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टीबी मरीज़ों को शुरुआती दिनों में ही अस्पताल में ले जाकर कराएं जांच: - श्रीनारद मीडिया

टीबी मरीज़ों को शुरुआती दिनों में ही अस्पताल में ले जाकर कराएं जांच:

टीबी मरीज़ों को शुरुआती दिनों में ही अस्पताल में ले जाकर कराएं जांच:

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सरकारी अस्पतालों में मिलती है निःशुल्क दवा:
टीबी चैंपियन बन दूसरों को करती हूं जागरूक : नुशरत जहां
निक्षय योजना के तहत मरीज़ों को प्रत्येक महीने  दी जाती हैं सहायता राशि: एसटीएस

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):

किसी भी व्यक्ति को लगातार कई दिनों तक बुख़ार, खांसी, चक्कर आना, बलग़म में क़भी-क़भी खून आए तो जल्द ही अपने निकटतम स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर चिकित्सकों से सलाह एवं उपचार कराएं। ताकि शुरुआती दिनों में बीमारी की जानकारी मिल सकें। उक्त बातें जिला मुख्यालय से लागभग 50 किलोमीटर दूर अमौर प्रखंड की रहने वाली युवती नुशरत जहां ने कहीं। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण काल से पहले मैं जब कॉलेज गई थी तो अचानक चक्कर आ गया। जिस कारण वही गिरकर अचेत हो गई थी। उसके बाद जिला मुख्यालय स्थित एक निजी चिकित्सक की सलाह पर लगातार एक वर्ष तक टीबी बीमारी की दवा खाई लेकिन कोई सुधार नही हुआ। पैसे भी बहुत ज़्यादा खर्च हो गए।

 

सरकारी अस्पतालों में मिलती है निःशुल्क दवा:
अमौर प्रखंड की रहने वाली नुशरत जहां दिसंबर 2017 में ही टीबी की चपेट में आ गई थीं, लेकिन शुरुआत में ही निजी चिकित्सकों के यहां उन्होंने इलाज़ कराई। इसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ। अत्यधिक पैसे ख़र्च होने के बाद थकहार कर बैठ गई थी। एक परिचित आंगनबाड़ी सेविका की सलाह पर सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करवाई। उसके बाद लगातार दवा खाई तो ठीक हो गई। आप सभी से अपील हैं कि सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में टीबी बीमारी से संबंधित जांच एवं दवा बिल्कुल ही निःशुल्क उपलब्ध है। इसके साथ ही पौष्टिक आहार खाने के लिए सरकार की ओर से राशि भी मुहैया कराई जाती है।

 

टीबी चैंपियन बन दूसरों को करती हूं जागरूक: नुशरत जहां
नुशरत जहां बताती हैं कि लगातार एक वर्ष तक निजी चिकित्सकों के यहां उपचार कराई लेकिन ठीक नहीं हुई। फिर बाद में मेरी दीदी सरकारी रेफ़रल अस्पताल अमौर लाई। टीबी विभाग में जांच कराने के बाद संक्रमण पाया गया। स्थानीय एसटीएस उमेश कुमार ने नियमित रूप से दवा दी। उसके बाद लगातार दवा का सेवन करती रही। तो मेरी बीमारी अब पूरी तरह से ठीक हो गई है। जनवरी 2022 में गया शहर स्थित निजी होटल में टीबी के क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग को सहयोग करने वाली संस्था रीच के द्वारा टीबी चैंपियन का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर चुकी हूं। वर्तमान समय में जीविका समूह के साथ जुड़कर कार्य कर रही हूं। महिला समूह की साप्ताहिक बैठक के दौरान गर्भवती एवं धात्री महिलाओं और किशोरियों को टीबी बीमारी सहित विभिन्न तरह की संक्रमित बीमारियों के संबंध में जागरूक करती हूं। वहीं मासिक धर्म, साफ़-सफाई, स्तनपान, एनीमिया, पोषण सहित कई अन्य प्रकार की बीमारियों को लेकर विस्तृत रूप से चर्चा करती रहती हूं।

 

निक्षय योजना के तहत मरीज़ों को प्रत्येक महीने दी जाती हैं सहायता राशि: एसटीएस
वरीय उपचार पर्यवेक्षक उमेश कुमार ने बताया कि इलाजरत टीबी मरीजों को  निक्षय पोषण योजना के तहत प्रत्येक महीने  500 रुपये उनके खाते में भेजी जाती है। जिससे वे अपने आहार में पौष्टिक भोजन शामिल कर सकें। संक्रमित मरीज़ों में टीबी संक्रमण की पुष्टि होने के बाद निक्षय पोर्टल पर उनका रजिस्ट्रेशन होता है। इसके बाद उसी महीने से उनके खाते में 500 रुपये जाने लगते हैं। उपचार सहयोगी के रूप में आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिकाओं के साथ ही एनओआईसी से प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं को ड्रग सेंसेटिव फर्स्ट लाइन मरीज की पहचान कर नोटिफिकेशन करवाने के बाद 1000 रुपये और ड्रग रेस्टेन्ट सेकेंड लाइन मरीज की पहचान कर नोटिफिकेशन करवाने पर 5000 रुपये तक की सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से सरकार के द्वारा दी जाती है।

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