आतंकवाद को किसी धर्म या राष्ट्रीयता से नहीं जोड़ना चाहिए-अमित शाह

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शुक्रवार को एनआईए द्वारा आयोजित ‘No Money for Terror’ सम्मेलन में शामिल हुए। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद को फंडिंग आतंकी घटनाओं से कहीं अधिक खतरनाक है। इन आतंकी खतरे को किसी धर्म, राष्ट्रीयता या समूह से नहीं जोड़ा जा सकता है और न ही होना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आतंकी हिंसा करने, युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए लगातार नए तरीके खोज रहे हैं। आतंकवादी कट्टरपंथी सामग्री फैलाने और अपनी पहचान छिपाने के लिए डार्कनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। क्रिप्टोकरेंसी जैसी वर्चुअल संपत्ति का उपयोग भी बढ़ रहा है।

कुछ देश आतंकवाद से निपटने के संकल्प को कर रहे कमजोर

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि हमें डार्क नेट पर होने वाली ऐसी गतिविधियों के पैटर्न का विश्लेषण और समझना होगा और उनका समाधान खोजना होगा। दुर्भाग्य से कुछ ऐसे देश हैं जो आतंकवाद से निपटने के हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर या नष्ट करना चाहते हैं।

आतंकवादी को पनाह देना आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर

साथ ही कहा कि अक्सर हमने देखा है कि कुछ देश आतंकवादियों को ढाल देते हैं और उन्हें शरण देते हैं। एक आतंकवादी को पनाह देना आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर है। ऐसे तत्व और ऐसे देश अपने मंसूबों में कामयाब न हों, यह देखना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।

नए समीकरणों ने टेरर फंडिंग के मुद्दो बनाया गंभीर

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अगस्त 2021 के बाद दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्थिति में व्यापक परिवर्तन हुए हैं। सत्ता में बदलाव, आईएसआईएस और अल कायदा के प्रभाव में वृद्धि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। नए समीकरणों ने टेरर फंडिंग के मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है।

इस कार्यक्रम में 72 देशों के प्रतिनिधि हो रहे शामिल

बता दें कि आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा ‘No Money for Terror’ कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्घाटन शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी ने किया। एनआईए के इस कार्यक्रम में 72 देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। हालांकि, इसमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान हिस्सा नहीं ले रहे हैं।

आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया- मोदी

मोदी ने कहा कि हमारे देश ने आतंक की विभीषिका का सामना दुनिया के गंभीरता से लेने से बहुत पहले से किया है। दशकों से अलग-अलग रूपों में आतंकवाद ने भारत को चोट पहुंचाने की कोशिश की जिसकी वजह से हमने हजारों कीमती जानें गंवाईं, लेकिन हमने आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया।

आतंकवाद की जड़ों पर हमला करें

मोदी ने आगे कहा कि आतंकवाद का दीर्घकालिक प्रभाव गरीबों और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर होता है, चाहे फिर वह पर्यटन हो या व्यापार। कोई भी उस इलाके को पसंद नहीं करता जहां लगातार खतरा बना रहता है। इसकी वजह से वहां के लोगों की आजीविका पर भी असर पड़ता है। इसलिए यह अहम है कि हम आतंवाद की जड़ों पर हमला करें। हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक आतंकवाद का सफाया नहीं हो जाता।

इशारों-इशारों में पाकिस्तान पर निशाना

पीएम मोदी ने इशारों-इशारों में पाकिस्तान पर निशाना भी साधा। मोदी ने कहा कि कुछ देश अपनी विदेश नीति के तहत आतंकवाद का समर्थन करते हैं। वे उन्हें राजनीतिक, वैचारिक और वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठन को यह नहीं सोचना चाहिए कि युद्ध की अनुपस्थिति का अर्थ शांति है। यह महत्वपूर्ण है कि हम संयुक्त रूप से कट्टरवाद और उग्रवाद की समस्या का समाधान करें। कट्टरवाद का समर्थन करने वाले का किसी भी देश में कोई स्थान नहीं होना चाहिए.

आतंकवाद को खत्म करने के लिए एक व्यापक, सक्रिय, व्यवस्थित प्रतिक्रिया की जरूरत है। अगर हम चाहते हैं कि हमारे नागरिक सुरक्षित रहें, तो हम तब तक इंतजार नहीं कर सकते जब तक कि आतंक हमारे घरों में न आ जाए। हमें आतंकवादियों के वित्त पर चोट करनी चाहिए।

दो दिन के सम्मेलन में कुल चार सत्र

दो दिन के सम्मेलन में कुल चार सत्र होंगे। इसमें आतंकी फंडिंग के औपचारिक व अनौपचारिक सभी तरीकों पर चर्चा होगी। वहीं, शनिवार को आतंकी फंडिंग के लिए नई तकनीक और रास्तों के इस्तेमाल पर चर्चा होगी।

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