विश्व का अद्भुत सूर्यदेव मंदिर सीवान में मिला ।

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priyranjan singh
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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान में मिला भगवान सूर्य देव की पाल कालीन प्रतिमा ।
सीवान की प्राचीनता का मिल रहा साक्ष्य ।
गढ़वाल राजा गोविंद चंद्र देव की पत्नी कुमार देवी इसी क्षेत्र की थी ।
प्राचीन गढ़ के पास जोते हुए खेत में मिला प्रतिमा ।


सीवान जिला के नौतन प्रखण्ड के अंगौता पंचायत के हथौजी गांव में गत बुधवार को जोते हुए खेत से प्राचीन भगवान सूर्यदेव की बड़ी प्रतिमा मिली ।बताया जाता कि गढ़ के पास जोते हुए खेत से एक औरत गुजर रही थी उसे खेत में एक बहुत बड़ा सिलवट के आकार का पत्थर दिखाई दिया ।वह उसे देखने गयी तथा उठाई पर उससे अकेले उठ नहीं पाया जिससे वह अपने पौत्री को बुलाई ।दोनों मिलकर उस पत्थर को उठाए तथा उल्टे तो उसे मूर्ति का आकार जैसा दिखाई दिया ।

गांव में यह बात आग की तरह फैल गयी । जब सभी ग्रामीण व आसपास के लोग आए तो सबने कहा कि यह भगवान विष्णु की प्रतिमा है ।इसके बाद ग्रामीणों ने पूजा अर्चना शुरू कर दिया तथा उस दिन से प्रतिदिन लोगों का आना जाना प्रारम्भ हो गया ।पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से बात किये तो स्पष्ट हुआ कि यह भगवान सूर्यदेव की प्रतिमा है जिसका काल 9वी से 10वी शदी का है ।

किस काल की है यह प्रतिमा ।
इतिहासकार सह शोधार्थी कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि यह प्रतिमा पाल काल की प्रतीत होती है यानी आज से 13 सौ वर्ष पूर्व की है ।उन्होंने बताया कि विगत कुछ वर्षों पूर्व , हुसैनगंज प्रखण्ड के तेलकत्थु नामक ग्राम में भी विष्णु की एक प्रतिमा मिली है जिसे कुषाण-गुप्तकालीन बताया जाता है ।शोधार्थी ने बताया कि इस काल की प्रतिमा पचरुखी प्रखण्ड के मटुक छापर एवं बड़का गांव तथा भगवान पुर प्रखण्ड एवं जीरादेई प्रखण्ड के मझवलिया पंचायत के भवानी स्थान में भी मिला है ।
इस क्षेत्र का प्राचीन इतिहास – शोधार्थी कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र का काफी प्राचीन इतिहास है ।

जो पुस्तकों में दर्ज है तथा यहाँ के मिट्टी के परत में प्राचीन इतिहास का साक्ष्य भरा पड़ा है ।उन्होंने बताया कि बिहार के प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो राधाकृष्ण के पुस्तक भारत का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास पृष्ट 524 के अनुसार हथौजी व पीढ़ी गांव 11वी शदी तक काफी उन्नत व सम्पन्न गांव था तथा इसी गांव में कनौज के गढ़वाल राजा गोविंद चंद्र देव का ससुराल था जिनकी धर्म पत्नी कुमार देवी बड़ी ही सात्विक व धर्मिक औरत थी । उसी महारानी ने सारनाथ स्थित एक बौद्ध बिहार और मूर्ति का निर्माण कराया था ।

शोधार्थी ने बताया कि गढ़वाल राजा का ताम्र लेख दोन में भी प्राप्त हुआ है जिसे राजा गोविंदचंद्र देव ने जारी किया था । शोधार्थी ने बताया कि 2015 पपौर तथा 2018 तीतिर स्तूप तीतिरा में भारतीय पुरातत्व विभाग के परीक्षण उत्खन्न से प्राप्त पुरातात्विक अवशेषों से इस क्षेत्र की प्राचीनता तीन हजार वर्ष पूर्व तक जाता है।
गोविंद चंद्र देव का यूपी से लेकर बिहार तक शासन था ।

स्थानीय मुखिया मीनू शाही के प्रतिनिधि कुंदन शाही ने बताया कि यह क्षेत्र पुरातन काल में काफी उन्नत व धार्मिक क्षेत्र था ।उन्होंने कहा कि पुरातत्व विभाग व पर्यटन विभाग के अधिकारियों से मिलकर इसका स्थल के विकास के लिए प्रयास किया जायेगा । ग्रामीण
पंडित ब्रह्मा तिवारी ने बताया कि भगवान सूर्य देव की अनूठा प्रतिमा मिला है छठ के समय इस स्थल पर अधिक भीड़ होने की संभावना है ।
इस मौके पर हरिकांत सिंह,ई अंकित मिश्र धनुषधारी यादव आदि काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे ।

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