकी बातें में बचपन का लड़कपन दिखाई देता था। लेकिन यह कौन जानता था कि बड़ा होकर वह भी इतने बड़े संत के रूप में इस संसार में जाने जाएंगे।
वह बचपन से ही जहां पर संतों की टोली दिखती उधर ही चल पड़ते थे और पूरा दिन उसी जगह बिताते थे कभी-कभी तो ऐसा होता था कि दो दो दिन तक संतों के बीच में ही बैठे रह जाते थे जिससे उन्हें घर आने के बाद माता पिता की डांट भी सुननी पड़ती थी। लेकिन इन सबसे परे वह हमेशा संतों की सेवा में ही लगे रहे। उनके इस स्वभाव से माता-पिता काफी चिंतित रहते थे। लेकिन इन सब बातों से संत शिरोमणि साहिब जी सरकार के ऊपर कोई असर नहीं पड़ा था।
आखिरकार एक दिन ऐसा समय आया कि वह घर बार छोड़कर अध्यात्म की तरफ चल पड़े और वह अध्यात्मिक ज्ञान की खोज को लेकर कोलकता,पीलीभीत, बाग मोर्चा में उन्होंने अपना लंबा समय बिताया। उसके बाद वह नेपाल के जंगलों में अध्यात्म को लेकर लंबी साधनाएं की।ऐसा बताया जाता है कि संत शिरोमणि साहब जी सरकार के पास आने वाले लोगों को कभी कोई कष्ट नहीं हुआ,कोई अपने कष्ट को लेकर जब भी आया सरकार के पास पहुंचा ने से उसकी सारी परेशानियां दूर हो गई।
संत शिरोमणि सरकार एक परोपकारी संत थे तथा वे सभी धर्मों को एक साथ लेकर चलने की भावना रखते थे। उनके मन में कभी भी किसी धर्म के प्रति दुर्भावना उत्पन्न नहीं हुई। तथा वे सभी धर्म के लोगों को एक समान प्रेम और स्नेह दिया करते थे। यही कारण है कि संत शिरोमणि साहेब जी सरकार के समाधि स्थल पर विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग भी उनके समाधि स्थल पर आते हैं तथा अपनी मन्नत पूरा करने को लेकर उनकी पूजा अर्चना करते हैं।
उत्तर बिहार के धार्मिक स्थलों में संत शिरोमणि साहेब जी के समाधि स्थल की अपनी एक अलग ही पहचान है। यहां पर उनके अवतरण दिवस के अवसर पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और सरकारी जी के समाधि की पूजा अर्चना करते हैं।
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